- वसुंधरा राजे नई दिल्ली की यात्रा पर
- राजे की भाजपा मुख्यालय पर संगठन मंत्री बी सन्तोष और राजस्थान प्रभारी अरुणसिंह के साथ हुई बैठक
गोपेंद्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली : राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने राष्ट्रीय राजधानीनई दिल्ली में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल ही राजस्थान की यात्रा के बाद वेस्वयं भी दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व से आगामी चुनाव और भावी रणनीति पर चर्चा के लिए दिल्ली यात्रा पर आईहुई है।
वसुंधरा राजे की बुधवार को नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित पार्टीमुख्यालय पर राजस्थान के भाजपा प्रभारी अरुण सिंह और संगठन मंत्री बीएल संतोष से लम्बी मुलाक़ात हुई।
इस ख़ास बैठक में वसुंधरा राजे के साथ इन नेताओं की आने वाले विधान सभा चुनाव की रणनीति औरराजस्थान में संगठन के विस्तार और फेरबदल पर भी चर्चा हुई ऐसी जानकारी मिली है।
अब खबर यह भी आ रही है कि राष्ट्रीय नेताओं और वसुन्धरा राजे की सहमति के बाद एक दो दिन में प्रदेशभाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी की टीम में फेरबदल हो सकता है।
पार्टी मुख्यालय पर राजस्थान के भाजपा प्रभारी अरुण सिंह और संगठन मंत्री बीएल संतोष से वसुंधरा राजे कीमुलाक़ात के बाद अपरांह केन्द्रीय जल शक्ति मन्त्री गजेन्द्र सिंह शेखावत भी पार्टी मुख्यालय पर पहुँचें औरउन्होंने वहाँ पार्टी द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता ने मोदी सरकार के नौ वर्षों की उपलब्धियों की जानकारी देने केसाथ ही कई राजनीतिक सवालों पर भी मीडिया के प्रश्नों के जवाब दिए ।साथ ही काफी देर रुक कर मीडियाप्रतिनिधियों के साथ चाय पर अनौपचारिक गपशप भी की।
इधर राजस्थान में छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा का केन्द्रीय संगठन भीसक्रिय हो गया है तथा प्रदेश भाजपा को और अधिक सक्रिय बनाने के लिए आने वाले दिनों में संगठन में कईबदलाव देखें जा सकते है । पार्टी का शीर्ष नेतृत्व गुटबाजी को दूर करने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजेऔर राजस्थान भाजपा के सभी धड़ों को एक साथ साधना चाहता है। इसी कारण प्रदेश भाजपा में फेरबदलकी कसरत शुरू कर दी गई है तथा वसुन्धरा राजे की दिल्ली यात्रा को इस लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण मानाजा रहा है। प्रदेश भाजपा में बदलाव के संकेत कुछ दिन पहले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने भी दिए थे।बताया जा रहा है कि इस वर्ष के अन्त में प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेशभाजपा में अगले कुछ दिनों में बड़े बदलाव भी हो सकते है तथा प्रदेश में पार्टी की हर शाखा और जिला इकाइयोंको बहुत अधिक सक्रिय बनाने की योजना पर युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है।
भाजपा के समक्ष प्रदेश में कांग्रेस की वर्तमान हकूमत और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की लोकप्रिय हो रहीयोजनाओं की तोड़ खोजना सबसे बड़ी चुनौती है। पार्टी इस बात को भी भलीभाँति समझ रही है कि दो बार कीमुख्यमंत्री रही वसुन्धरा राजे प्रदेश की एक मात्र ऐसी नेता है जो आक्रामक ढंग से कांग्रेस और अन्य विपक्षीदलों का मुक़ाबला कर चुनावी चक्रव्यूह रच सकती है।
राजनीतिक पण्डितों के हवाले से सामने आई जानकारी के मुताबिक राजस्थान में कमल खिलाने के लिएभाजपा प्रदेश की बहु संख्यक और प्रभावी जातियों के साथ ही जाट,ब्राह्मण और राजपूतों को मजबूती सेसाधने की कोशिश कर अपने परम्परागत वोटों की सोशल इंजीनियरिंग पर काम कर रही है। ऐसे में यह प्रबलसंभावना बन रही है कि इन जातियों के प्रभावशाली चेहरों को संगठन में सीपी जोशी की नई टीम में जगह मिलसकती है। इसके साथ ही संगठन के वर्तमान पदाधिकारियों में भी फेरबदल हो सकता है।कुछ चेहरे केन्द्रीयसत्ता से भी संगठन में आ सकते हैं और कुछ को संगठन से केन्द्र की सत्ता मे शामिल किया जा सकता है।राजनीतिक जानकारों के हवाले से खबर है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यदि अपनी मंत्रिपरिषद का आख़िरीविस्तार करते है तो चर्चा हैकि प्रदेश के सांसदों मेंसे सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा और कनकमल कटारा कोआदिवासी,दीया कुमारी को राजपूत, घनश्याम तिवारी को ब्राह्मण, पी पी चौधरी को ओबीसी तथा कुछ अन्यसांसदों को जाट एवं एस सी के नए चेहरों के तौर पर मोदी मंत्रिपरिषद में जगह दी जा सकती है।हालाँकि अभीभी प्रदेश को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला हुआ है।
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व विधान सभा चुनाव से पहले इस कोशिश में हैं कि प्रदेश के नेताओं की आपसीगुटबाजी और मनमुटाव को हर हालत में दूर किया जाए। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लेकर अभी भी यहसवाल बना हुआ है कि आने वाले चुनाव में उनकी क्या भूमिका रहने वाली है ? लेकिन संगठन विस्तार से पहलेवसुंधरा राजे से चर्चा करना कही ना कही इस बात का संकेत है कि भाजपा फिलहाल कोई भी राजनीतिकजोखिम लेने के मूड में नहीं है और वसुंधरा राजे को फिर से साध कर तथा अन्य पार्टी के क़द्दावर नेताओं कोपार्टी में शामिल करा प्रदेश में हर हालत में चुनाव जीतने की रणनीति बनाई जा रही है।