योगेश कुमार गोयल
नई दिल्ली : इंटरनेशनल दिव्य परिवार सोसायटी और भारत अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र गुरुग्राम के तत्वाधान में नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब के डिप्टी स्पीकर हॉल में चाणक्य वार्ता प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित साहित्यकार, पत्रकार और समाजसेवी लक्ष्मीनारायण भाला की पुस्तक ‘संविधान की जन्मकथा’ का विमोचन समारोह आयोजित किया गया। पुस्तक का लोकार्पण मुख्य अतिथि केन्द्रीय विद्युत, नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह द्वारा किया गया। अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने जनता से राष्ट्र की एकता और अखंडता को चुनौती देने वाले असामाजिक सोच वाले लोगों से सचेत रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि चिंता का विषय है कि जिन लोगों ने 1947 में विभाजन की मांग की थी, उनमें से 95 प्रतिशत आज भी भारत में हैं, जो राष्ट्र की एकता और अखंडता को चुनौती दे रहे हैं। देश को क्षेत्र, पंथ, जाति और नौकरी में आरक्षण के नाम पर बांटने की कोशिश की जा रही है जबकि भारतीय संविधान में सभी को समान अधिकार दिए गए हैं। भाला जी की पुस्तक की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक को यह जानकारी होनी चाहिए कि वर्तमान संविधान में क्या-क्या प्रावधान हैं और उसका निर्माण किन परिस्थितियों में हुआ? समारोह के अतिविशिष्ट अतिथि, वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे सत्यनारायण जटिया ने कहा कि भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं और इस दौरान भारतीय लोकतंत्र में क्या हुआ, इसे देश की जनता से ज्यादा कौन जानता है? पुस्तक के बारे में उन्होंने कहा कि यह पुस्तक साधारण नहीं बल्कि असाधारण है। आरएसएस के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल ने चाणक्य वार्ता प्रकाशन समूह के सम्पादक डा. अमित जैन की प्रशंसा तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने एक और शानदार पुस्तक का प्रकाशन किया है। पुस्तक विमोचन समारोह को पुस्तक के लेखक लक्ष्मीनारायण भाला, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. आदीश अग्रवाल, राज्यसभा के पूर्व महासचिव एवं भारत अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र के चेयरमैन डा. योगेन्द्र नारायण ने भी संबोधित किया। समारोह का संचालन करते हुए डा. अमित जैन ने कहा कि आजादी के बाद से संविधान में जारी छेड़छाड़ के बारे में बाबा साहेब डॉ आंबेडकर ने आगाह किया था कि यदि संविधान का दुरुपयोग हुआ तो इसे सबसे पहले जलाने वाला व्यक्ति मैं ही रहूंगा। यह पुस्तक उनकी आत्मा को यह विश्वास दिलाती है कि सही हाथों से पुनर्लेखन होकर संविधान की गरिमा बनाए रखेगी। समारोह में पद्मश्री डा. जगमोहन सिंह राजपूत, पद्मश्री कंवल सिंह चौहान, दीनदयाल उपाध्याय दर्शन के शोध कर्ता डा. महेश चंद्र शर्मा, भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष श्याम जाजू, ओड़िशी नृत्य गुरु शुभदा वराडकर, पूर्व डीजीपी एस.के भगत, आईसीएआर के कुलपति डा. अशोक कुमार सिंह, अधिवक्ता सर्वजीत सांगवान सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित रहे।