अजय कुमार
लखनऊ : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिला संभल की जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए इस पर कब्जे दिलाने की मांग करते हिन्दू पक्ष ने न्यायपालिका की शरण ली है। संभल के कैला देवी मंदिर के ऋषि राज गिरी समेत आठ वादकारियों ने सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य कुमार सिंह की चंदौसी स्थित कोर्ट में वाद दाखिल किया है। कोर्ट ने कमीशन गठित कर रिपोर्ट मांगी है। अगली सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तिथि निर्धारित की गई है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन की ओर से उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन ने को कोर्ट में वाद दाखिल किया है। हिन्दू पक्ष ने विवादित परिसर के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने और सर्वे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराए जाने का अनुरोध किया। कोर्ट ने इस मामले की में रमेश सिंह को सर्वे कमिश्नर नियुक्त किया।
कोर्ट परिसर से निकलने के बाद अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि संभल में हरिहर मंदिर था, जिसे तोड़कर जामा मस्जिद बना दी गई। इतिहास में ऐसा प्रमाण मिलता है कि 1529 में बाबर ने हरिहर मंदिर को एक मस्जिद में तब्दील कर दिया था। इसका प्रमाण बाबरनामा में भी मिलता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के समक्ष भी यही बात कही गई है ताकि हरिहर मंदिर का सच सामने आ सके।
वहीं इस संबंध में मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता जफर अली का कहना है कि पूर्व में जामा मस्जिद का सर्वे करने के लिए कोर्ट से अधिवक्ता आयुक्त आए थे। उन्होंने मस्जिद का सर्वे किया । फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की। जिस आधार पर हिन्दू पक्ष का दावा पूरी तरह बेबुनियाद है। यह चुनावी एजेंडा है और इससे ज्यादा कुछ नहीं।उधर, कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि अभी प्राथमिक तौर पर सर्वे किया है। जिसमें पुलिस.प्रशासन का सहयोग रहा। अभी मस्जिद की पैमाइश नहीं की गई है। सर्वे की प्रक्रिया अभी जारी रहेगी। उसके बाद ही सर्वे रिपोर्ट न्यायालय में पेश होगी। इसके लिए हमारे पास एक सप्ताह का समय है।
विष्णु शंकर जैन कहा कि ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार इसी जगह पर होगा। इसलिए यह स्थान पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण पूजा स्थल है। सीनियर डिविजन संभल स्थित चंदौसी के सामने दीवानी दावा किया गया है। जिससे हरिहर मंदिर का सच कोर्ट के सामने आ सके।जामा मस्जिद के सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर मंगलवार की शाम करीब छह बजे पुलिस.प्रशासन के अधिकारियों के साथ पहुंचे। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मस्जिद के बाहर एकत्र हो गए। पुलिस ने किसी तरह भीड़ को हटाया। मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली एडवोकेट और अन्य सदस्यों ने अधिवक्ता आयुक्त के साथ सर्वे शुरू कराया। करीब डेढ़ घंटे के सर्वे के दौरान मस्जिद के हर हिस्से के फोटो लिए गए और वीडियोग्राफी की गई।