गोविन्द ठाकुर
लोकसभा के चुनाव होने में अब महज छ महीने ही रह गये हैं..मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि को जनता तक पहुंचाने की है जिसपर जनता भरोसा भी करे और विश्वास भी…अमुमन पहले मंत्रियों के हवाले सरकार अपनी उपलब्धियों के बखान जनता से करती रही है मगर अबसे यह काम बड़े अधिकारियों के हवाले कर दिया गया है…इसके कई कारण हो सकते हैं.. जिसमें जनता के बीच सिर्फ एक चेहरे को दिखाना जिससे कि जनता में पीएम मोदी के लिए भवनात्मक लगाव पैदा हो.. ताकि जब भी पीएम मोदी जनता को संबोधित करे तो लोगों को बात अपील करे..
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी पार्टी के नेताओं की बजाय आईएएस अधिकारियों पर ज्यादा भरोसा है? केंद्र सरकार की नीतियों के प्रचार के लिए इस बार अधिकारियों को जिम्मेदारी मिली है। विकसित भारत संकल्प यात्रा के लिए पूरे देश में रथ निकल रहे हैं, जिन रथों का प्रभारी आईएएस अधिकारियों को बनाया गया है। पहले भी अधिकारी सरकारी योजनाओं का प्रचार करते रहे हैं ताकि अधिक से अधिक लोगों तक उसका लाभ पहुंचे। पिछले ही दिनों ओडिशा में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के तब के प्रधान सचिव वीके पांडियन सरकारी हेलीकॉप्टर से पूरे प्रदेश में घूमे थे और लोगों से बात की थी। उन्होंने लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में बताया था और लोगों की फीडबैक ली थी। अब पांडियन ने वीआरएस ले लिया है और नवीन पटनायक ने उनको कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया है।
बहरहाल, केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रचार में अधिकारियों को उतारने का विरोध हो रहा है। विपक्षी पार्टियों के साथ साथ पूर्व अधिकारियों ने भी इस पर सवाल उठाया है। लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि इस योजना में कोई तब्दीली आएगी। सरकार की इस योजना को देख कर लग रहा है कि प्रधानमंत्री को नेताओं का चेहरा दिखाने में कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि उनको चुनाव अपने चेहरे पर लड़ना है। इसलिए नेताओं की बजाय अधिकारी उनकी तस्वीरों के साथ रथ लेकर देश भर में घूमेंगे। इससे प्रधानमंत्री की योजनाओं और प्रधानमंत्री के रूप में मोदी का चेहरा लोगों के जेहन में बैठेगा। दूसरे, नेताओं की बजाय अधिकारियों का चेहरा लोगों को ज्यादा यकीन दिलाएगा कि सरकार अच्छा काम कर रही है। तभी जब अगले साल के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी अपनी उपलब्धियां बताएंगे तो लोगों को सहज रूप से उस पर यकीन होगा।