सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारत के सबसे लंबे -6 फुट 2 इंच -के हॉकी स्ट्राइकर -ड्रैग फ्लिकर अरिजित सिंह हुंदल पंजाब के पाकिस्तान की सरहद से सटे शहर अमृतसर के पाखड़पुरा गांव के बाशिंदे हैं। भारतीय जूनियर हॉकी टीम को अरिजित हुंदल में बतौर हॉकी आंलराउंडर इंग्लैंड के स्ट्राइकर डै्रग फ्लिकर सैम वार्ड और फ्रांस के टिमोथी क्लिमेंट की छाप साफ दिखाई देती है। अरिजित दो भाई -बहन हैं। बहन एकमजीत फिलहाल 11 में वीं पढ़ती है। अरिजित को हॉकी विरासत में मिली है। उनके पिता कुलजीत सिंह हुंदल उत्तर रेलवे के लिए हॉकी खेले और 1999 में राजीव मिश्रा के साथ सीनियर राष्टï्रीय हॉकी शिविर में रहे। अरिजित के पिता कुलदीप हुंदल की भारत के लिए अंतर्राष्टï्रीय हॉकी खेलने की तमन्ना पूरी नहीं हो सकी। अरिजित के चाचा भी हॉकी खेले। अरिजित सिंह हुंदल भुवनेश्वर में 2021 में जूनियर हॉकी विश्व कप में चौथे स्थान पर रहने वाली भारतीय टीम के अहम रहे। अरिजित ने इसी महीने सलालाह (ओमान) में भारत को जूनियर हॉकी एशिया कप जिता बतौर ‘हॉकी ऑलराउंडरÓ सुर्खियां बटोरीं। स्ट्राइकर अरिजित सिंह हुंदल, उत्तम सिंह और अगंदबीर सिंह की त्रिमूर्ति ने अब भारत को इसी साल के आखिर में मलयेशिया में होने वाले एफआईएच जूनियर पुरुष हॉकी जिताने का सपना संजोया है। देश के हॉकी दिग्गज स्ट्राइकर अरिजित सिंह हुंदल, उत्तम सिंह और अगंदबीर सिंह की त्रिमूर्ति को भारतीय हॉकी का भविष्य मानते हैं। उत्तम सिंह की तरह अरिजित और अंगद बीर के बहुत जल्द सीनियर भारतीय हॉकी टीम के लिए खेलते दिखने की उम्मीद है।
19 साल के अरिजित सिंह हंदल से उनके अब तक के जूनियर भारतीय हॉकी टीम के सफर और आगे के लक्ष्य की बाबत बेंगलुरू से फोन पर की खास बातचीत। अरिजित सिंह हंदल कहते हैं, ‘मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरे पिता कुलजीत सिंह हुंदल ने मुझे बचपन से हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया। मेरे पिता उत्तर रेलवे के लिए हॉकी खेले और 1999 में सीनियर राष्टï्रीय हॉकी शिविर में रहे। अफसोस मेरे पिता का भारत के लिए अंतर्राष्टï्रीय हॉकी खेलने का सपना पूरा नहीं हो पाया। मेरे पिता ही मेरे हॉकी गुरू और मेरी हॉकी खेलने की प्रेरणा है। मैं खुद सीनियर भारतीय हॉकी टीम के लिए खेल अब अपने पिता के अधूरे सपने को पूरा करना चाहता हूं। मेरे परिवार में मेरे पिता के साथ मेरे चाचा भी हॉकी खेलते हैं और घर में हॉकी के माहौल का मुझे बहुत लाभ मिला। मै फिलहाल जूनियर टीम में बतौर हॉकी स्ट्राइकर और ड्रैग फ्लिकर अपनी अलग पहचान बना भारत का गौरव बढ़ाना चाहता हूं। भारतीय जूनियर हॉकी टीम को ओमान में जूनियर हॉकी एशिया कप जिताने के बाद अब मुझे बड़े टूर्नामेंट में भारतीय सीनियर हॉकी टीम में जगह पाने का इंतजार है।जहां तक पाकिस्तान के खिलाफ 2023 के जूनियर हॉकी एशिया कप फाइनल की बात है तो ओमान में बड़ी तादाद में अपने हॉकी प्रशंसकों के सामने खेलना एक अलग ही अहसास था। हमारी बस यही तमन्ना थी हमारे प्रशंसक, जो बराबर पूरे टूर्नामेंट में हमारी हौसलाअफजाई करने आते रहे उन्हें जूनियर हॉकी एशिया कप खिताब के रूप में बड़ा तोहफा दें और हम इसमें कामयाब रहे। पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में शुरू के दो कवॉर्टर में 2-0 की बढ़त लेने के बाद हम कुछ ढीले पड़ गए लेकिन जल्द से हमने अपने खेल को संभाला और मौकों को भुनाना और बढिय़ा खेल दिखाया।’
अरिजित सिंह फिलहाल इंडियन ऑयल के लिए छात्रवृत्ति पर खेल रहे हैं। वह बताते हैं, हमारी जूनियर भारतीय हॉकी टीम के लिए अच्छी बात यह है कि मेरा, उत्तम और विष्णुकांत सहित टीम के सभी स्ट्राइकरों का आपस तालेमल बहुत अच्छा है। हम सभी साथी स्ट्राइकर आपस में जो भी जिस कौशल में सर्वश्रेष्ठï है उसी के मुताबिक उसी के लिए आगे गेंद बढ़ाते हैं। इससे हम मौकों को भुनाते है। हमारे लिए अच्छी बात यह है कि हमारी मौजूदा जूनियर टीम के सभी खिलाड़ी इस साल के अंत में एफआईएच जूनियर पुरुष हॉकी विश्व कप के लिए उपलब्ध होंगे। 2016 की तरह इस बार फिर भारत को जूनियर हॉकी विश्व कप जिताने में कसर नहीं छोड़ेंगे। हमारी जूनियर टीम की रणनीति शुरू से आक्रामक रुख अपना मौकों को भुना हावी होने की रहती है। हम अब जल्द ही स्पेन के दौरे पर जाना है कि वहां हमारी कोशिश अपनी जो भी कमियां रह गई हैं उन्हें दूर करने की रहेगी, जिससे कि हम इस साल के आखिर में जूनियर हॉकी विश्व कप में विश्वास के साथ उतरें। फिलहाल मेरा और हमारी भारतीय जूनियर हॉकी टीम फोकस इस साल के आखिर में होने वाले जूनियर हॉकी विश्व कप को जीतने पर है। बेशक सीनियर भारतीय हॉकी टीम में हर हॉकी खिलाड़ी की तरह मेरी भी तमन्ना है। बावजूद एशियाई खेलों के लिए सीनियर टीम में जगह पाने की बाबत फिलहाल बहुत ज्यादा नहीं सोच रहा हूं। जहां तक हॉकी में अलग-अलग हॉकी उस्तादों के मार्गदर्शन और उनकी शैली से तालमेल बैठाने की बात है तो हमारे जो भी कोच रहे हैं और फिलहाल हैं वे हमारी शैली बहुत ज्यादा नहीं बदल रहे हैं। हमारे कोच जो भी वे हमसे बस यही चाहते हैं कि हमारी शैली जैसी भी है हम उसमें पारंगत हों। हमारे कोच हमारी शैली बदलने की बजाय हमे हमारे हॉकी कौशल के मुताबिक उसमें छोटे-छोटे संयोजन पर जोर दते हैं।