सोनम लववंशी
बलात्कार और यौन अपराध समाज के हर क्षेत्र में व्याप्त है। इससे खेल भी अछूते नहीं रहे हैं। खेल संस्थानों में प्रशिक्षण के दौरान यौन उत्पीड़न की शिकायतें वर्तमान दौर में बढ़ती जा रही है। कहने को तो खेलों को एक सुरक्षित क्षेत्र माना जाता रहा है। लेकिन यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामलों ने खेल के क्षेत्र को भी सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। अभी हाल ही में अंतराष्ट्रीय स्तर की साइकिलिस्ट और महिला नाविक खिलाड़ी के साथ उनके ही कोच द्वारा यौन उत्पीड़न की घटनाओं ने देश को शर्मसार किया है। कोच द्वारा महिला खिलाड़ी को यौन सम्बन्ध नहीं बनाने पर उसका करियर बर्बाद करने की भी धमकी दी गई। यह कोई पहली घटना नहीं जब किसी महिला खिलाड़ी ने यौन अपराध की शिकायत दर्ज कराई हो। राष्ट्रीय स्तर की महिला नाविक ने भी अपने कोच पर जर्मनी यात्रा के दौरान उन्हें असहज महसूस कराने को लेकर शिकायत दर्ज कराई है। आश्चर्य की बात है कि यह कोच तीन बार का ओलंपियन है और भारतीय नौसेना का कोच है। वहीं दूसरा कोच वायुसेना में अपनी सेवाएं दे चुका है। ऐसे उत्कृष्ट पद पर रहकर जब कोई कोच इस तरह की घटनाएं करता है तो यह कई सवाल खड़े करता है।
वर्तमान समय में खेल में बढ़ता यौन अपराध चिंता का विषय बनता जा रहा है। एक महिला को खेल के क्षेत्र में कितना संघर्ष करना पड़ता है। यह किसी से छुपा नहीं है। यहां तक कि घर परिवार के सदस्यों द्वारा भी महिलाओं को खेलने से रोका जाता है। उन्हें खेल के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है। ऐसे में महिलाओं के साथ खेल के क्षेत्र में यौन हिंसा के बढ़ते मामले चिंता का विषय बन सकते है। साल 2020 के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पिछले 10 वर्षों में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने यौन उत्पीड़न के 45 मामले दर्ज किए है। जिनमे से 29 मामले कोच के खिलाफ यौन उत्पीड़न से जुड़े हुए है। गौर करने वाली बात यह है कि यौन उत्पीड़न के मामलों में कोई ठोस कार्रवाई तक नहीं की जाती है। जिससे भी उत्पीड़न के मामले बढ़ते जा रहे हैं।
वर्तमान दौर में लैंगिक असमानता बढ़ रही है। जिसका असर खेलों पर भी साफ देखा जा सकता है। दुनिया भर में खेलो की लोकप्रियता ने खेल कवरेज में लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा दिया है। बेशक महिला खेल जोखिमों से ग्रस्त है। यहां तक कि स्पोर्ट्स मीडिया भी पुरुष प्रधान है। आंकड़ो की माने तो 90.1 प्रतिशत संपादक और 87.4 प्रतिशत पत्रकार पुरुष है। इसके अलावा टेलीविजन मीडिया की बात करें तो 95 प्रतिशत एंकर व सह एंकर पुरूष हैं। यही वजह है कि महिलाओं को खेलों में पुरूष खिलाड़ियों की तुलना में कम कवरेज़ दिया जाता है।
ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की हालिया रिपोर्ट ने भी खेल के क्षेत्र में बढ़ते यौन शोषण (सेक्सटॉर्शन) पर चिंता व्यक्त की है। भ्रष्टाचार के मामलों पर नजर रखने वाली यह संस्था रोमानिया, जिम्बाब्वे, मेक्सिको व जर्मनी जैसे देशों पर नजर बनाए हुए है। जर्मनी के एथलीटों के बीच किए गए सर्वेक्षण में तीन में से एक मामला यौन शोषण से जुड़ा हुआ पाया गया है। यहां तक कि जिम्नास्टिक व फुटबॉल जैसे खेलों में भी कई हाई प्रोफाइल मामले यौन शोषण से जुड़े हुए है। जबकि अधिकतर मामलों में खिलाड़ी शिकायत तक नहीं करते है। कई बार शिकायत नहीं करने के पीछे करियर बर्बाद होने का डर भी रहता है। खेल के क्षेत्र में यौन शोषण (सेक्सटॉर्शन) के कई हाई प्रोफाइल मामलों ने लोगो का ध्यान भले अपनी और जरूर खींचा है। लेकिन खेल के क्षेत्र में बढ़ते यौन अपराध की प्रमुख वजह शीर्ष स्तर पर महिलाओं की संख्या कम होना है। खेल में लैंगिक असमानता भी किसी से नहीं छिपी है। अधिकतर क्षेत्रों में महिला एथलीटों को कम वेतन दिया जाता है। जिससे खेल के क्षेत्र में उनकी रुचि कम हो जाती है।
हालिया टोक्यो (जापान) ओलिम्पिक खेलों की बात करें तो 64 खेलों के कोचों में से सिर्फ 4 खेलों की ही महिला कोच रहीं। खिलाड़ियों द्वारा कोचों के यौन शोषण का शिकार होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण भी यही है कि खेल संस्थानों में महिला कोचों की संख्या बहुत कम है। लिहाजा खेल संस्थानों में सभी स्तरों पर महिला कोचों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। जिससे महिला खिलाडिय़ों की पुरुष कोचों पर निर्भरता कुछ कम की जा सके, वहीं दोषी कोचों के विरुद्ध कठोर दंड दिया जाना चाहिए जिससे यौन अपराध पर अंकुश लगाया जा सके।