गोविन्द ठाकुर
राहुल गांधी की दूसरी भारत यात्रा की तैयारी अंदरखाने चल रही है। माना जा रहा है कि राहुल की पहली यात्रा, राहुल गांधी की इमेज सुधारने के लिए था..। मगर दुसरी यात्रा बीजेपी से अधिक अपने इंडिया गठबंधन के सहयोगियों को साधने के लिए होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि अभी तक जो भी सर्वे आये हैं उसमें सबसे अधिक राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री मोदी को टक्कर देते देखे जा रहे हैं। बांकि सहयोगी राहुल से काफी पीछे हैं। कांग्रेस का मानना है कि कन्याकुमारी से कश्मीर की पहली यात्रा में राहुल को गंभीर और एक फाईटर के रुप में स्थापित कर दिया है। इसके बाद दूसरी यात्रा जो गुजरात के पोरबंदर से चलकर मिजोरम या मेघालय तक जाने की है, उससे राहुल जनता की नज़र में सीघे मोदी के आमने-सामने होंगे और जो प्रधानमंत्री पद की दंभ भर रहे हैं उसे जनता स्वीकार नहीं करेगी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दूसरी भारत जोड़ो यात्रा को लेकर अभी तक अधिकारिक घोषणा नहीं की गई इस मायने सस्पेंस बढ़ता जा रहा है। अभी तक सिर्फ सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि राहुल दो अक्टूबर से दूसरी यात्रा शुरू कर सकते हैं। इस बार यात्रा गुजरात में महात्मा गांधी की जन्मस्थली पोरबंदर से शुरू होगी और अरुणाचल प्रदेश या मेघालय तक जाएगी। पिछली बार राहुल ने दक्षिण से उत्तर की यात्रा की थी और साढ़े तीन हजार किलोमीटर पैदल चले थे। इस बार पश्चिम से पूरब की यात्रा करने वाले हैं।यह यात्रा भी करीब चार हजार किलोमीटर की होगी। लेकिन अभी तक कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से इस यात्रा की घोषणा नहीं की है। हो सकता है कि राहुल के लेह-लद्दाख की यात्रा से लौटने के बाद घोषणा हो सकती है।
अगर दो अक्टूबर से यात्रा शुरू होने वाली है तो उसके लिए बहुत कम समय रह गया है। हालांकि कांग्रेस के जानकार सूत्रों का कहना है कि यात्रा की तैयारी चल रही है, सारे रोडमैप बना लिए गये हैं। यह भी कहा जा रहा है कि इस बार पिछली बार की तरह ज्यादा तैयारी करने की जरूरत नहीं है क्योंकि पिछली यात्रा के समय ही कांग्रेस ने यात्रा के लिए और यात्रियों के ठहरने के लिए कंटेनर खरीद लिए थे। उनको बिल्कुल तैयार स्थिति में रखा गया है। जरूरत की सारी चीजें कांग्रेस के पास हैं। सिर्फ यात्रा का रूट तय करना है, भारत यात्रियों के नाम तय करने हैं और समन्वय की टीम बनानी है। संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश इस बार भी मुख्य भूमिका में होंगे, जिसे प्रियंका गाधी कोऑडिनेट कर रही हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को लेकर संदेह है क्योंकि उनके राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और वे पार्टी के मुख्य रणनीतिकार और प्रचारक भी हैं।
बहरहाल, राहुल की दूसरी यात्रा को लेकर कांग्रेस की एक मुख्य चिंता यह है कि दूसरी यात्रा ज्यादातर ऐसे राज्यों से गुजरेगी, जहां कांग्रेस की सहयोगी पार्टियों का वर्चस्व है। पहली यात्रा में राहुल या तो दक्षिण भारत के राज्यों से गुजरे थे या ऐसे राज्यों से गुजरे थे, जहां कांग्रेस मजबूत है। पश्चिम से पूरब की यात्रा में ऐसा नहीं है। इस रूट में पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और पूर्वोत्तर के राज्य आएंगे, जहां कांग्रेस का संगठन बहुत मजबूत नहीं है। सो, इन राज्यों की तैयारियों पर ध्यान देना होगा।
लेकिन कांग्रेस के लिए फायदे की बात यह है कि गुजरात से यात्रा शुरू होकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से गुजरेगी। इन दोनों राज्यों में नवंबर में विधानसभा का चुनाव है। अगर राहुल गांधी पैदल चलते हुए इन दोनों राज्यों से गुजरते हैं तो कांग्रेस काडर से लेकर मतदाताओं तक पर इसका असर होगा। हालांकि पिछली बार भी राहुल मध्य प्रदेश से गुजरे थे लेकिन चुनाव की वजह से इस बार ज्यादा महत्व होगा। पिछली बार वे छत्तीसगढ़ नहीं गए थे। इस बार उनकी यात्रा छत्तीसगढ़ से भी गुजरेगी। बहरहाल, पांच राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के चुनाव और अगले साल के लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के कई नेता इस समय यात्रा के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन दूसरे का कहना है कि राहुल के भारत जोड़ो यात्रा करने से ना सिर्फ चुनावी राज्यों में बल्कि पूरे भारत में एक साकारात्मक मैसेज जायेगा जो लोकसभा चुनाव को काफी प्रभावित करेगा।
राहुल गांधी की यह दूसरी भारत जोड़ो यात्रा काफी सोच समझकर बनाया जा रहा है। इससे कांग्रेस को काफी फायदा होने वाला है। इस यात्रा से देश के लोगों के साथ साथ मीडिया के सभी तंत्रों की नज़र राहुल की यात्रा पर होगी जो खुद बखुद कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करेगी। इससे बीजेपी को तो टक्कर मिलेगी ही साथ में इंडिया गठबंधन के सोकाल्ड पीएम उम्मीदवार रेस से बाहर हो जायेंगे।