- इन्दिरा गाँधी की प्रतिरूप प्रियंका अपने डेब्यू लोकसभा चुनाव को जीत कर संसद में क्या कमाल दिखाएंगी?
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
करीब तीन दशकों की राजनीति के बाद आखिर पूर्व प्रधानमत्री इन्दिरा गांधी का प्रतिरूप और उनकी पोती प्रियंका गांधी वाड्रा दक्षिण भारत के तटवर्ती खुबसूरत प्रदेश केरल की वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लड़ कर संसद में प्रवेश करने का प्रयास करेगी। अब तक वायनाड कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र था और वे 2019 एवं इस वर्ष 2024 के आम चुनाव में इस सीट से भारी बहुमत से जीते है। राहुल गांधी पिछले दोनों आम चुनावों में दो- दो लोकसभा सीटों से चुनाव लडे । 2019 के आम चुनाव में वे गांधी परिवार की परम्परागत सीट उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के सामने पहली बार चुनाव हार गए थे। इस बार भी राहुल गांधी उत्तर एवं दक्षिण की राजनीति करते हुए केरल के वायनाड के साथ ही अपनी मां सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से भी चुनाव लडे और जीते। रायबरेली से गांधी परिवार का रिश्ता 100 साल पुराना है। यहां राहुल प्रियंका के दादा फिरोज गांधी ने आजादी के बाद 1952 में पहला चुनाव जीता था और उसके बाद दादी इंदिरा गांधी ,गांधी परिवार के अन्य सदस्य सांसद बने और मां सोनिया गांधी भी चार बार यहां से सांसद रहीं है।
सोनिया गांधी ने इस बार स्वास्थ्य कारणों से लोकसभा का चुनाव नही लड़ा और वे राजस्थान से राज्यसभा सांसद बन संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में पहुंच गई और कांग्रेस संसदीय दल की नेता भी चुन ली गई। राहुल गांधी इस बार वायनाड के साथ साथ गांधी परिवार की परम्परागत रायबरेली से भी चुनाव लडे और दोनों सीटों पर चुनाव जीत गए। चुनाव जीतने के बाद नियमानुसार उन्हे वायनाड एवं रायबरेली की सीट में से किसी एक को चुनना था। काफी सौच विचार के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने घोषणा की कि राहुल गांधी अपने परिवार के साथ 100 वर्षों की जुड़ाव वाली सीट रायबरेली से सांसद बने रहेंगे और उनकी छोटी बहन प्रियंका गांधी दक्षिण की विरासत संभालते हुए वायनाड से लोकसभा का चुनाव लडेगी। इस मौके पर राहुल गांधी ने कहा कि उनके लिए यह तय करना बहुत कठिन कार्य था कि कौन सी सीट रखी जाएं? क्योंकि इन दोनों लोकसभा सीटों के मतदाताओं के साथ उनका गहरा आत्मीय रिश्ता बना हुआ है। उनका बस चलता तो वे दोनों सीटों पर बने रहते, लेकिन कानूनन ऐसा संभव नही है, इसलिए आखिर में पार्टी ने फैसला किया कि दोनों क्षेत्रों की जनता की भावनाओं का सम्मान रखते हुए मैं रायबरेली की सीट रिटेन रखूं और मेरी बहन जिसने पार्टी की लाख कोशिशों के बावजूद अब तक कोई चुनाव नही लड़ कर केवल संगठन में ही कार्य किया है, उसे रिक्त हो रही वायनाड सीट से चुनाव लड़ाया जाए। ताकि वहां के मतदाताओं की भावनाएं भी आहत नही होवे। इस प्रकार प्रियंका गांधी अब दक्षिण भारत के रास्ते संसद में प्रवेश का प्रयास करेगी और यदि वह चुनाव जीत गई तो काफी अर्से बाद लोकसभा एवं राज्य सभा में एक साथ गांधी परिवार के तीन सांसद हो जायेंगे ।
दक्षिण भारत में वायनाड कांग्रेस का अजेय दुर्ग माना जाता है, जहां से प्रियंका गांधी अब अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ने वाली हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस सीट से प्रियंका की जीत पक्की है।केरल का वायनाड हाथियों से भरपूर इलाका है। यह 2019 में पहली बार तब सुर्खियों में आया था, जब राहुल गांधी अमेठी के साथ वायनाड से भी उम्मीदवार बने थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली से जीते है। जीत के बाद उन्होंने एवं पार्टी ने उन्हें रायबरेली से सांसद रखना तय किया। इस प्रकार राहुल ने वायनाड सीट अपनी बहन प्रियंका गांधी के लिए खाली की है, जो पहली बार चुनावी राजनीति में एंट्री करेंगी।केरल की वायनाड लोकसभा सीट से राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद अब प्रियंका गांधी वाड्रा यहां से चुनाव लड़ेंगी। भाजपा ने एक बार फिर से आरोप लगाया है कि राहुल गांधी ने वायनाड की जनता की भावनाओं के साथ कुठाराघात किया है। कांग्रेस परिवारवाद से ऊपर नहीं उठ सकती इसलिए उन्होंने गांधी परिवार के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना ढूंढा है। रायबरेली, अमेठी के अलावा वायनाड भी कांग्रेस के लिए ऐसा ही किला है, जहां कतिपय अपवादों को छोड़ उसके उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित मानी जाती है। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए वायनाड में अभी तक चार बार चुनाव हो चुके हैं। हर चुनाव में परिणाम कांग्रेस के पक्ष में ही रहा हैं। विशेष कर राहुल गांधी की एंट्री के बाद इस सीट पर जीत का फासला लाखों में हो गया।
प्रियंका गांधी राजनीति में पिछले तीन दशक से सक्रिय हैं और अब वह अपना पहला चुनाव दक्षिण भारत के वायनाड से लड़ रही हैं। वायनाड उत्तरी केरल का एक खूबसूरत जिला है। इस लोकसभा सीट में वायनाड की तीन, मल्लपुरम की तीन और कोझिकोड की एक विधानसभा सीटें आती हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में मलप्पुरम और कोकीझोड़ जिले के इलाके भी शामिल हैं। मलप्पुरम की तीन विधानसभा के कारण वायनाड लोकसभा की धार्मिक डेमोग्राफी बदल जाती है। वायनाड की तीन विधानसभा सीटों में से दो पर कांग्रेस और एक पर सीपीएम के विधायक हैं। कोझिकोड की तिरुवम्बाडी सीट पर भी सीपीएम का कब्जा है। मल्लपुरम की तीन विधानसभा सीटों में एक एलडीएफ और दो यूपीएफ के पास है। वायनाड जिले में करीब 49.5 फीसदी हिंदू और 21 प्रतिशत क्रिश्चियन और 28.8 फीसदी मुसलमान हैं। परिसीमन के बाद बनाए गए वायनाड लोकसभा सीट में 48 फीसदी मुस्लिम और 41 प्रतिशत हिंदू वोटर हैं। क्रिश्चियन वोटरों की अनुमानित आबादी 15 फीसदी आंकी जाती है। मलप्पुरम केरल का अल्पसंख्यक बाहुल्य जिला है, जहां मुसलमानों की आबादी 70 फीसदी है। 2011 की जनगनणा के मुताबिक, केरल में मुस्लिम की कुल आबादी का एक तिहाई हिस्सा मलप्पुरम में है। वायनाड लोकसभा में 13,59,679 वोटर हैं और हर चुनाव में औसतन करीब 10.8 लाख वोटर मतदान करते हैं।
केरल की राजनीति तीन खेमों में बंटी है। पहला लेफ्ट पार्टियों का गुट वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ), दूसरा कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और तीसरा, बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए। यूडीएफ में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग और केरल कांग्रेस भी शामिल है। वायनाड के चुनावों में मुख्य रूप से एलडीएफ और यूडीएफ के मध्य ही मुकाबला होता रहा है। भाजपा केरल में अपना जनाधार बढ़ने के प्रयास में जुटी है जिसको वजह से इस बार सांसद में केरल से एक भाजपा सांसद चुन कर लोकसभा पहुंचा है। इस सीट पर एनडीए के उम्मीदवार ने 2024 के चुनाव में पहली बार एक लाख से अधिक वोट हासिल किए है। 2009 में कांग्रेस के एम आई शानवास ने एम.रहमतुल्ला को करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया था। 2014 में कांटे की टक्कर रही। एम आई शानवास अपने प्रतिद्वंद्वी सीपीआई के सत्यन मोकरी से 20,870 के अंतर से ही जीत पाए। 2019 में राहुल गांधी की एंट्री ने मुकाबले को एकतरफा बना दिया। वह पहली बार 4,31,770 वोटों के अंतर से जीतकर वायनाड से सांसद बने। 2919 में राहुल गांधी अमेठी से हार गए थे। इस बार 2024 में उनकी जीत का अंतर थोड़ा कम हो गया और वह 3,64,422 वोटों से जीते है। इन दोनों जीत में करीब 68 हजार वोटों का अंतर रहा है।
वायनाड सीट पर होने वाले उपचुनाव से चुनावी पारी का आगाज करने जा रहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने एक टीवी चैनल से खास बातचीत में कहा कि मुझे खुशी है कि प्रियंका गांधी वायनाड से पहली बार कोई चुनाव लड़ने जा रही हैं. बल्कि मैं चाहता हूं कि, वो मुझसे पहले संसद में पहुंचे। बातचीत के दौरान जब उसे पूछा गया कि प्रियंका गांधी उपचुनाव के लिए कैसे राजी हुईं? इस पर राबर्ट वाड्रा ने कहा कि बड़े पैमाने पर जो इरादे है और प्रियंका जो मेहनत कर रही हैं, वो सांसद के रूप में करें तो देश प्रगति की ओर जाएगा। रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि मैंने भी दबाव डाला और पूरे परिवार और कांग्रेस ने इकट्ठे होकर फैसला लिया है।
कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि प्रियंका वायनाड से चुनाव लड़ेंगी। ये सही समय है कि प्रियंका संसद पहुंचें। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं हमेशा बोलता था कि मेरी इच्छा है कि पहले प्रियंका संसद पहुंचें। मैं मेहनत करता रहूंगा और अगले चुनाव में भाग लूंगा। प्रियंका के चुनाव लड़ने के सवाल पर वाड्रा ने कहा कि मैंने प्रियंका को समझाया कि उन्हें संसद में जाना चाहिए। इस बार मैंने ना नहीं सुना। पूरे परिवार ने मिलकर ये फैसला किया।
परिवारवाद के आरोपों पर वाड्रा ने कहा कि भाजपा को अपने घर में झांकना चाहिए। उनकी पार्टी में परिवार वाले नेता भरे हुए हैं। जनता ने उनके अबकी बार 400 पार के नारे की हकीकत बता दी। बीजेपी अयोध्या तक में हारी। उन्होंने कहा कि लोग सोच रहे थे कि राम मंदिर बना है तो खुशहाली आएगी, लेकिन मंदिर के आसपास के लोगों के घर उजड़ गए और उन्हें रोजगार भी नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस बार चुनाव प्रचार में अजीबो गरीब बातें कही। साथ ही भाजपा नेताओं का अहंकार भी लोगों को पसंद नहीं आया।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर पूछे गए एक सवाल पर वाड्रा ने कहा कि कभी भी एनडीए छोड़ सकते हैं। वहीं, चंद्रबाबू नायडू भी कुछ खास खुश नहीं हैं। ये सरकार मजबूत सरकार नही, हल्की सरकार है। संसद में विपक्ष मजबूत है। ऐसे में सहयोगी दलों एवं विपक्ष को विश्वास में लिए बिना सरकार कोई फैसला नहीं ले सकेगी।
राहुल गांधी के नेता विपक्ष बनने को लेकर सवाल पर रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि राहुल गांधी पूरी लगन के साथ काम करते हैं। मैं चाहूंगा कि उन्हें जरूर नेता विपक्ष बनना चाहिए। प्रधान मंत्री का पद गठबंधन तय करेगा। हम किसी पद के बारे में नहीं सोचते लेकिन यदि उनके जैसे मेहनती और ईमानदार लोग प्रधानमंत्री बनते हैं तो देश के लिए अच्छा ही रहेगा।
दक्षिण के गणित को लेकर पूछे गए सवाल पर वाड्रा ने कहा कि ये अच्छा है कि राहुल गांधी उत्तर में और प्रियंका गांधी दक्षिण का प्रतिनिधत्व करेंगे। राहुल वायनाड जाते रहेंगे, प्रियंका उत्तरप्रदेश जाती रहेंगी। इससे पूरे देश की जानकारी बनी रहेगी।
बातचीत के दौरान वाड्रा ने यह कह कर सनसनी फैला दी कि जब प्रियंका पहली बार संसद में बोलेंगी तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाएंगे। मुझे उनके पहले भाषण का इंतजार है। मुझे बहुत खुशी है कि प्रियंका वायनाड से चुनाव लड़ कर संसद में पहुंचेंगी। राजनीति व्यंगकार यह कहते हुए सुने जा रहे है कि जिस इन्दिरा गाँधी को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी दुर्गा का स्वरूप कहा था,उन्ही का प्रतिरूप प्रियंका गांधी संसद में बकौल रॉबर्ट वाड्रा रोंगटे खड़े कर देने वाला भाषण देकर क्या नई दुर्गा के के रूप में अवतरित होंगी?
देखना है इन्दिरा गाँधी की प्रतिरूप यह नई दुर्गा इस बार अपने डेब्यू चुनाव में लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद में क्या कमाल दिखाएंगी?