दीपक कुमार त्यागी
भारत सरकार ने देश के युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से हाल ही में 14 जून मंगलवार को एक नयी पहल करने का कार्य किया है। जिसके अंतर्गत भारत सरकार ने सेना में ‘अग्निपथ योजना’ के माध्यम से युवाओं की भर्ती करने की घोषणा करने का कार्य किया है, इस ‘अग्निपथ योजना’ की घोषणा केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व तीनों सेना के प्रमुखों ने एक प्रेसवार्ता में की थी। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘अग्निपथ योजना’ के तहत केंद्र सरकार का प्लान है कि वह देश की सेनाओं में चार वर्ष के लिए युवाओं की भर्ती करके उनको अपने पैरों पर खड़ा करते हुए उनके जीवन को अनुशासित बनाएं।
केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महत्वाकांक्षी ‘अग्निपथ योजना’ के बारे में कहा था कि – “नौजवानों को सेना में सेवा का मौक़ा दिया जाएगा, ये योजना देश की सुरक्षा को मज़बूत करने और हमारे युवाओं को मिलिट्री सर्विस का अवसर देने के लिए लाई गई है। उन्होंने कहा कि इस योजना से नौकरी के मौक़े बढ़ेंगे और सेवा के दौरान अर्जित हुनर और अनुभव उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी भी उपलब्ध कराएगा।”
वैसे इस योजना में कम उम्र के युवाओं को सेना में भर्ती करके चार वर्ष की सेवा के बाद ही रिटायर करने का प्रावधान किया गया है, नौकरी के बाद उन्हें सेवा निधि पैकेज दिया जाएगा और इन जवानों का नाम ‘अग्निवीर’ होगा, सरकार ने इस योजना की घोषणा में दुर्घटना या मृत्यु की स्थिति में ‘अग्निवीरों’ को विशेष सहायता पैकेज दिए जाने की भी बात कही है। वहीं इस योजना में भर्ती किए गए जवानों में से भविष्य में सिर्फ़ 25 प्रतिशत को सेना में स्थाई रूप से रखा जाने का प्रावधान है, कहीं ना कहीं इस बेहद महत्वपूर्ण बिंदु के चलते ही पिछले कुछ दिनों से देश के विभिन्न हिस्सों के लाखों युवाओं में ‘अग्निपथ योजना’ के प्रति बड़े पैमाने पर आक्रोश व्याप्त है। जिसके चलते ही सेना में जाने का सपना संजोए देश में युवाओं के एक वर्ग ने ‘अग्निपथ योजना’ को विस्तारपूर्वक सही ढंग से समझें बिना ही, किसी भी प्रकार की लाभ-हानि की गणना किये बिना ही, देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़, आगजनी करके बहुत ही जबरदस्त ढंग से हंगामा बरपाने का कार्य कर दिया, जो अभी तक जारी है। वैसे आज की परिस्थितियों में धरातल पर देखा जाये तो आधी-अधूरी जानकारी व उकसाने के चलते ही भारत सरकार की महत्वाकांक्षी ‘अग्निपथ योजना’ के खिलाफ सेना की तैयारी कर रहे लाखों अभ्यर्थियों में बहुत जबरदस्त रोष व्याप्त हो गया है। जिसके चलते देश के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं, कुछ उपद्रवियों ने इस विरोध प्रदर्शन में तोड़फोड़, आगजनी व लूटपाट करके छात्रों के इस आंदोलन को हिंसक बनाने का कार्य कर दिया है। वैसे तो इन सभी प्रदर्शनकारी छात्रों को यह ध्यान रखना चाहिए कि देश में तोड़फोड़ आगजनी व लूटपाट करेंगे और फिर भविष्य में “अग्निवीर” कहलाएंगे यह आज के समय में संभव नहीं है, क्योंकि आज देश में सीसीटीवी कैमरा, मोबाइल फोन व कैमरा आदि पर उपद्रवियों के हंगामे की रिकार्डिंग की हर थाने क्षेत्र में भरमार है, आज के समय में उपद्रवियों की पहचान तकनीक के माध्यम से संभव नहीं है, जिस पर सरकार कार्य अवश्य करेगी।
लेकिन इस विरोध प्रदर्शन के पूरे घटनाक्रम का सबसे महत्वपूर्ण विचारणीय तथ्य यह है कि आखिरकार ‘अग्निपथ योजना’ को जिस वक्त तक देश के दिग्गज सैन्य विशेषज्ञ भी नहीं समझ पाये थे, उस समय ही इस योजना के विरोध करने के लिए छात्रों को आखिरकार किसने बरगलाने का कार्य किया था, हालांकि देर सबेर पुलिस की विस्तृत जांच में इसकी परतें अवश्य खुल जायेंगी। वैसे देखा जाये तो आज भी छात्रों को इस ‘अग्निपथ योजना’ के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं है, लेकिन फिर भी वह हिंसक विरोध प्रदर्शन करके अपने ही वतन की अनमोल संपत्तियों को अपने ही हाथों से ना जाने क्यों नुक़सान पहुंचाने में व्यस्त हैं। सूत्रों के अनुसार अभी तक रेलवे ने सिर्फ अपने दो जोन के नुकसान के आंकलन का डेटा तैयार किया है, यह डेटा सिर्फ शुक्रवार को हुए नुकसान के आधार पर है, जिसके हिसाब से सिर्फ दो जोन में एक ही दिन में रेलवे को 120 करोड़ रूपए का नुकसान उपद्रवियों के कर दिया, ऐसे में सबसे अधिक उपद्रव वाले क्षेत्रों में 5 दिनों के नुकसान का अगर औसत निकालें तो रेलवे का नुकसान 600 करोड़ रूपए के लगभग आता है। हालांकि यह आंकलन रेलवे द्वारा तैयार किए गए सिर्फ दो ज़ोन के डेटा को ही आधार मानकर किया गया है, वैसे रेलवे के वास्तविक नुकसान का अनुमान उपद्रव शांत होने के बाद ही पता चल पायेगा। लेकिन इन उपद्रवी तत्वों के यह सोचना चाहिए कि एक तरफ तो तुम देश पर प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिक बनने का सपना देख रहे हो, वहीं दूसरी तरफ तुम अपने ही हाथों से देश की हजारों करोड़ रूपए की अनमोल संपत्ति को आग के हवाले कर रहे हो, आखिर यह कैसी देशभक्ति है। देश के 13 राज्यों में ‘अग्निपथ योजना’ को लेकर भयंकर बवाल मचा हुआ है, जगह-जगह हुई पत्थरबाजी, हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी की तस्वीरों ने दुनिया में भारत की छवि को खराब करने व अर्थव्यवस्था को भारी नुक़सान पहुंचाने का कार्य किया है।
वहीं ‘अग्निपथ योजना’ को लेकर के जल, थल और वायु सेना के अधिकारियों ने साझा प्रेसवार्ता
का आयोजन 19 जून को किया, जिस प्रेसवार्ता में सैन्य मामलों के विभाग के अवर सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने ‘अग्निपथ योजना’ का बचाव करते हुए, इस योजना का अग्निवीरों व देश को होने वाले लाभ गिनाए, उन्होने इस योजना को सशस्त्र बलों के तीनों अंगों के उम्र घटाने का माध्यम बताया और कहा कि उम्र का यह विषय लंबे समय से विचाराधीन था यहां तक कि करगिल समीक्षा समिति ने भी इस पर टिप्पणी की थी। लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा कि सरकार ‘अग्निपथ योजना’ को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने देश के युवाओं से अपना विरोध प्रदर्शन खत्म करने की अपील की। उन्होंने हिंसा आगजनी करने वाले उपद्रवियों को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि ‘अग्निपथ योजना’ वापस नहीं ली जाएगी। उन्होंने कहा कि सेना की नींव अनुशासन है, जिसमें तोड़फोड़ की कोई जगह नहीं है, हर एक शख्स जो हमसे अग्निवीर में जुड़ेगा, उसको अंडरटेकिंग / शपथ देनी होगी कि उसने कहीं प्रोटेस्ट में हिस्सा नहीं लिया था, तोड़फोड़ या आगजनी नहीं की थी। सभी का पुलिस वेरिफिकेशन कराया जाएगा और अगर किसी के नाम एफआईआर दर्ज मिलती है, तो वह सेना में शामिल नहीं हो सकता है। लेकिन अफसोस इस सबके बाद भी लगातार देश के विभिन्न हिस्सों में उपद्रव जारी है, एक तरफ तो चंद युवा देश पर मर मिटने के लिए तैयार बैठे हैं, वहीं कुछ युवा उपद्रव करके अपने ही हाथों से अपने ही चमन को आग लगाएं बैठे हैं। जबकि पिछले कुछ वर्षों से देश जिस तरह के बेहद तनावपूर्ण हालात से आयेदिन गुज़र रहा है, उस तरह की स्थिति में देश को विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए तुरंत ही मेहनतकश लोगों व अमन चैन के साथ एकजुटता वाले माहौल की तत्काल सख्त जरूरत है, लेकिन कुछ लोग हैं जो देश में शांतिप्रिय माहौल नहीं चाहते, वह हर बात का बड़ा बतंगड़ बनाकर देश को नुक़सान पहुंचाने के लिए उतावले बैठे रहते हैं, आज हम लोगों व छात्रों को भी इस साज़िश को समय रहते समझना होगा और अगर सरकार के किसी कदम से सहमत नहीं हैं तो तोड़फोड़, आगजनी व लूटपाट का रस्ता ना अपनाकर, गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्ण ढंग अपना विरोध जताकर देश विरोधी लोगों की साज़िशों को देश व समाज के हित में नाकाम करना होगा।