संघर्ष, इतिहास और राष्ट्रीयता का प्रतीक है ‘इंक, सैफरन एंड फ्रीडम’ पुस्तक : कृष्ण गोपाल

The book 'Ink, Saffron and Freedom' is a symbol of struggle, history and nationalism: Krishna Gopal

‘पाकिस्तान ले लिया, अब तो शांति से रहो ‘

रविवार दिल्ली नेटवर्क

नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध पत्रकार के एन गुप्ता की पुस्तक ‘ इंक, सैफरन एंड फ्रीडम’ का भव्य विमोचन बुधवार को यहां अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में मुख्य अतिथि कृष्ण गोपाल, सह सरकार्यवाह, आरएसएस, अतिविशिष्ट अतिथि प्रेम प्रकाश, चेयरमैन एएनआई, प्रभात प्रकाशन के अध्यक्ष प्रभात कुमार के करकमलों से संपन्न हुआ।

इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्य अतिथि कृष्ण गोपाल ने कहा की इस पुस्तक के लेखक श्री गुप्ता ने दिल्ली में अपना लंबा अनुभव बिताया है। पुस्तक में उन्होंने दिल्ली के पुराने मुहल्ले बल्लीमारान में बिताए गए अपने बचपन और संघर्षों को बहुत ही शिद्दत से याद किया है। उन्होंने कहाकि पत्रकारिता एक कठिन कार्य है। जलियाँवाला बाग़ कांड के बाद कोई भी वहाँ नहीं गया। बाद में पंडित मदन मोहन मालवीय वहां गए और पेड़ के नीचे चौकी पर ऑफिस लगाकर लोगो से बातें की। सारी तथ्यों को इकट्ठा करके उन्हें पार्लियामेंट में प्रस्तुत किया। जिसका असर यह हुआ कि बाद में ब्रिटिश लोगों ने इस संहार को रिग्रेट किया ।

उन्होंने कहा कि केदार नाथ जी ने अपने पुस्तक में अनेक विषयों पर प्रकाश डाला है। गांधी जी की हत्या के विषय पर संघ पर बैन लगा था, लेकिन उसके पहले से ही कांग्रेस के लोग संघ को ख़त्म करने की बात किया करते थे। देश का वातावरण बहुत ही ख़तरनाक था। भारत के विभाजन के समय इतनी हत्याओं, लूट, बलात्कार और भयानक विस्थापन का जिम्मेदार आख़िर कौन था।

उन्होंने कहाकि अगर पाकिस्तान आपने ले लिया तो अब तो शांति से रहो। आपस में विवाद क्यों करते हो। उर्दू और बंगला के कारण पाकिस्तान और बांग्लादेश का विभाजन हुआ। भारत ताकतवर होने के बाद भी कभी किसी को ग़ुलाम नहीं बनाया। लेकिन बर्बर लोग कितने मजबूत सभ्यता को समाप्त कर देते है। इसलिए हम सब को एक होकर रहना चाहिए।

इस अवसर पर प्रेम प्रकाश जी ने कहा की दिल्ली के बारे में उर्दू में खूब लिखा गया है, लेकिन इस किताब में इंग्लिश में बड़ी ही रोचक जानकारी दी गई है। पुरानी दिल्ली के बारे में जानकारी है। आजादी के बाद जब आरएसएस बैन हो गया था तो भी राष्ट्रीयता का बोध करने में कुछ पत्रकारों ने अहम भूमिका निभाई थी। केदार नाथ जी भी ऐसे क्रांतिकारी पत्रकार रहे है जिसने आपातकाल में भी अपनी लेखनी नहीं रोकी। ये पुस्तक दिल्ली, पत्रकारिता और संघ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती है।

अपने सारगर्भित वक्तव्य में लेखक के एन गुप्ता ने कहाकि मुझे लिखने के लिए मनमोहन वैद जी, मित्र और परिवार के सदस्यों ने प्रेरित किया। मैंने मदरलैंड के साथ बहुत काम किया। मैं दिल्लीवाला हूँ लेकिन मेरा परिवार आसपास के जिलों से है!
एरिक सोलहम, पूर्व मंत्री नॉर्वे, एडन वाइट, एथिकल जर्नलिज्म नेटवर्क , सेक्रेटरी जनरल आई एफ़ जे आदि मित्रों ने काफ़ी प्रेरित किया।

कार्यक्रम का शानदार संचालन मशहूर पत्रकार और श्री गुप्ता की बेटी मनोरंजना ने किया। श्री गुप्ता के परिवार से उनकी धर्मपत्नी शमा गुप्ता, पुत्र मुनीष गुप्ता तथा अन्य सदस्य भी शामिल हुए। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम् गायन के साथ हुआ।