- भजनलाल शर्मा के सबसे वरिष्ठ मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने इस्तीफा देकर किया धमाका
- आदिवासियों के डीएनए जांच वाले बयान पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रतिपक्ष ने किया राज्य विधानसभा से वॉकआउट
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान में आदिवासियों और मीणा राजनीति को लेकर भारी बवाल मचा हुआ है।राजस्थान विधानसभा के वर्तमान में चल रहें बजट सत्र के दौरान मुख्यमन्त्री भजनलाल शर्मा मंत्रिपरिषद के सबसे वरिष्ठ मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने इस्तीफा दे कर बहुत बड़ा धमाका कर दिया है।उधर आदिवासियों के डीएनए जांच वाले बयान पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से माफी मँगवाने और इस्तीफे की मांग को लेकर प्रतिपक्ष ने गुरुवार को विधानसभा में भारी हंगामा किया और कार्यवाही का बहिगर्मन कर दिया।
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे से भाजपा में खलबली मच गई है।राज्य में विधानसभा के वर्तमान सत्र के दौरान हुए इस घटनाक्रम से शीर्ष नेतृत्व भी हतप्रभ हैं । जयपुर के मानसरोवर में शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के 82 वाँ प्रकटोत्सव के दौरान डॉ. मीणा ने स्वयं इस्तीफे की पुष्टि भी कर दी । डॉ. मीणा ने बताया कि मुख्यमंत्री शर्मा को उन्होंने अपना इस्तीफा 5 जून को ही सौंप दिया था। मुख्यमंत्री शर्मा को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद वे नई दिल्ली भी गए और दिल्ली में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी की।पार्टी के शीर्ष नेताओं ने संसद सत्र की व्यस्ताओं के चलते उन्हें राजधानी में ही रुकने को कहा था लेकिन डॉ मीणा जयपुर में अपने एक पूर्व निर्धारित धार्मिक कार्यक्रम की बात कह लौट गये तथा उन्होंने अपना इस्तीफ़ा सार्वजनिक कर दिया। डॉ मीणा ने बताया कि वे पिछलें दो दिनों से दिल्ली में ही थे। उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष ने बातचीत के लिए बुलाया था, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी।
मुख्यमन्त्री भजनलाल शर्मा ने राजस्थान विधान सभा में डॉ. किरोड़ीलाल मीणा से संबद्ध विभागों कृषि और ग्रामीण मंत्रालय एवं अन्य मंत्रालयों से जुड़े सवालों का जवाब देने के लिए अपने दो मंत्रियों ओटाराम देवासी और के के विश्नोई को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपीं हैं।
राजस्थान की राजनीति से जुड़ी इस सबसे बड़ी खबर का खुलासा करते हुए डॉ. मीणा ने कहा है कि मैंने पहले ही जनता के मध्य इस्तीफा का एलान कर दिया था और सीएम भजनलाल के सामने भी एक दो बार पद छोड़ने की बात कही थी।उन्होंने कहा कि क्षेत्र के लोगों विशेष कर मीणा समाज के लोगों के लिए उन्होंने दिन रात अपना खून पसीना बहाया और उनकी हर समस्या के लिए हमेशा सड़कों पर रहा लेकिन उसी समाज ने उनसे और भाजपा से विमुख होकर पार्टी उम्मीदवारों को लोकसभा चुनावों में पराजित कर दिया उससे उनका मन बहुत आहत हुआ है। डॉ. मीणा ने कहा कि उनकी संगठन या मुख्यमंत्री से कोई नाराजगी नहीं है। मैंने ख़ुद इस्तीफा देने का कहा था, इसलिए मुकर नहीं सकता। हालाँकि उन्होंने हाल ही पार्टी द्वारा उन्हें सौंपे गये उप चुनावों की ज़िम्मेदारी और संगठन के सभी कार्यों का शिद्दत से निभाने की बात कही है। साथ ही यह भी कहा है कि मेरे इस्तीफे से भजन लाल सरकार को कोई संकट नहीं होने वाला।
डॉ. मीणा ने कहा किविअथक परिश्रम के बाद भी मैं अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में पार्टी को जीता नहीं सका। मैंने चुनाव के दौरान इस्तीफा देने घोषणा कर दी थी। उस घोषणा को मैंने पूरा किया है। दिन-रात मैंने जनता के लिए संघर्ष किया। ना दिन देखा, ना रात, लेकिन जनता ने मेरी नहीं मानी। मुझे निराश किया, इसलिए मैंने अंतरात्मा की आवाज से मंत्री पद छोड़ दिया।
उन्होंने कहा कि ना ही मुझे कोई अपेक्षा है और ना ही मुझे कोई पद चाहिए। ईमानदारी से कह रहा हूं, मैं अपनी पार्टी को जीत नहीं दिला पाया। मेरी यह असफलता है और उसी असफलता के कारण मैंने इस्तीफा दिया है। डॉ. मीणा ने बताया कि जब मैं सरकार में था, तब मैंने आरएएस भर्ती परीक्षा को स्थगित करने की मांग की थी। वह परीक्षा स्थगित कर दी गई। हॉर्टिकल्चर की जमीन कौड़ियों के भाव में अलवर में बेच दी थी। मैंने सरकार का ध्यान आकर्षण किया तो वह जमीन निरस्त हो गई। जल जीवन मिशन के घोटाले की सीबीआई जांच की मांग मैंने सरकार से की थी। सरकार ने सीबीआई को जांच दे दी। सरकार में था, तब भी जनता के मुद्दों को मजबूती से रखने का काम किया। आगे भी यह काम करता रहूँगा। डॉ. मीणा ने शंकराचार्य के प्रकटोत्सव में लोगों को संबोधित करते करते हुए कहा कि आज की राजनीति भगवान राम के जैसी है ये संभव नहीं है, लेकिन राजनीति को इस ओर मोड़ना होगा।
राजनीतिक पर्यवेक्षको का मानना है कि राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार को यह एक बड़ा झटका लगा है। मंत्रीमंडल के वरिष्ठ सदस्य डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा देने से भाजपा में खलबली मच गई है। पार्टी अपने इस क़द्दावर मीणा नेता को पिछले कई दिनों से मनाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वे नहीं माने। डॉ. मीणा पहले ही कह चुके थे कि वे पूर्वी राजस्थान में भाज़पा की हार की नैतिक ज़िम्मेदारी का निर्वहन करते हुए वे इस्तीफा देंगे। कई नेताओं ने सोचा था कि यह केवल राजनीतिक बयानबाजी है लेकिन मंत्री पद से इस्तीफा देकर डॉ. मीणा ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी चौंका दिया है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में पूर्वी राजस्थान की कुछ सीटों दौसा,टोंक सवाई माधोपुर,करौली धौलपुर ,भरतपुर आदि पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। पीएम नरेंद्र मोदी ने डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को पूर्वी राजस्थान की सात लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी दी थी। इन सात सीटों में से अलवर, कोटा बूंदी और झालावाड़ बाँरा में भाजपा जीती लेकिन चार सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। विशेष कर दौसा और टोंक लोकसभा संसदीय क्षेत्र मीणा के बड़े प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता रहा है,लेकिन इस बार वहां भी भाजपा हार गई।इसके बाद कांग्रेस के लगातार हमलों के मध्य डॉ. मीणा ने फिर से कहा कि ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाई पर बचन न जाई’ और कई दिनों तक चले क़यासों का पटाक्षेप करते हुए अब उन्होंने अपना इस्तीफ़ा सार्वजनिक भी कर दिया है ।
राज्य विधान सभा का सत्र चलने केआर दौरान आई इस खबर से भाजपा असहज स्थिति में आ गई है। डॉ. मीणा ने मीडिया के सामने चुप्पी साध ली थी और अब उन्होंने अपना वचन निभाते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। डॉ. मीणा सरकारी सुविधाएं पहले ही छोड़ चुके थे।डॉ. मीणा ने सचिवालय स्थित कृषि विभाग के दफ्तर भी जाना छोड़ दिया था। भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में हुई समीक्षा बैठकों में डॉ. मीणा शामिल नहीं हुए। यहां तक कि भाजपा विधायक दल की बैठक और बजट की तैयारी के लिए हुई मंत्रिमंडल और कैबिनेट की बैठकों से भी दूरी बना ली थी।
इस दरमियान डॉ. मीणा के इस्तीफे को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर रहा । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई नेता बार बार डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को उनका वचन याद दिलाया और कहा कि उन्हें अपना वचन निभाना चाहिए। राजस्थान में यह इस वक्त का सबसे बड़ा सियासी घटनाक्रम है और राजस्थान की भजनलाल सरकार को यह एक बड़ा झटका है। बताया जा रहा है कि इस घटनाक्रम के बाद डॉ. मीणा को भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने पुनः नई दिल्ली बुलाया है।
उल्लेखनीय है कि डॉ. किरोडी लाल मीणा 6 बार के विधायक हैं और वे प्रदेश की भाजपा सरकार में दूसरी बार भजन लाल शर्मा की वर्तमान सरकार में केबिनेट मंत्री बने। इससे पहले वे वर्ष 2003 से 2008 तक वसुंधरा राजे के शासनकाल के दौरान भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। इसके साथ ही वे दो बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। डॉ. मीणा भजनलाल सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग और श्रम नियोजन जैसे बड़े विभाग संभाल रहे थे।यह भी उल्लेखनीय हैं कि डॉ. किरोडी अपने जुझारूपन के लिए हमेशा चर्चित रहे है।उन्होंने 400 से भी अधिक जन आन्दोलन किए हैं। उनकी पहले भी अपनी पार्टी भाजपा और तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के साथ अनबन हुई थी और एक वक्त उन्होंने भाजपा पार्टी छोड़ कर कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में अपनी पत्नी गोलमा देवी को मन्त्री तक बनवा दिया था।
इधर राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के दूसरा दिन भी हंगामेंदार रहा। आदिवासियों के डीएनए जांच वाले बयान पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से माफी मंगवाने और इस्तीफे की मांग को लेकर विधानसभा में गुरुवार को पूरा शून्यकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया।नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि शिक्षा मंत्री दिलावर ने अपने बयान पर माफी नहीं मांगी है और मुख्यमंत्री भजनलाल ने उनसे इस्तीफा भी नहीं लिया है । प्रतिपक्ष की यह दो ही प्रमुख मांगे हैं। इसके बाद इन दो मुद्दों को लेकर प्रतिपक्ष ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि शिक्षा मंत्री दिलावर आदिवासी समुदाय के लिए यह कहे कि आपका बाप कौन है?आपका डीएनए टेस्ट करवाएंगे। इससे प्रदेश की गरिमा को चोट पहुंची है और ऐसा व्यक्ति विधानसभा के अंदर जवाब दे रहा है, सदन के अंदर आ रहा है। मुख्यमंत्री शर्मा को ऐसे व्यक्ति को तत्काल मंत्री पद से हटाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिलावर ने अपने बयान के लिए आदिवासी समाज से माफी नहीं मांगी है। यह साधारण मामला नहीं है।
वहीं शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने विधान सभा ने अपने बयान का खुलासा करते हुए कहा कि आदिवासी हिंदू हैं और हिंदू रहेंगे ।आदिवासियों ने हमारी संस्कृति को बचाया है। मेरे मन में आदिवासी समाज के बारे में कोई नकारात्मक चर्चा करना कभी नहीं रहा। मैं यह जानता हूं कि अनादि काल से इस देश में आदिवासी रहता आया है और आदिवासी समाज का हम सभी सम्मान करते हैं। मैंने बिरसा मुंडाजी का नाम भी सुना और उनके बारे में पढ़ा है। बिरसा मुंडा भगवान के नाम से जाने जाते हैं, ऐसे समाज के बारे में मेरे बारे में जो भ्रम फैलाया जा रहा है वह कदापि सही नहीं है।
दिलावर ने बताया कि एक पत्रकार ने मुझसे पूछा था कि भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत ने ऐसा कहा है कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं, तो उस पर मेरा मंतव्य यह था कि आदिवासी हिंदू हैं और सदैव हिंदू रहेंगे। आदिवासी समाज अनादिकाल से पृथ्वी पर रहता आया है, हम सब भी आदिवासी ही हैं।
क्योंकि हम आदिकाल से यहां रहते आए हैं। मैं आदिवासी महापुरुषों को प्रणाम करता हूं, नमन करता हूं और मैं श्रद्धा से उनका नाम लेता रहता हूं। जब पत्रकार ने दोबारा पूछा कि वो तो अपने आप को हिंदू नहीं मानते हैं तो मैंने कहा कि वंशावली दिखवा लेंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि मेरे से वह शब्द नहीं निकलना चाहिए था जिसकी चर्चा की जा रही हैं।
उल्लेखनीय है कि बांसवाड़ा डूँगरपुर के नवनिर्वाचित सांसद राजकुमार रोत द्वारा आदिवासियों को हिंदू नहीं मानने के बयान के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई और भजनलाल सरकार के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी एक बड़ा बयान दे दिया। इसके बाद सांसद राजकुमार रोत और मदन दिलावर एक दूसरे के सामने हो गए हैं। दिलावर ने रोत के बयान को लेकर कहा था कि अगर वह हिंदू नहीं है, तो उनके डीएनए की जांच करा लेंगे। इस बयान के बाद राजकुमार रोत ने गहरी नाराजगी जताते हुए उन्हें करारा जवाब दिया और कहा कि दिलावर का मानसिक संतुलन ठीक नहीं लगता। हालाँकि आदिवासी हिंदू नहीं हैं। इस बयान को लेकर राजकुमार रोत सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल भी हुए है तथा सकल आदिवासी समुदाय ने भी उनका विरोध किया हैं।
सांसद राजकुमार रोत ने एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘मैं हिंदू नहीं हूं! आदिवासी का धर्म हिंदू नहीं है।’ उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के अपने रीति रिवाज है और आदिवासी समुदाय के अलग है। दरअसल रोत कई बार यह कह चुके हैं कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं और आदिवासी संस्कृति अलग है, उनके देवता अलग हैं। आदिवासी समाज हमेशा से ही प्रकृति का पूजक रहा है। इस दौरान उनसे पूछा गया कि उनका नाम राजकुमार भी हिंदू धर्म से ही जुड़ा है, तो उन्होंने कहा कि किस ग्रंथ में लिखा हुआ है कि राजकुमार नाम हिंदू धर्म का है। हम हिंदू धर्म नहीं मानते, न ही ईसाई धर्म मानते हैं। उन्होंने भाजपा सांसद चुन्नीलाल गरासिया का उदाहरण देते हुए कहा कि चुन्नीलाल जी ने भी अपने नॉमिनेशन फॉर्म में धर्म के कॉलम में हिंदू नहीं लिखा था।बीते दिनों सांसद राजकुमार रोत अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ जयपुर में अमर जवान ज्योति से दिलावर के सरकारी आवास पर अपनी डीएनए जांच के लिए ब्लड सैंपल देने के लिए भी निकले थे ।इस दौरान दिलावर के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की गई,लेकिन सांसद राजकुमार रोत और उनके समर्थकों को पुलिस ने आंबेडकर सर्किल पर ही रोक लिया ।अमर जवान ज्योति पर ही अपना ब्लड सैंपल भरने के बाद रोत ने कहा कि यह मामला कहीं से भी दबने वाला नहीं है और यह मुद्दा विधानसभा में उठाया जाएगा और मैं संसद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के सामने भी यह मुद्दा उठाऊंगा।हालाँकि जयपुर में पुलिस ने रोत और बाकी लोगों से उनका सैंपल ले लिया था।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राजस्थान में आदिवासियों और मीणा राजनीति को लेकर उत्पन्न हुआ यह भारी बवाल किस प्रकार शान्त होगा और क्या भजनलाल शर्मा मंत्रीपरिषद के सबसे वरिष्ठ मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा शीर्ष नेतृत्व की समझाईश पर अपना इस्तीफा वापस लेंगे?