इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली गेट स्थित लोकनायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल परिसर में इमरजेंसी के ठीक सामने 13 मई को कुछ गुंडों ने जबरन अस्पताल की जमीन पर कब्जा करने/दुकान लगाने की कोशिश की।
एलएनजेपी अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डाक्टर सुरेश कुमार और सुरक्षा कर्मियों आदि के साथ मारपीट/ हाथापाई की और धमकी भी दी।
अस्पताल प्रशासन ने पुलिस बुला ली। कब्जा करने की कोशिश करने वाले सत्यनारायण उर्फ मोनू निवासी खरखौदा, हरियाणा, सुनील कुमार निवासी सोनीपत समेत 3-4 आरोपियों को पुलिस चौकी में ले गई और रात को उन्हें छोड़ दिया। आरोपी सुनील का पिता दिल्ली पुलिस में बताया जाता है।
स्पेशल कमिश्नर ने एफआईआर दर्ज कराई-
दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर कानून एवं व्यवस्था रवींद्र यादव की जानकारी में मामला आने के बाद पुलिस ने 15 मई को एफआईआर दर्ज की।
आई पी एस्टेट थाना पुलिस ने कब्जा करने की कोशिश और जान से मारने की धमकी देने की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है। लेकिन पुलिस ने एमडी सुरेश कुमार को धमकी दिए जाने की बात एफआईआर में दर्ज ही नहीं की। जबकि एमडी द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत में यह बात लिखी गई है। पुलिस ने एफआईआर में अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों के साथ मारपीट/ हमला करने की धारा भी नहीं लगाई। इससे पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लग जाता है।
मध्य जिले के डीसीपी एम हर्षवर्धन ने बताया कि इस मामले में 15 मई को एफआईआर दर्ज कर ली गई और मामले की निष्पक्षता से जांच की जा रही है। इस तरह के मामलों में निर्धारित शुरुआती जांच प्रक्रिया के बाद ही एफआईआर दर्ज की जाती है।
पुलिस का कहना है कि आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
एमडी की शिकायत-
अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डाक्टर सुरेश कुमार की शिकायत के अनुसार आठ- दस गुंडों ने अस्पताल प्रशासन द्वारा गेट नंबर चार पर दो दुकानों के बीच की खाली जगह में लगाए गई लोहे की टीन की घेराबंदी /बैरीकेडिंग को तोड़ कर वहां पर कब्जा करने की कोशिश की। कब्जा करने वालों के साथ एक वकील भी था। कब्जा करने की कोशिश करने वाले आरोपी सुनील कुमार और उसके साथियों ने अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डाक्टर सुरेश कुमार को भी धक्का देने की कोशिश की और धमकाया भी।
पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान-
अस्पताल के एमडी डाक्टर सुरेश कुमार ने मध्य जिले के डीसीपी एम हर्षवर्धन को इस मामले की शिकायत की। एडिशनल डीसीपी सचिन शर्मा से भी बात की। लेकिन इसके बावजूद हाथ आए आरोपियों को पुलिस ने क्यों छोड़ दिया ? तुरंत एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की ? इससे पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लग जाता है।
एमडी डाक्टर सुरेश कुमार ने तो बहादुरी दिखाते हुए अस्पताल की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करने वाले गुंडों को पुलिस के हवाले करवा दिया। लेकिन एफआईआर दर्ज कराने के लिए ही एमडी सुरेश कुमार को पुलिस से तीन दिन तक एक तरह से गुहार लगानी पड़ी।
पुलिस अगर तुरंत एफआईआर दर्ज कर हाथ आए आरोपियों को उसी समय गिरफ्तार कर लेती और मौके से भाग गए उनके अन्य साथियों को भी पकड़ने की कोशिश करती, तो पुलिस की भूमिका पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता था।
वैसे वरिष्ठ पुलिस अफसर अगर ईमानदारी से 13 मई को ही तफ्तीश करते, तो सिर्फ दो मिनट में ही यह स्पष्ट हो जाता कि आरोपियों ने जिस जगह पर कब्जा करने की कोशिश की थी। वह जगह तो एक साल से भी ज्यादा समय से खाली है और उस पर अस्पताल प्रशासन का कब्जा है।
कब्जा करने की कोशिश करने वालों में से एक आरोपी सत्यनारायण का एक साल पहले यहां खोखा/ कियोस्क होता था ठीक एक साल पहले यानी मई 2023 में आरोपी खुद ही अपना कियोस्क/खोखा यहां से उठा कर ले गया था। जिसके बाद उस खाली जगह को अस्पताल प्रशासन ने अपने कब्जे ले लिया। सत्यनारायण हाईकोर्ट से दुकान का केस भी हार चुका है। अस्पताल प्रशासन ने शिकायत के साथ हाईकोर्ट के आदेश की प्रति भी पुलिस को दी है।
(इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)