ओम बिरला ने लगातार दूसरी बार लोक सभा का अध्यक्ष बन इतिहास रचा

Om Birla created history by becoming Speaker of the Lok Sabha for the second consecutive time

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

17वीं लोकसभा के निवर्तमान अध्यक्ष ओम बिरला ने लगातार दूसरी बार लोकसभा का अध्यक्ष बन इतिहास रचा है। वे राजस्थान मूल के पहले और भाजपा के दूसरे ऐसे सांसद हैं जोकि लगातार दूसरी बार इस पद पर आसीन हुए हैं। बुधवार को उन्हें पुनः 18 वीं लोकसभा का अध्यक्ष चुना गया। इसके पहलें राजस्थान से ही चुने गये कांग्रेस के दिवंगत बलराम जाखड़ ऐसा इतिहास बना चुके हैं। वे सातवीं और आठवीं लोकसभा के दोनों कार्यकालों में सबसे लंबे समय तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे, जिनका कार्यकाल 9 साल और 329 दिन रहा। जाखड़ ने 1980 के दशक में पंजाब में आतंकवाद हावी होने से राजस्थान के सीकर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और वे जाट राजनीति के लोकप्रिय चेहरों में से एक थे।

ओम बिरला के लोकसभाध्यक्ष बनने के साथ ही एक बार फिर से संसद के दोनों सदनों का संचालन राजस्थान के दो यशस्वी नेता करते हुए देखेंगे। यह भी अपने आपमें एक अनौखा इतिहास हैं।

बिरला ने बुधवार को सवेरे अपने नई दिल्ली में अकबर रोड स्थित अपने सरकारी आवास से संसद भवन के लिये रवाना होने से पहले ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त किया। परिवार जनों ने भी उन्हें अग्रिम शुभकामनाएँ दी। बिरला की धर्म पत्नी डॉ अमिता बिरला ने उन्हें टीका लगा कर संसद भेजा। इसकी तस्वीरें बिरला के सोशल हैंडल एक्स पर भी देखी गई।

18 वीं लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने लोकसभाध्यक्ष चुनाव प्रक्रिया का संचालन किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रस्ताव पेश किया, जिसका रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समर्थन किया। कई केंद्रीय मंत्रियों, पार्टियों के नेताओं और अन्य संसद सदस्यों ने बिरला के पुन: चुनाव के लिए प्रस्ताव पेश किए। इधर प्रतिपक्ष की ओर से सांसद अरविंद गणपत सावंत, ने लोकसभा अध्यक्ष के लिए केरल के के. सुरेश के नाम का प्रस्ताव पेश किया, प्रस्ताव का समर्थन एन.के. प्रेमचंद्रन, ने किया।

लेकिन प्रस्ताव को प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब द्वारा जब मतदान के लिए रखा गया तो प्रतिपक्ष ने मत विभाजन की माँग नहीं रखी और ध्वनि मत से ओम बिरला को 18 वीं लोक सभा का अध्यक्ष घोषित किया गया। तत्पश्चात, महताब ने बिरला को अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने और सदन की कार्यवाही संचालित करने के लिए आमंत्रित किया। परम्परा के अनुसार सदन के नेता, प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ,प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी और केन्द्रीय संसदीय कार्य मन्त्री किरण रिजिजू बिरला की सीट के पास गये और उनको अध्यक्ष की कुर्सी तक लेकर गए तथा उन्हें आसन पर बैठाया ।

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सदन को संबोधित किया और बिरला को उनकी पुनः इस पद के लिए चुने जाने और ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी।इस अवसर पर लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी, कुछ केंद्रीय मंत्रियों, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और अन्य सांसदों ने भी बिरला को लोक सभा अध्यक्ष के रूप में उनके ऐतिहासिक पुनर्निर्वाचन के लिए बधाई दी।

बिरला जब सदन को सम्बोधित करने के लिए अपने आसन पर खड़े हुए तो उन्होंने अपने भाषण के लिए लगाये गये स्टैण्ड को हटवा दिया । साथ ही माननीय सांसदों से आग्रह किया कि जब अध्यक्ष अपने आसन से खड़े हो तो कोई सदस्य अपनी सीट से नहीं उठें।उन्होंने कहा कि मैं अगले पाँच वर्षों में मुझे ऐसा फिर से कहने का अवसर नहीं देंगे। उन्होंने जब अपना उद्बोधन शुरू किया तो ओबेसी सहित कुछ सांसदों ने उन्हें भी सोनी भावनाएँ व्यक्त करने का अवसर देने का आग्रह किया। इस पर बिरला ने बड़े दिल का प्रदर्शन करते हुए अपना भाषण रोक कर उन्हें बोलने का अवसर दिया।राजस्थान के सीकर से सांसद बने कामरेड अमराराम को भी अपने उद्गार व्यक्त करने का अवसर मिला।इसके बाद ओम बिरला ने अपना उद्बोधन फिर से शुरू कर सर्व प्रथम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अन्य दलों के नेताओं और सांसदों को उनमें विश्वास जताने एवं समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।बिरला ने कहा कि 18वीं लोक सभा के लिये दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के उत्सव में करोड़ों मतदाताओं द्वारा लोकसभा आम चुनावमें की गई भागीदारी उल्लेखनीय है । बिरला ने इसके लिए सदन की ओर से देश की महान जनता के प्रति आभार व्यक्त किया। साथ ही निर्वाचन आयोग को भी निष्पक्ष, निर्विवाद एवं पारदर्शी कार्य के लिए साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार का गठन हुआ हैं। उन्होंने 18 वी लोक सभा में पहली बार चुने गए 281 सांसदों स्वागत करते किया और आशा व्यक्त की कि पहली बार निर्वाचित सदस्य, सदन के नियमों और परंपराओं का गहन अध्ययन करेंगे, और अपने वरिष्ठ सहयोगियों के अनुभवों और मार्गदर्शन का लाभ उठाते हुए भारत की श्रेष्ठ संसदीय परंपराओं को समृद्ध करेंगे।

बिरला ने कहा कि पिछले एक दशक में जनता की सरकार के प्रति अपेक्षाएं, आशाएं और आकांक्षाएं बढ़ी हैं और इसलिए जनप्रतिनिधियों का दायित्व भी बन जाता है कि वे उनकी अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को प्रभावी तरीके से पूर्ण करने के लिए मिल कर प्रयास करें।बिरला ने कहा कि 18वीं लोक सभा के लिए हमारा एक नया विज़न और संकल्प होना चाहिए। उन्होंने सांसदों का आव्हान किया की कि वे ऐसे प्रयास करें कि 18वीं लोक सभा रचनात्मक चिंतन एवं नूतन विचारों के साथ उच्च कोटि की संसदीय परंपरा और मर्यादा स्थापित करने वाली लोकसभा बने । साथ ही इस सदन का लक्ष्य विकसित भारत के संकल्प को दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ पूरा करना होना चाहिए। बिरला ने कहा कि सदन में पक्ष–प्रतिपक्ष की किसी भी विषय पर सहमति या असहमति की अभिव्यक्ति मर्यादित ढंग से होनी चाहिये। सदन के कार्यकरण के विषय में बोलते हुए श्री बिरला ने कहा कि लोकतंत्र में संसद सदस्य अलग अलग विचारधारा से चुनकर आते हैं, और उनका वैचारिक विरोध हो सकता है, लेकिन सदन में अभिव्यक्ति मर्यादित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों एवं निर्णयों की सकारात्मक आलोचना हो, लेकिन पूर्व-नियोजित गतिरोध नहीं होना चाहिए। संसद में विरोध और सड़क पर विरोध में अंतर तो होना ही चाहिए। संसद में सदस्यों का आचरण शालीन हो, स्वस्थ वातावरण में सार्थक संवाद हो तथा सदन को चलाने के लिए सभी पक्षों की सहमति और सबका सहयोग जरूरी है। इन बातों को ज़ेहन में रखना होगा।

बिरला ने प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया कि उनके मार्गदर्शन में संविधान दिवस मनाने की श्रेष्ठ परंपरा की शुरुआत की है। साथ ही मोदीजी के मार्गदर्शन में ‘नो योर कॉन्स्टिट्यूशन’ अभियान का भी आरंभ हुआ जिससे देश की युवा पीढ़ी अपने संवैधानिक कर्तव्यों और दायित्वों को समझते हुए देश के विकास में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे सके। बिरला ने 25 जून 1975 को देश इन्दिरा गांधी के प्रधानमत्रित्व काल में लगे आपातकाल की विस्तार से चर्चा भी की।बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि 18वीं लोक सभा बाबा साहेब द्वारा निर्मित संविधान को बनाए रखने और इसकी रक्षा करने और संरक्षित रखने की अपनी प्रतिबद्धता को कायम रखेगी। श्री बिरला ने आगे कहा कि 18 वी लोक सभा देश में कानून का शासन और शक्तियों के विकेंद्रीकरण के लिए प्रतिबद्ध रहेगी। बिरला ने संवैधानिक संस्थाओं में भारत के लोगों कि आस्था और अभूतपूर्व संघर्ष को याद किया और कहा कि इसी कारण आपातकाल का भी अंत हुआ था और एक बार फिर संवैधानिक शासन की स्थापना हुई थी। सदन में आपातकाल में आहत हुए देश के नागरिकों का स्मरण करते हुए दो मिनट का मौन भी रखा गया।

इधर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा बुधवार को नई दिल्ली पहुँचे तथा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सांसद सीपी जोशी,पूर्व प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़ और ऊर्जा राज्य मंत्री हीरालाल नागर के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और उन्हे दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने पर हार्दिक बधाई दी। मुख्यमंत्री शर्मा ने नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि 25 जून, 1975 को देश में लगाए गए आपातकाल के विरूद्ध बुधवार को लोकसभा में लाया गया प्रस्ताव स्वागत योग्य है। लोकसभा में इस प्रस्ताव के जरिए दमन और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले सत्याग्रहियों के संघर्ष को सम्मान मिला है।

लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला बुधवार को फिर से अपनी मुस्कराहट के लिए सदन में चर्चा का विषय बने । प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने उद्बोधन में ओम बिरला की मुस्कराहट का जिक्र किया। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि है लोकसभा में इस बार मजबूत विपक्ष को देखते हुए लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला गंभीर से गंभीर मुद्दों को अपने चेहरे पर हमेशा रहने वाली मुस्कान से कैसे निबटने में सफल होंगे?