अनुज अग्रवाल
देश में कोचिंग के सबसे बड़े हब दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक कोचिंग संस्थान में शार्ट सर्किट से लगी आग से बड़ा हादसा हो गया। दर्जनों छात्र घायल हो गए और अनेक ग़ायब हैं जिनके बारे में पुलिस कुछ नहीं बता रही। कल रात भर हज़ारो छात्रों ने हंगामा और प्रदर्शन किया जो अभी भी जारी है। कुछ कोचिंग संस्थानों की आपसी प्रतिस्पर्धा का नतीजा भी हो सकती है यह आग। बाक़ी सच तो जाँच में ही सामने आएगा और हो सकता है न भी आए।
देश की सड़ी गली शिक्षा व्यवस्था को बचाने की ज़िम्मेदारी वास्तव में कोचिंग संस्थानों पर ही है। शिक्षा संस्थानो में 90% में न छात्र पढ़ने आते हैं न अध्यापक पढ़ाने आते हैं। बस वे डिग्री बाँटते और बेचते हैं। देश में कोचिंगं संस्थान ही एक मात्र ऐसी जगह है जहां शिक्षक पढ़ाने आते हैं और छात्र पढ़ने आते हैं। हाँ यह सच है कि इन कोचिंगं संस्थानों का इंफ़्रास्ट्रक्चर व सेफ़्टी नॉर्म्स क़ानून के मापदंडों के अनुरूप नहीं होता। अधिक लाभ के लालच में संस्थान एक बड़े हाल में पाँच पाँच सौ तक बच्चे ठूँस देते हैं। मगर कोई भी छात्र कुछ नहीं बोलता न ही उसके अभिभावक , जबकि सब प्रतिष्ठित परिवारों से होते हैं। चुप्पी इसलिए भी रहती है क्योंकि प्रश्न सुरक्षित भविष्य का होता है जो डिग्री से नहीं कोचिंग के ज्ञान से हो पाता है। अब यह दूसरी बात है कि बिना नियम क़ायदे से चलने वाले इन संस्थानो से निकलने वाले छात्र आगे चलकर आईएएस/ पीसीएस अफ़सर बन देश के क़ानून बनाते हैं और देश को क़ानून से चलाने की बात भी करते हैं। मगर सच्चाई यह भी है कि प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफल होने के बाद अधिकांश टॉपर अपना रिज़ल्ट इन संस्थानों को बेचकर करोड़ों कमाते हैं फिर शादी में भी मोटा दहेज लेते हैं और अक्सर नेताओ, नौकरशाह व अरबपतियो के परिवारों में शादी करते हैं और जब तक ट्रेनिंग के बाद नौकरी शुरू करते हैं तब तक छोटे मोटे कारपोरेट ख़ुद ही बन जाते हैं। न जाने कितने नौकरशाह और यूपीएससी के मेंबर व अध्यक्ष रिटायर होने के बाद इन संस्थानो में नौकरी करते दिखते हैं।
इस खेल पर कोई रोक नहीं, सब मौन हैं सरकार भी यूपीएससी भी और न्यायालय भी।मेरा देश तो ऐसे ही चला है और ऐसे ही चलेगा, काश कोई बदल पाता यह सब।