अब एनसीआर और आस-पास के क्षेत्रों में पराली जलाने के मामले में निष्क्रियता बरतने पर चलेगा मुकदमा

Now case will be filed for inaction in case of stubble burning in NCR and surrounding areas

किसानों का मानना है कि पराली जलाना नही वरन प्रदूषण का बढ़ना इस समस्या का मूल कारण

गोपेंद्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली : अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर और आस-पास के क्षेत्रों में पराली जलाने के मामले में निष्क्रियता बरतने पर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलेगा। उधर किसानों का मानना है कि पराली को जलाना नही वरन प्रदूषण का बढ़ना इस समस्या का मूल कारण हैं।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर में दीपावली से पूर्व और पश्चात धान की पराली जलाने से पूरी दिल्ली राजस्थान हरियाणा पंजाब उत्तर प्रदेश और आसपास का पूरा इलाका भारी स्मॉग से भर जाता है और इसका असर न केवल वायु गुणवत्ता पर पड़ता है वरन जन सामान्य के स्वास्थ्य पर भी उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह समस्या वर्ष दर वर्ष बढ़ती ही जा रही है।

खेतों में पराली जलाने से वायु गुणवत्ता पर पड़ने वाला प्रभाव गंभीर चिंता का विषय है और प्रदूषण नियंत्रण आयोग ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की राज्य सरकारों, जीएनसीटीडी, एनसीआर राज्यों के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों, पंजाब और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और ज्ञान संस्थानों सहित संबंधित हितधारकों के साथ परामर्श करके इस मुद्दे पर गहरा विचार-विमर्श किया जा रहा है।

पिछले वर्षों 2021,2022 और 2023 के दौरान क्षेत्र के अनुभव और सीख के आधार पर, धान की कटाई के मौसम के दौरान धान की पराली जलाने की रोकथाम और नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करते हुए पंजाब, हरियाणा और यूपी (एनसीआर जिलों) के लिए कार्य योजनाओं को 2024 के लिए अप ग्रेड किया गया है, जिसका लक्ष्य इस कृषि पद्धति यानी पराली जलाने को पूरी समाप्त करना है।हालांकि, 15 सितंबर से 9 अक्टूबर, 2024 की अवधि के दौरान पंजाब और हरियाणा राज्यों से क्रमशः कुल 267 और 187 धान अवशेष जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं है।

वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए और क्षेत्र स्तर पर कार्य योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, सीएक्यूएम ने अधिनियम 2021 की धारा 14 के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के एनसीआर क्षेत्रों और दिल्ली के एनसीटी में उपायुक्तों,जिला कलेक्टरों,जिला मजिस्ट्रेटों को अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में धान के अवशेष जलाने को समाप्त करने की दिशा में प्रभावी प्रवर्तन के लिए जिम्मेदार विभिन्न स्तरों पर नोडल अधिकारियों और पर्यवेक्षी अधिकारियों और स्टेशन हाउस अधिकारियों सहित अधिकारियों के संबंध में निष्क्रियता के मामले में क्षेत्राधिकार न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत और अभियोजन दायर करने के लिए अधिकृत किया है।

सीएक्यूएम ने संबंधित जिला प्रशासन और राज्य सरकारों को अधिक जिम्मेदारी निभाने और कटाई के मौसम में धान के अवशेष जलाने को नियंत्रित करने के लिए निरंतर और सख्त निगरानी बनाए रखने का निर्देश भी दिया है।

इसके अलावा, सीएक्यूएम ने पंजाब और हरियाणा के हॉट स्पॉट जिलों में 26 केंद्रीय टीमों को तैनात किया है, ताकि वे जिला स्तर के अधिकारियों के साथ निकट संपर्क बनाए रखें, ताकि विभिन्न इन-सीटू,एक्स-सीटू प्रबंधन अनुप्रयोगों के लिए सभी उपलब्ध संसाधनों,साधनों के उपयोग को लागू किया जा सके। इसके अलावा चंडीगढ़ में एक “धान पराली प्रबंधन प्रकोष्ठ” की स्थापना भी की जा रही है ताकि क्षेत्र स्तर की कार्रवाइयों की समन्वित और निरंतर निगरानी की जा सके।

पराली जलाने की समस्या से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बाशिंदे इतने परेशान है कि रात और अल सवेरे गाड़ियों को चलाने में उन्हे भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और अक्सर कई वाहनों के एक्सीडेंट होते है तथा जान माल का नुकसान होता हैं।

इधर कई किसानों का कहना है कि केवल पराली जलाना ही इस समस्या का एक मात्र कारण नहीं हैं बल्कि प्रदूषण का बढ़ना इसका सबसे बड़ा कारण है। इसलिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सरकार और प्रशासन को इसके निराकरण के उपाय खोजने चाहिए । यदि शहर और गांव स्वच्छ हो जायेंगे तो प्रदूषण की समस्या स्वत ही सुलझ जाएंगी। किसानों का कहना है कि खेतों में पराली अनेक वर्षों से जलाई जा रही है लेकिन पहले यह समस्या नही थी । अब प्रदूषण के बढ़ने से यह समस्या और अधिक गहरा गई है।सरकार को इसकी असली जड़ में जाकर इस समस्या का हल खोजना चाहिए।

देखना है इस गंभीर समस्या को हल करने की दिशा में भारत सरकार और राज्य सरकार क्या कदम उठाती है?