बिहार की विलुप्त होती पारंपरिक सिक्की आर्ट कला : ना तो इसके कलाकार बचे और ना ही इसके कद्रदान

Bihar's extinct traditional Sikki art: Neither its artists survive nor its admirers

रविवार दिल्ली नेटवर्क

पूर्णिया : पूर्णिया का एक कलाकार बिहार की विलुप्त होती पारंपरिक सिक्की आर्ट कला को न सिर्फ बढ़ावा दे रहा है, बल्कि आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर इस कला को ऊंचाइयों तक पहुचाया है । क्या है सिक्की आर्ट कला देखते हैं। मां जानकी के विदाई के अवसर पर उपहार में मुज यानी सिक्की से बनी मौनी,पौती,सखारी और पूरा भी दिया गया था । मिथिलांचल के पारंपरिक कला में एक सिक्की से बने सामान आज भी बेटी के विदाई के अवसर पर उपहार में दी जाती है । लेकिन बदलते दौर में इस कला में कमी आ गई । ना तो इसके कलाकार बचे और ना ही इसके कद्रदान । लेकिन पूर्णिया के राजेश कर्ण पांच पीढ़ियों से सिक्की आर्ट कला को जीवंत बनाए हुए हैं । इनके द्वारा विभिन्न तरह के सुंदर आकृतियों में पारंपरिक सामान बनाए गए हैं।

वहीं इस कला को और भी अधिक जीवंतता देने के लिए राजेश ने विभिन्न तरह के चित्र भी बनाए हैं। इनके द्वारा बनाए गए चित्र को राजनेताओं द्वारा सम्मान स्वरूप भेंट करने में भी प्रयोग किया जाता है। राजेश कहते हैं कि इसकी मांग विदेश में ज्यादा है और इस कला के कारण राजेश को राज्य स्तर पर कई सम्मान भी प्राप्त हो चुका है ।

,सिक्की कलाकार राजेश अपनी इस कला को आने वाली पीढ़ी को सीखाना चाहते हैं । यही कारण है कि अपने पुत्रों को भी सिक्की आर्ट कला सीखा रहे है ताकि आने वाली पीढ़ी भी सिक्की आर्ट को जिंदा रख सके ।