नरेंद्र मोदी मानसून सत्र में यू.सी.सी. कानून पारित करेंगे

प्रो. नीलम महाजन सिंह

इसी सप्ताह, मई 2023 में, पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘समान नागरिक संहिता’ लागू करने का फिर से एहवान किया है। इसके पक्ष और विपक्ष में किसका क्या तर्क है? पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम में समान नागरिक संहिता को लागू करने पर ज़ोर दिया कि भारत में ‘एक समान कानून होने चाहिए’। पीएम के इस ब्यान पर विरोधी दलों; कांग्रेस, डीएमके, एआईएमआईएम ने भाजपा सरकार को घेरा है। इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड व आदिवासी समन्वय समिति जैसे संगठनों ने यूसीसी लागू करने पर सरकार की मंशा पर अनेक सवाल खड़े किए, कि इससे उनकी संस्कृति को खतरा को सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में समान नागरिक संहिता की वकालत करके देश में एक बार फिर इस मुद्दे पर बहस छेड़ दी है। भोपाल में पार्टी के बूथ कार्यकर्ताओं की बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा? पीएम के इस ब्यान के बाद कड़ी सियासत शुरू हो गई है। वहीं केंद्र सरकार के मंत्रियों ने समान नागरिक संहिता को लागू करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है। अब देश में समान नागरिक संहिता चर्चा का विषय बनी हुई है। दो सप्ताह पहले ही विधि आयोग – लाॅ कमिशन ने सार्वजनिक व धार्मिक संगठनों से इस मुद्दे पर राय मांगी थी। इसके लिए 30 दिन का वक्त दिया गया है। आखिर प्रधानमंत्री ने यू.सी.सी. पर कहा क्या है? समान नागरिक संहिता क्या है, इस विषय पर लेखिका अनेकों विश्लेषण कर चुकीं हैं। पीएम नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने इसके प्रचार पर कार्य आरंभ कर दिया है। भोपाल में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, पीएम ने कहा, “यू.सी.सी. पर विपक्षी दल क्यों भड़का रहे हैं। एक ही घर में दो कानून कैसे हो सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट भी बार-बार कह चुका है कि यू.सी.सी. लाओ, लेकिन विपक्षी दल वोट बैंक के लिए इसका विरोध कर रहे हैं। यू.सी.सी. का ज़िक्र संविधान में किया गया है”। इसी बीच केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, ”इस पर अभी कयास लगाने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि लॉ कमीशन को एक महीने का वक्त दिया हुआ है। लाॅ कमीशन ने सुझाव देने के लिए जो समय दिया वो 13 जुलाई तक है, लिहाज़ा अभी इस पर ज़्यादा कुछ कहना सही नहीं है”। इसको लेकर लॉ कमीशन ने सभी की राय मांगी है। पीएम मोदी ने क्या कहा, “हमें याद रखना है कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट भी यह कह चुकी है कि यू.सी.सी. लाओ”। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चीफ (NCP) शरद पवार ने कहा, “यू.सी.सी. पर विभिन्न समुदायों के सुझावों और मांगों पर गौर करने के बाद हम अपना रुख स्पष्ट करेंगें”। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के प्रवक्ता; के.सी. त्यागी ने हाल ही में कहा कि यू.सी.सी. को लेकर सभी को विश्वास में लेने की ज़रूरत है। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि बीजेपी अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए ऐसा कर रही है। सीएम वेस्ट बंगाल; ममता बनर्जी की टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन भी कह चुके हैं कि मोदी सरकार नौकरी देने का वादा पूरा नहीं कर पाई इस कारण यू.सी.सी. का मामला उठा रही है। वहीं नेशनल कांफ्रेंसृ के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार को यू.सी.सी. के मुद्दे को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए व इसे लागू करने के परिणामों पर पुनर्विचार करना चाहिए। लॉ कमीशन ने एक नोटिस में कहा था कि बाइसवें विधि आयोग ने एक बार फिर यू.सी.सी. पर व्यापक स्तर पर लोगों और धार्मिक संगठनों के विचार मांगने का फैसला किया है। समान नागरिक संहिता (यू.सी.सी.) को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी के ब्यान के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आपात बैठक बुलाई थी। बैठक में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष, सैफुल्लाह रहमानी मौलाना अरशद मदनी, मौलाना खालिद रशीद, फरंगी महली ने भी हिस्सा लिया।

पीएम मोदी ने कहा कि समान नागरिक संहिता पर विपक्षी दल लोगों को भड़का रहे हैं। शिव सेना के उद्धव ठाकरे और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने नरेन्द्र मोदी सरकार के सुर में सुर मिलाया है। फारूक अब्दुल्ला बोले, “कानून लागू हुआ तो देश में तूफान आ सकता है”। सवाल ये भी उठ चुका है कि क्या आगामी संसद के मानसून सत्र में यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को पेश किया जाएगा? इन्हीं अटकलों के बीच इस मामले पर राजनेताओं द्वारा लगातार टिप्पणियां की जा रही है। इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ने पसमांदा मुसलमानों का ज़िक्र किया व कहा, “उनके ही धर्म के एक वर्ग ने पसमांदा मुसलमानों का शोषण किया है”। पीएम मोदी के इस ब्यान पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है। बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया रिपोर्ट शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा, “पीएम मोदी ने कहा कि मुसलमानों का एक वर्ग पसमांदा मुसलमानों को आगे नहीं बढ़ने दे रहा है। लेकिन सच्चाई ये है कि सभी मुस्लिम गरीब हैं और ऊंची जाति के मुसलमान तो ओबीसी हिंदुओं से भी गरीब हैं”! इसके साथ ही ओवैसी ने पीएम मोदी से सवाल किया कि वे पूरे देश के पीएम हैं, फिर उन्होंने ‘अल्पसंख्यक कल्याण’ का बजट 40 फीसदी क्यों कम कर दिया? मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष, जस्टिस अरुण मिश्रा के मुताबिक “यू.सी.सी. को लागू करने का समय आ गया है। इसे संविधान में निर्धारित किया गया है। ऐसे में इसको पूरी तरह से अनदेखा नहीं किया जा सकता। महिलाओं को भेदभाव से बचाने के लिए अधिनियमों का क्रियान्वयन करना आवश्यक है। इसके अलावा ‘पुरुषवाद’ को भी खत्म किया जाएगा”। उन्होंने समान नागरिक संहिता के आलोचकों पर निशाना साधते हुए कहा कि यू.सी.सी. का विरोध करने वाले लोगों के पास कोई तर्क नहीं है, जब भी कोई अच्छी चीज़ आती है तो उसका विरोध होता ही है। जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि संविधान में यू.सी.सी. लागू करने का निर्देश हमेशा से था, परन्तु सरकार को सिर्फ समय चुनना था। मौजूदा वक्त में महिलाएँ अपने अधिकारों के लिए लड़ रही हैं व उन्हें समानता देनी चाहिए। समान नागरिक संहिता महिलाओं को सम्मान प्रदान करेगा क्योंकि उन्हें लंबे समय से समानता से वंचित रखा गया है। बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने 09 नवंबर 2022, को राज्यसभा में समान नागरिक संहिता पर निजी सदस्य बिल पेश किया; जिसका कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और डी.एम.के. समेत तमाम विपक्षी दलों ने विरोध किया था। दिल्ली उच्च न्यायालय की जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने एक वर्ष पहले ही यू.सी.सी लागू करने के आदेश दिए थे। जस्टिस शरद अरविंद बोबडे; भारत का पूर्व मुख्य न्यायधीश ने भी यू.सी.सी को लागू करने का समर्थन किया है। निष्कर्षार्थ संविधान के अनुच्छेद 44 को कानूनी जामा पहनाने के बाद, यह राज्यों में लागू होगा। गोवा में यू.सी.सी पहले से लागू है। गुजरात, उत्तराखंड, दिल्ली व अन्य राज्यों में भी इसे स्वीकार किये जाने पर सहमति है। यह कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी सरकार का ‘एक देश, एक विधान, एक निशान’ को कानून बनाने के लिये देशवासियों को, सामान नागरिक संहिता कानून के लिये तैयार रहना चाहिए। यह सामाजिक मुद्दों से निपटने के लिए एक विशेष प्रकार का कानून है। सभी देशवासी शांति, स्थिरता व समरसता बनाए रखें।

प्रो: नीलम महाजन सिंह
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, दूरदर्शन व्यक्तित्व व मानवाधिकार संरक्षण सॉलिसिटर)