बच्चों की शरारत को खेल खेल में मिल रही है दिशा

  • दिल्ली में दस अलग अलग स्थानों पर 500 से अधिक बच्चे सीख रहे हैं अभिनय के गुर
  • उड़ान—द सेंटर आफ थियेटर आर्ट एंड चाइल्ड डवलपमेंट तथा आईजीएनसीए के संयुक्त तत्वाव्धान में बाल रंग शिविरों का आयोजन
  • कार्य शालाओं के समापन पर होगा बाल रंग महोत्सव का आयोजन*

नीति गोपेंद्र भट्ट

नई दिल्ली : उड़ान—द सेंटर आफ थियेटर आर्ट एंड चाइल्ड डवलपमेंट एवं भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की संस्था इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, के संयुक्त तत्वाव्धान में दिल्ली के विभिन्न भागों में आयोजित किए जा रहें बाल रंगमंच प्रशिक्षण शिविरों में बच्चों की शरारत को खेल-खेल में नई दिशा मिल रही है।

मौज मस्ती के बीच बच्चों को जहां रंगमंच की विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण दिया जा रहा है वहीं बच्चे जीवन को जीने की कला भी सीख रहे हैं।

उडान द सेंटर आफ थियेटर आर्ट एंड चाइल्ड डवलपमेंट के निदेशक संजय टुटेजा के अनुसार इन कार्यशालाओं एवं शिविरों में लगभग 500 बच्चे प्रशिक्षण ले रहे हैं जिनमें लगभग 50 बच्चे झुग्गी झौपडी निवासी गरीब बच्चे हैं।

उन्होंने बताया कि बाल रंगमंच प्रशिक्षण शिविर और कार्यशालाओं का आयोजन दिल्ली के आधा दर्जन स्थानों सहित देश में कुल दस अलग अलग स्थानों पर किया गया है। इन कार्यशालाओं का मुख्य उद्देश्य बच्चों को थियेटर और अभिनय की बारीकियां सीखाना हैं। साथ ही बच्चों में एकाग्रता, आत्मविश्वास,भाषण कला,ग्राहय क्षमता विकसित किये जाने के साथ-साथ उन्हें मंच पर प्रदर्शन की बारीकियां खेल-खेल में सिखाई जा रही हैं।

प्रशिक्षण के दौरान बच्चों की सृजनात्मकता, वाणिज्यिक कौशल, टीमवर्क, व्यक्तित्व विकास और संवाद क्षमता को भी विकसित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह पूरा प्रशिक्षण खेल-खेल में दिया जाता है ताकि बच्चों के लिये यह प्रशिक्षण कोई बोझ ना हो और बच्चे गर्मियों में स्कूल की छुटिटयों के दौरान मौज मस्ती कर अपनी मौलिक प्रतिभा को विकसित कर सकें।
उन्होंने बताया कि अभिनय, भूमिका, भावनाएँ, आवाज, शरीर का उपयोग, और संवाद, रोल-प्ले आदि अभिनयी तत्वों का प्रशिक्षण ही नहीं बल्कि सीधा अनुभव बच्चों को कराया जा रहा है।

एलीना का चयन फिल्म के लिये हुआ

इस कार्यशाला में प्रशिक्षण ले रही एक 10 वर्षीय बच्ची एलीना का चयन कार्यशाला के दौरान ही एक फिल्म के लिये भी हुआ है। एलीना बताती है कि अभिनय करने का आत्मविश्वास उसे इस कार्यशाला में ही मिला। संजय टुटेजा के अनुसार मुंबई के कुछ अन्य फिल्म निर्माताओं ने भी अपनी फिल्मों के लिये इन कार्यशालाओं में प्रशिक्षण ले रहे बच्चोंं में रूचि दिखाते हुए उनके आडिशन लिये हैं।

इन शिविरों में प्रशिक्षण ले रही नन्हीं बालिकाएं नित्या, सौम्या, क्यारा व डायलीना बताती हैं कि पहले वह बहुत शर्माती थी तथा कक्षा में सबके सामने बोलने में झिझक होती थी लेकिन अब तो वह स्टेज पर हजारों लोगों के सामने भी बोल सकती है।

निदेशक संजय टुटेजा के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय नाटय विद्यालय से पास आउट कृष्णा राजपूत, सागर वशिष्ठ, वरिष्ठ रंगकर्मी डायना ओमेन, भारतेंदू नाटय अकादमी से प्रशिक्षित योगेश पंवार तथा प्रभात सेंगर के साथ साथ रिद्धी मग्गो, सौम्या बिलुनिया, शिवांग मिश्रा, शुभ शर्मा, लक्षमी, मनीषा, निकिता मित्तल, खुशी बौद्ध, रवि कर्णवाल एवं अभिनव गौतम इन कार्यशालाओं में बच्चों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। टुटेजा बताते हैं कि इन कार्यशलाओं की उपयोगिता बच्चों के सामाजिक, भाषाई, और संवादात्मक कौशलों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ साथ जीवन में उन्हें अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।