- भारतीय टीम में वापसी की बात हमेशा जेहन में चलती है
- महिला एचआईएल हॉकी इंडिया की एक अच्छी पहल
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : रानी रामपाल को भारतीय सीनियर हॉकी टीम के लिए सबसे कम मात्र 14 बरस की उम्र में खेलने का गौरव हासिल है। वह पहली बार हो रही महिा हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) 2024-25 में जेएस डब्ल्यू की हॉकी सूरमा हॉकी क्लब में महिला टीम की मेंटोर है। रानी रामपाल भारत की गरीब पृष्ठभूमि से आने वाली महिला हॉकी खिलाड़ियों की सबसे प्रेरणा हैं और वह भारत की लगातार दो ओलंपिक में शिरकत करने वाली महिला हॉकी टीम की सदस्य रही। रानी भारत की 2018 में एशियाई खेलों मे रजत और 2014 में इंचियोन में कांसा जीतने वाली तथा 2013 में मॉन्शेनग्लाडबाख(जर्मनी) में कांसा जीतने वाली जूनियर भारत हॉकी सदस्य रही। 29 बरस की रानी रामपाल ने कहा, ’ हॉकी मेरा जुनून है। मैंने अपनी हॉकी जुनून के साथ खेली। हॉकी में बतौर खिलाड़ी खेलने के साथ हॉकी में अन्य चीजों मसलन मेंटोर और कोच भी हाथ आजमाने की मेरी तमन्ना थी। महिलाओं के लिए हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) हॉकी इंडिया की एक प्रशंसनीय पहल है। ।हॉकी खिलाड़ी से हॉकी कभी छूटती नहीं है उसके जेहन में बतौर खिलाड़ी हॉकी का कीड़ा रहता है। कभी आपको फैसला लेना पड़ता है। वह मुकाम भी आता है जब एक बार आपको अपनी हॉकी टांगने का फैसला करना पड़ता है। मैंने हॉकी टीम मे कोचिंग भी संभाली । मैंने बहुत समय तक भारतीय हॉकी टीम में वापसी की कोशिश की लेकिन यह हो नहीं सका हालांकि हॉकी में टीम में वापसी की बात मेरो जेहन में अभी भी चलती रहती है।‘
रानी रामपाल ने कहा, ’ हमें महिला हॉकी लीग का बहुत समय से इंतजार था। मैं एक महिला एथलीट हूं औा सूरमा हॉकी क्लब से बतौर मेंटोर जुड़ का आने वाले समय के लिए भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ियों को तैयार करना है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पिछले लगातार दो ओलंपिक में कांसा जीतने में 2017 में हुई अंतिम एचआईएल का बड़ा योगदान था। भारतीय नौजवान महिला खिलाड़ी चार से आठ बरस से इसमें खेलेंगी तो उनका खुद का खेल तो बेहतर होगा कि उन्हें अच्छा पैसा भी मिलेगा इसका श्रेय हॉकी इंडिया को है। बेशक फिलहाल महिला हॉकी लीग में पैसा कम है और इसमें फिलहाल चार टीमें हैं और आने वाले समय और ज्यादा टीमें एचआईएल में खेलेंगी और ज्यादा टीमें इसमें पैसा डालना चाहेगी।हमें 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम के क्वॉलिफाई न करने का बेशक मलाल है। हर दिन आपको सिखाता है लेकिन हार जीत खेल का हिस्सा है। 2024 अतीत है। मुझे पूरी उम्मीद है कि फिर से हरेन्द्र सर के भारतीय महिला हॉकी टीम के चीफ कोच की वापसी में हमारी भारतीय हॉकी टीम पहले 2026 में एशियाई खेलों में स्वर्ण जीत सीधे 2028के लॉस एंजेल्स ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने के साथ वहां अच्छा प्रदर्शन करेगी। हरेन्द्र सर हमारी लड़कियों को अपनी हिंदी भाषा में बात करते हैं तो लड़कियों को बात समझ में आती है। अपनी भाषा और संस्कृति को हरेन्द्र सर अच्छी तरह समझते है। मैं खुद हरेन्द्र सर के मार्गदर्शन में खेली और उनमें तिरंगे औार देश के लिए एक अलग ही जुनून है। हरेन्द्र सर हमेशा लड़कियों को देश के सर्वश्रेष्ठ देने को प्रेरित करते हैं।