बिहार में पैथोलॉजी सेवा निविदा का मामला पहुंचा हाई कोर्ट, बिहार की जनता को मिल रही स्वास्थ्य जाँच सुविधा पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है, क्योंकि बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी द्वारा राज्य के स्वास्थ्य केंद्रों पर पैथोलॉजी सेवा के लिए खोले गए टेंडर पर कई विवाद पैदा हो गए हैं और मामला पटना हाई कोर्ट पहुंच गया है।
विवेक शुक्ला
बिहार की जनता को मिल रही स्वास्थ्य जाँच सुविधा पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है, क्योंकि बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी द्वारा राज्य के स्वास्थ्य केंद्रों पर पैथोलॉजी सेवा के लिए खोले गए टेंडर पर कई विवाद पैदा हो गए हैं और मामला पटना हाई कोर्ट पहुंच गया है।
पहले से बिहार के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में पैथोलॉजिकल टेस्ट की सेवा दे रही कंपनी पी ओ सी टी सर्विसेज ने पटना हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर स्टेट हेल्थ सोसाइटी के टेंडर को रद्द करने की मांग की है। पी ओ सी टी सर्विसेज ने अपनी याचिका में कहा है कि पूरी टेंडर प्रक्रिया में ही गड़बड़ी है और टेंडर की शर्तों को अनदेखा कर एक खास कंपनी को वर्क आर्डर दिया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने इस टेंडर में एल- 1 आने वाली कंपनी को रेट अलग अलग कोट करने के कारण टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर एल- 2 की कंपनी हिंदुस्तान वेलनेस को लेटर ऑफ़ इंटेंट जारी कर दिया है।
अब पी ओ सी टी सर्विसेज ने हाई कोर्ट में हिंदुस्तान वेलनेस की तकनीकी योग्यता को ही चुनौती दी है और यह दावा किया है की हिंदुस्तान वेलनेस टेंडर की शर्तों को पूरा नहीं करती। पी ओ सी टी सर्विसेज की याचिका नंबर CWJC, 25376/2024 पर सुनवाई छठ की छुट्टी के तुरंत बाद होने की संभावना है।
पी ओ सी टी सर्विसेज ने पटना हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि हिंदुस्तान वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड, जिसे निविदा मूल्यांकन प्रक्रिया में एल2 के रूप में वर्गीकृत किया गया है, के पास प्रतिवर्ष 20 लाख परीक्षणों की अपेक्षित परीक्षण क्षमता ही नहीं है, जबकि निविदा दस्तावेज के खंड V, खंड 2.4 के तहत निर्धारित शर्तों में 20 लाख परीक्षण की क्षमता होना एक प्रमुख आवश्यकता है। इस अनिवार्य क्षमता के बिना किसी भी कंपनी के लिए निविदा प्रक्रिया में आगे भाग लेना मुश्किल है।
बिहार वित्तीय नियमों में उल्लिखित पात्रता मानदंडों के अनुसार केवल तकनीकी रूप से सक्षम बोलीदाताओं को ही आगे वित्तीय निविदा में बढ़ने की अनुमति दी जा सकती है। पी ओ सी टी सर्विसेज ने अपनी याचिका में यह कहा है कि हिंदुस्तान वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड की बोली गैर-अनुपालन योग्य है, इसलिए इसे सफल बिडर के रूप में घोषित नहीं किया जा सकता। ऐसे बोलीदाता को निविदा प्रक्रिया में आगे बढ़ने की अनुमति का सीधा मतलब है बिहार राज्य भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को दी जाने वाली पैथोलॉजी सेवाओं की गुणवत्ता से खिलवाड़ करना है ।
उल्लेखनीय है कि बीते 23 अक्टूबर से ही बिहार स्वास्थ्य विभाग के खुले टेंडर में गड़बड़ी की खबर आ रही है। इस टेंडर में भाग लेने वाले सात कंपनियों में से छह ने यह पाया कि स्वास्थ्य समिति ने पैथोलॉजी सर्विसेज के लिए जो वित्तीय टेंडर 23 अक्टूबर को देर शाम खोले थे, उनमें एल 1 आने वाली कंपनी साइंस हाउस के फाइनेंसियल बिड में काफी असमानताएँ थीं। खोले गए टेंडर में इस कंपनी ने अलग अलग जगह पर अलग अलग रेट डाले थे । इस टेंडर में शामिल अन्य कंपनियों ने जब इस मुद्दे को उठाया तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बंगले झांकते नजर आये और लगभग डेढ़ घंटे बाद यह कह कर सभी कंपनियों को बाहर भेज दिया गया कि इस मुद्दे को टेंडर कमिटी देखेगी और जो भी निर्णय होगा, उसे वेबसाइट पर डाल दिया जायेगा। सबसे बड़ी अनिमियतता यह नजर आई कि स्वास्थ्य विभाग ने टेंडर खुलने के बाद कार्रवाई शीट पर किसी का भी दस्तखत नहीं करवाया और अधिकारी आनन फानन में कार्रवाई समाप्त करते नजर आये।
बिहार स्वास्थ्य समिति ने सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर पैथोलॉजी जाँच के लिए निविदा निकाले थे, जिसकी अंतिम तिथि 3 अक्टूबर थी। एनआईटी संख्या 09/SHSB/ पैथोलॉजी सर्विसेज /2024 -25 के तहत 7 कंपनियों को तकनीकी रूप से सक्षम घोषित कर 23 अक्टूबर 2024 को शाम 5 बजे इनका फाइनेंसियल बिड खोला गया और साइंस हाउस कंपनी को एल 1 बताया गया। जब यह फाइनेंसियल बिड खुल रही थी तो इस निविदा में भाग लेने वाली कंपनियों के प्रतिनिधियों ने देखा कि साइंस हाउस के विड में अलग अलग जगह अलग अलग रेट कोट किये गए थे। साइंस हाउस ने एक जगह 1 परसेंट डिस्काउंट का फिगर डाला था तो दूसरी जगह 77 परसेंट डिस्काउंट का। उस समय यह भी देखा गया कि विड खोलने वाले अधिकारी मैनुअली 1 परसेंट वाले शीट को 77 परसेंट करते नजर आये। जब अन्य प्रतिभागियों ने इस पर आपत्ति दर्ज कराइ तो सभी अधिकारी ईडी के कमरे में चले गए और लगभग एक घंटे बाद एक अधिकारी से यह कहलाया गया कि इस आपत्ति पर स्वास्थ्य समिति विचार करेगी और जो भी निर्णय होगा, वेबसाइट पर डाल दिया जायेगा।
हैरानी की बात है कि अधिकारियों ने उस समय लिखित आपत्ति को लेने से भी मना कर दिया, लेकिन इस निविदा में भाग लेने वाली कंपनियों ने ई मेल के जरिये आपत्ति विभाग को भेज दी। बाद में खुद स्टेट हेल्थ सोसाइटी, बिहार ने माना कि साइंस हाउस को लेकर दर्ज कराई गई आपत्ति सही थी और उसे निविदा प्रक्रिया से बाहर करते हुए निविदा मूल्यांकन प्रक्रिया में एल2 के रूप में आई कंपनी हिंदुस्तान वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में पत्र जारी कर दिया। अब मामला हाई कोर्ट में है और इस टेंडर का भविष्य वही से तय होना है। बता दें कि साइंस हाउस का मुख्यालय भोपाल में है।
बेशक, इस सारे मसले का हल जल्दी होने पर ही बिहार के बेबस रोगियों को राहत मिलेगी।