- हमारी कैपटाउन की टेस्ट जीत ठीक गाबा टेस्ट जैसी
- उम्मीद मैच रेफरी आंख-कान खुले रख कर खेल के उन सभी पहलुओं पर गौर करेंगे
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : भारत के कप्तान रोहित शर्मा ने मेजबान दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपनी टीम के न्यूलैंडस, कैपटाउन की बेहद मुश्किल पिच पर दूसरा व आखिरी क्रिकेट टेस्ट सात विकेट से जीतने के बावजूद पिचों की रेटिंग में आईसीसी और मैच रेफरी के कथित दोहरे मानकों के लिए आलोचना की। सीम गेंदबाजों के लिए पूरी तरह मुफीद पिच इतिहास का सबसे छोटा टेस्ट में जीतने के बाद भारत के कप्तान रोहित ने कहा कि उन्हें भारत में पिचों को लेकर बेवजह कड़ी आलोचना पर ऐतराज है।
भारत के कप्तान रोहित ने कहा, ‘हमने देखा कि कैपटाउन के टेस्ट मैच में क्या हुआ। पिच कैसा खेली। सच कहूं मुझे इस तरह की पिचों पर खेलने पर तब तक कोई ऐतराज नहीं है जब तक हर कोई भारत में अपना मुंह बंद रखे और भारतीय पिचों के बारे में ज्यादा बात नहीं करे। मेरा मानना है कि आप टेस्ट क्रिकेट में खुद को चुनौती देने आते हैं और दक्षिण अफ्रीका में खेलना खतरनाक और चुनौतीपूर्ण था। ऐसे में जब बाकी टीमें भारत खेलने आती है तो उनके लिए स्थिति खासी चुनौतीपूर्ण होती है। जब हम दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट खेलने आते हैं तो चर्चा यह होती टेस्ट क्रिकेट सबसे बड़ा इम्तिहान है। भारत में ऐसा ही होता है और भारत में यदि गेंद पहले ही दिन घूमने लगी है तो लोग कहने लगते हैं’धूल का गुबार, धूल का गुबार’। कैपटाउटन की पिच पर बहुत ज्यादा दरार थी और इस पर किसी ने गौर तक नहीं किया। हमारी कैपटाउन टेस्ट की यह जीत हमारी सर्वश्रेष्ठï टेस्ट जीतों में से होगी। हर टेस्ट की अपनी अहमियत है, अपनी प्रासंगिकता और इसीलिए आपके द्वारा खेले टेस्ट की तुलना करना कठिन है। हमने गाबा में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जो टेस्ट जीता उसकी अपनी अहमियत और प्रासंगिकता। ऑस्ट्रेलिया इससे पहले ब्रिस्बेन में आखिरी टेस्ट 1988 में हारी थी। हमने 0-1 से पिछडऩे के बाद हमने मेलबर्न में टेस्ट जीता और सिडनी का टेस्ट ड्रॉ कराया और फिर ब्रिस्बेन कर टेस्ट दिया। आप इसी लिए टेस्ट मैच में जीत को रैंकिंग नहीं दे सकते । हमारी कैपटाउन की टेस्ट जीत ठीक गाबा टेस्ट की तरह है क्योंकि हम इससे पहले कैपटाउन में कभी टेस्ट नहीं जीते थे।
रोहित ने भारत में आईसीसी वन डे विश्व कप के दौरान मैच रेफरियों और कुछ पिचों की रेटिंग को उनके दी रेटिंग पर निशाना साधा। रोहित ने कहा, ‘मेरा मानना है अहम यह है कि मैच रेफरी हर जगह तटस्थ रहे। जरूरत इस बात की है कुछ मैच रेफरियों को इस नजर रखने की जरूरत है वे पिचों को कैसे आंकते हैं। मुझे अभी भी विश्वास नहीं होता कि अहमदाबाद में आईसीसी वन डे विश्व कप फाइनल की पिच को रेटिंग में औसत से नीचे आंका गया। भारत के खिलाफ इस फाइनल में एक बल्लेबाज (ट्रेविज हेड) ने शतक जड़ा। ऐसे में फाइनल की यह पिच घटिया कैसे हो सकती है? ये ऐसी बाते हैं जिन पर आईसीसी और मैच रेफरी को गौर करने की जरूरत है। यह बेहद अहम है कि मैच रेफरी जो देखते हैं पिचों की रेटिंग पिच के आधार पर करें न की देशों के आधार पर। मैं उम्मीद करता हूं कि मैच रेफरी अपनी आंख और कान खुले रख कर खेल के उन सभी पहलुओं पर गौर करेंगे। सच कहूं मैं एकदम इस तरह की पिचों पर खेलने के हक में हूं। मुझे गर्व है कि हम खुद को इस तरह की पिचों पर खेलने की चुनौती देना चाहते हैं। मैं बस यह चाहूंगा कि तटस्थ रहे।’