प्रेत योनि से मुक्ति के लिए पिंडदान

Pind Daan to get rid of ghost vagina

रविवार दिल्ली नेटवर्क

गया : ऐसी मान्यता है की प्रेतशीला में पिंडदान करने से अकाल मृत्यु को प्राप्त पितरों को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। बतलाया जाता है की भगवान राम ने भी ब्रह्मकुंड में स्नान कर यहां पिंडदान किया था।

बिहार के गयाजी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला चल रहा है। 17 सितंबर से एक पखवाड़े तक गयाधाम में आयोजित पितृपक्ष मेला में 45 पिंडवेदियों पर पिंडदान का विधान है।

प्रेतशिला भी उन वेदियों में से एक है। प्रेतशिला में पिंडदान से पितरों को प्रेतयोनि से मुक्ति मिल जाती है और उन्हें ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। जो भी व्यक्ति अकाल मृत्यु का शिकार हुए हैं, जिनकी मौत जलने से,आत्महत्या से, दुर्घटना से, डूबने से, किसी के द्वारा हत्या कर दिए जाने या अन्य किसी घटना में हुई है, ऐसे अकाल मृत्यु वाले पितर प्रेत योनि में चले जाते हैं और माना जाता है कि प्रेतशीला पिंडवेदी पर उनका वास होता है। इसे लेकर पिंडदानी अपने पितरों को प्रेतयोनि की बाधा से मुक्त करने के लिए यहां पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड करते हैं।

उल्लेखनीय है की प्रेतशीला कुंड प्रेतशीला पहाड़ की तराई में और वेदी पर्वत के शिखर पर स्थित है। जहां 663 सीढ़ियां चढ़कर पिंडदानी प्रेतशिला पिंडवेदी तक पहुंचते हैं। प्रेतशीला वेदी के सटे पश्चिम एक बड़ा सा शीला है। ऐसी मान्यता है कि इस शीला पर सतुआ उड़ाने से पितरों को पैठ /प्राप्त होता है। इसीलिए प्रेतशीला वेदी पर पिंड समर्पित करने आने वाले पिडदानी शीला पर सतुआ जरूर उड़ाते हैं। प्रेतशिला पहाड़ी के नीचे तीन कुंड हैं, जिसे निगरा कुंड, सुख कुंड और सीता कुंड कहा जाता है।

इसके अलावे यहां ब्रह्म कुंड है। जहां पिंडदानी पहुंचकर सबसे पहले स्नान करते हैं और उसके बाद पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड करते हैं।