तनवीर जाफ़री
गोदी मीडिया,प्रचार तंत्र,झूठ,धर्म,अतिवाद व बहुसंख्यवाद के बल पर देश को चाहे जो भी सपने दिखाये जा रहे हों परन्तु हक़ीक़त तो यही है कि भारतीय राजनीति में मूल्यों व नैतिकता के स्तर का जितना पतन गत 10-15 वर्षों के दौरान होता दिखाई दिया है उतना पहले कभी नहीं हुआ। जो विपक्ष सत्ता संतुलन के लिये ज़रूरी समझा जाता था जिस विपक्ष को भारतीय सत्ता पक्ष हमेशा मान सम्मान दिया करता था, उसकी आलोचनाओं व संशोधन पर गंभीर हुआ करता था, वही विपक्ष, अब सत्ता को दुश्मन नज़र आने लगा है। गत दस वर्षों में जिस तरह भारतीय जनता पार्टी द्वारा विपक्ष को कमज़ोर यहाँ तक कि समाप्त करने के मक़सद से जो हथकंडे अपनाये गये हैं वह पूरी दुनिया ने देखा है। चुनाव जीतकर आयी सरकारों को गिराना, विपक्षी नेताओं को तरह तरह के आरोपों में उलझाना,फिर उन्हें दलबदल के बाद आरोप मुक्त कर देना,न केवल कथित भ्रष्टाचारियों को आरोप मुक्त करना बल्कि अपने पाले में लाने के बाद इन्हीं भ्रष्ट विपक्षियों को मंत्री, मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री जैसे पदों से नवाज़ना,विपक्ष को राष्ट्रविरोधी,अयोग्य,देशद्रोही, साबित करने के लिये एड़ी चोटी का ज़ोर लगा देना,स्वास्थ्य,शिक्षा,रोज़गार व मंहगाई जैसे ज़रूरी मुद्दों के बजाये धर्म,जाति,क्षेत्र,खान पान व जीवन शैली जैसे निजी मुद्दों में लोगों को उलझाये रखना,अल्पसंख्यक विरोध की राजनीति के बहाने बहुसंख्य मतों को साधने की कोशिश करना जैसी अनेक कोशिशें वर्तमान समय में सत्ता पक्ष द्वारा केवल इसी एकमात्र उद्देश्य के लिये की जा रही है ताकि किसी भी सूरत में विपक्ष समाप्त हो जाये और उन्हें सत्ता न छोड़नी पड़े।
सत्ता की लाख कोशिशों के बावजूद वर्तमान समय में विपक्षी राजनीति की धुरी समझा जाने वाला गांधी-नेहरू परिवार आज भी कश्मीर से कन्याकुमारी तक अपनी पहुँच बनाये रखने वाला तथा प्रतिष्ठा व सम्मान हासिल करने वाला राजनैतिक परिवार है। मोतीलाल नेहरू,स्वरूप रानी नेहरू,कमला नेहरू,जवाहरलाल नेहरू की स्वतंत्रता संग्राम में रही अग्रणी भूमिका से लेकर इंदिरा गाँधी व राजीव गाँधी की क़ुर्बानियों तक ने यह साबित कर दिया है कि यह कोई ऐसा राजनैतिक घराना नहीं जिसे नज़रअंदाज़ या फ़रामोश किया जा सके। उत्तर भारत की तुलना में अधिक जागरूक व शिक्षित समझे जाने वाले दक्षिणी राज्यों में आज भी कांग्रेस विशेषकर गांधी नेहरू परिवार की स्वीकार्यता इस बात का प्रमाण है कि देश में इस परिवार की लोकप्रियता आज भी बरक़रार है। परन्तु सर्वधर्म समभाव,शांति,प्रेम व अहिंसा जैसी गांधीवादी नीतियों का अनुसरण करने वाली कांग्रेस व गांधी नेहरू परिवार का विरोध भाजपा व इनके संरक्षक संघ परिवार द्वारा प्रत्येक स्तर पर किया जाता रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि जितनी राजनैतिक प्रताड़ना इस परिवार को वर्तमान मोदी सरकार के दौर में झेलनी पड़ी है उतनी पहले कभी नहीं झेली।
दर्जनों मुक़द्द्मों में राहुल को उलझाया गया,पिछली लोकसभा में तो उनकी लोकसभा सदस्यता तक छीन ली गयी। उसके बाद आनन् फ़ानन में उनका सरकारी मकान ख़ाली करवा लिया गया। इस परिवार का केवल मनोबल गिराने के लिये विभिन्न सरकारी एजेंसीज़ द्वारा सोनिया व राहुल गांधी से घंटों लंबी पूछताछ की गयी,नतीजा शून्य निकला। करोड़ों रूपये राहुल की छवि धूमिल करने व उन्हें ‘पप्पू ‘ साबित करने में ख़र्च कर दिए गये। भाजपा का पूरा आई टी सेल इसी बात को दुषप्रचारित करने में आज तक लगा हुआ है कि इस परिवार के पूर्वज मुस्लिम थे,यह परिवार मुस्लिम परस्त है,यह हिन्दू विरोधी मानसिकता रखने वाला परिवार है। यह परिवारवादी राजनीति करने वाले लोग हैं। पिछले लोकसभा चुनावों में पूरे देश ने दुष्प्रचार का वह स्तर देखा भी है जबकि भाजपा द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा था कि यदि कांग्रेस (इण्डिया गठबंधन ) सत्ता में आई तो यह राम मंदिर पर बुलडोज़र चलवा देंगे,यह फिर से बाबरी मस्जिद बनवा देंगे,यह आपका मंगल सूत्र छीनकर मुसलमानों को दे देंगे।आपकी भैंस खोल ले जायेंगे। नेहरू गाँधी परिवार से इनकी ईर्ष्या का कारण ही यही है कि यह परिवार वास्तविक भारतीय तहज़ीब का प्रतिनिधित्व करता है। जबकि सत्ता पक्ष संकीर्ण व वैमनस्यपूर्ण विचारों की राजनीति करता है। सत्ता पक्ष के लोग गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करते हैं जबकि कांग्रेस गांधीवादी सिद्धांतों पर चलने वाला दल है।
पिछले दिनों लोकसभा में राहुल गांधी को राजनैतिक दुष्चक्र में उलझाने का एक और सुनियोजित षड्यंत्र रचा गया। भाजपा के सांसद पूर्व मंत्री व ‘गोली मारो सालों को ‘ जैसे आपत्तिजनक नारों के आविष्कारक तथा परिवारवादी राजनीति का नमूना अनुराग ठाकुर, सांसद बांसुरी स्वराज और हिमांग जोशी द्वारा पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस थाने में विपक्ष के नेता व सांसद राहुल गांधी के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 109, 115, 125 131 और 351 के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। इसमें नगालैंड से भाजपा महिला सांसद फान्गनॉन कोन्याक का आरोप है कि -‘राहुल गांधी उनके ‘क़रीब आ गए थे’ और वह असहज हो गई थीं’। इसी तरह बालासोर(ओडिशा) से भाजपा सांसद प्रताप सारंगी ने आरोप लगाया कि ”मैं सीढ़ियों पर था। उस समय राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का मारा और वह मुझ पर गिर पड़े इससे मुझे चोट लग गई। ” इसी तरह उत्तर प्रदेश के फ़रुखाबाद के सांसद मुकेश राजपूत ने भी संसद में हुई धक्का मुक्की के बाद अपने सिर में चोट लगने का आरोप लगाया। उधर कांग्रेस पक्ष के अनुसार भाजपा सांसदों ने राहुल गांधी व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ धक्का-मुक्की की।
संसद में यह शर्मनाक दृश्य उस समय देखे गये जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान निर्माता बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के नाम के साथ कुछ ऐसे शब्द बोल दिये जिससे विपक्ष भड़क उठा। ग़ौरतलब है कि पिछले कुछ समय से भाजपा के ही अनेक मंत्री व सांसद तथा कई वरिष्ठ नेता संविधान बदलने और मनु स्मृति को बतौर संविधान लागू करने की संभावना पर सार्वजनिक रूप से चर्चाएं करते रहे हैं। परन्तु भाजपा ने इन चर्चाओं से पार्टी को अलग तो ज़रूर रखा परन्तु ऐसे नेताओं के विरुद्ध कोई कार्रवाई क़तई नहीं की। यहीं से विपक्ष को यह कहने का अवसर मिल गया कि की भाजपा संविधान विरोधी है तथा संविधान को समाप्त करना चाह रही है। तभी से अनेक विपक्षी सांसद सदन में अक्सर संविधान की पुस्तिका हाथों में लेकर उसे प्रदर्शित करते नज़र आते हैं। उधर भाजपा भी इस विषय पर असमंजस में रहती है कि यदि वह संविधान या बाबा साहब के विरुद्ध सार्वजनिक व आधिकारिक तौर पर कुछ कहती बोलती है तो जो थोड़े बहुत दलित वोट उसे मिलते हैं वह भी उसके हाथों से छिटक सकते हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि सत्ता पर क़ाबिज़ रहने की इन्हीं आकांक्षाओं के चलते भारतीय राजनीति घोर अंधकार युग में प्रवेश करती दिखाई दे रही है।