मां प्रीतम के नक्शेकदम पर भारतीय हॉकी की नई ‘रानी कणिका सिवाच

Indian hockey's new 'queen' Kanika Siwach follows in mother Pritam's footsteps

  • कणिका बोली,पहली महिला एचआईएल भारतीय महिला हॉकी के लिए गेम चेंजर
  • ध्यान जू. महिला एशिया कप की खिताबी जीत की लय को एचआईएल में जारी रखने पर
  • जू. महिला हॉकी एशिया कप की खिताबी जीत ने बताई जेहनी मजबूती की अहमियत
  • महिला एचआईएल दुनिया की शीर्ष खिलाड़ियों के साथ खेल अपना खेल बेहतर करने का मौका

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : अपनी मां और अपने जमाने की बेहतरीन स्ट्राइकर और भारत की पूर्व कप्तान प्रीतम सिवाच के नक्शेकदम पर चलते हुए उनकी सोनीपत स्थित अकादमी में हॉकी का ककहरा सीख कर हाल ही मस्कट(ओमान)में भारत को जूनियर महिला हॉकी एशिया कप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाली लंबे कद की कणिका सिवाच ने भारत की हॉकी की नई ‘रानी’ के रूप में अपनी अलग पहचान बनानी शुरू कर दी। कणिका के तीसरे क्वॉर्टर में दागे गोल की बदौलत भारत ने पिछड़ने के बाद चीन के खिलाफ जूनियर महिला हॉकी एशिया कप फाइनल में निर्धारित समय में एक एक की बराबरी पाई और फिर गोलरक्षक निधि के शूटआतीन बेहतरीन बचावों की बदौलत 3-2 से जीत दर्ज कर लगातार दूसरी बार खिताब अपने नाम किय था। कणिका फाइनल में शूटआउट में गोल करन से चूकने के टूर्नामेट में सबसे ज्यादा 12 गोल करन वाली अपनी वरिष्ठ साथी दीपिका सहरावत के बाद कुल आठ गोल कर भारत के लिए सबसे ज्यादा गोल करने में दूसरे और टूर्नामेंट में तीसरे नंबर पर रही थी। अपनी मां प्रीतम की तरह कणिका रफ्तार के साथ धार दिखा खुद गोल करने के साथ पेनल्टी कॉर्नर बनाने का हुनर भी इतनी कम उम्र में बहुत जानती हैं। अब कणिका सिवाच की निगाहें 2025 में पहली महिला हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) में ओडिशा वॉरियर्स के लिए नीदरलैंड की चतुर मिडफील्डर यिबी येनसन और अपनी मां की शागिर्द नेहा गोयल के साथ मिलकर दुनिया की धुरंधर खिलाड़ियों के साथ खेल अपनी एक अलग पहचान बनाने पर लगी हैं।

19 बरस की भारत की तेज तर्रार स्ट्राइकर कणिका सिवाच अगले साल होने वाली पहली महिला हॉकी इंडिया लीग में ओडिशा वॉरियर्स ने तीन लाख दस हजार रुपये में खरीदा है। कणिका सिवाच जूनियर महिला हॉकी एशिया कप में भारत को खिताब जिताने के बाद अपना पूरा ध्यान पहली महिला हॉकी इंडिया (एचआईएल) में ओडिशा वॉरियर्स के लिए अपनी हॉकी की कलाकारी दिखाने पर लगा है। जूनियर महिला हॉकी एशिया कप में भारत को खिताब जीतने के बाद अब महिला हॉकी इंडिया लीग के अगले पड़ाव की बाबत कणिका कहती हैं, ‘मेरा पूरा ध्यान जूनियर एशिया कप की खिताबी जीत की लय को एचआईएल में जारी रखने पर है। हमारी जूनियर महिला हॉकी एशिया कप की खिताबी जीत ने हमें आत्मविश्वास दिया और जेहनी मजबूती की अहमियत बताई। मैं इसी उर्जा के साथ एचआईएल में खेलने को बेताब हूं। हर दिन सीखने की प्रकिया है। मेरा लक्ष्य बराबर अपना खेल बेहतर करना है। मैंने अपनी इस हॉकी यात्रा के दौरान जो कुछ भी सीखा है मैंने जो कुछ मैदान पर दिखाना है। एचआईएल दुनिया की शीर्ष खिलाड़ियों के साथ खेल अपना खेल बेहतर करने का मौका है। निजी तौर पर मेरा लक्ष्य एचआईएल में खेल बेहतर खिलाड़ी बनना है। एचआईएल जूनियर खिलाड़ियों क लिए अपनी प्रतिभा दिखाने का बेहतरीन मंच है। अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ और उनके खिलाफ खेलना हमारे लिए अपना खेल बेहतर करने का मौका है। पहली महिला एचआईएल भारतीय महिला हॉकी के लिए गेम चेंजर है। एचआईएल हम जूनियर खिलाड़ियों के लिए सीखने और अपने खेल को बेहतर करने का बेहतरीन मंच है। मैं वाकई इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनने को लेकर रोमांचित हूं।‘

वह कहती हैं, ‘मैं आगे महिला हॉकी इंडिया लीग में खेलने को लेकर खासी रोमांचित हूं। मैं महिला एचआईएल में सीनियर प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के साथ खेलने और धुरंधर हॉकी उस्तादों से सीखने पर अपना ध्यान लगाए हूं। महिला हॉकी इंडिया लीग मेरी लिए नई यात्रा होगी और इसमें आगे बढ़ने को बेताब हूं। जूनियर महिला हॉकी एशिया कप की खिताबी जीत की कामयाबी से महिला एचआईएल के लिए मेरा आत्मविश्वास बहुत बढ़ा है। जूनियर हॉकी एशिया कप में खेलने का अनुभव मुझे अगली हीरो हॉकी इंडिया लीग के खुद को तैयार कररे में बहुत लाभ मिलेगा। महिला हॉकी इंडिया लीग (एचआईएल) के लिए ओडिशा वॉरियर्स से जुड़ कर वह अपनी टीम को कामयाबी दिलाने को लेकर रोमांचित हूं। मैं ओडिशा वॉरियर्स जैसी टीम का हिस्सा बनने पर खुद को खुशकिस्मत मानती हूं, जिसमें कई बेहतरीन हॉकी खिलाड़ी और कोच हैं। में महिला एचआईएल में ओडिशा वॉरियर्स के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दे इस का पूरा लाभ उठा यह दिखाने को बेताब हूं कि हम महिला हॉकी खिलाड़ी क्या कुछ कर सकती हैं। खिलाड़ी के लिए रंग में रहने के लिए जरूरी टीमवर्क बेहद जरूरी है। हॉकी में गोल हमेशा टीम प्रयास से होता है। एचआईएल में गोल करने का अपना सिलसिला बनाए रखने के लिए मुझे अपनी टीम की साथियों पर भरोसा कर उनके साथ मिलकर काम करना होगा। तेज रफ्तार हॉकी के एचआईएल के फॉर्मेट की चुनौती के खुद को ढालने के लिए मैं तैयार हूं। महिला एचआईएल की तैयारी का श्रेय मैं सीनियर खिलाड़ियों के मार्गदर्शन और हॉकी उस्तादों की मदद को दूगी। बतौर स्ट्राइकर इन सभी का सहयोग जरूरी होगा।‘