झारखंड में धर्मातरण और संताल में डेमोग्राफी बदलाव का मुद्दा इन दिनों काफी गरमाया हुआ है

The issue of conversion in Jharkhand and demographic change among Santals is very hot these days

रविवार दिल्ली नेटवर्क

इन दिनों झारखंड में धर्मातरण और संताल में डेमोग्राफी बदलाव का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। यहां तक के झारखंड हाईकोर्ट में भी इससे जुड़े जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। राज्य में आदिवासियों का धर्मांतरण रोकने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

झारखंड हाईकोर्ट ने आदिवासियों का धर्मांतरण रोकने की मांग को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि झारखंड के किन किन जिलों में आदिवासियों का धर्मांतरण किया जा रहा है और अब तक यह सख्या क्या है और इसे रोकने के लिए क्या कार्रवाई हो रही है।

दरअसल इससे पहले भी एक जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में पिछले दिनों संताल के डेमोग्राफी चेंज से जुड़े मामले पर सुनवाई हुई। न्यायालय ने साफ तौर पर सरकार को यह निर्देश दिया कि घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने की योजना बनायी जाये।

ज्ञात हो कि झारखंड के संताल परगना में बांग्लादेशियों की घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा रहा है और संताल परगना में घुसपैठ को लेकर भाजपा शुरू से ही आक्रामक भी रही है। उसने इस मुद्दे को संसद से लेकर विधानसभा में भी उठाया है। गुरुवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ का मुद्दा भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने उठाया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण संताल परगना क्षेत्र में आदिवासियों की आवादी घट रही है।

भाजपा का कहना है कि सताल परगणना में कई बूथों पर एक विशेष समुदाय के मतदाताओं की संख्या अप्रत्याशित तौर पर कई गुणा बढ़ी है। भाजपा नेता इसे लोकतंत्र के लिए खतरा मान रहे हैं।

भाजपा जहां झारखंड सरकार में शामिल दलों पर तुष्टिकरण का आरोप लगा रहा है, वहीं सत्ता पक्ष इस मुद्दे पर भाजपा पर सवाल खड़ा कर रही है। झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि यह सब सिर्फ भाजपा का राजनीतिक मुद्दा है।

धर्मातरण के मामले पर हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी लेकिन चुकि इसी वर्ष राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में यहा मुद्दा सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए राजनीतिक हथियार भी बनता दिख रहा है।