मुनिश्री उदितकुमार का दिल्ली में स्वागत

Munishri Uditkumar welcomed in Delhi

अभिनंदन व्यक्ति का नहीं, गुणों का होता है

रविवार दिल्ली नेटवर्क

दिल्ली : आचार्य महाश्रमण के विद्वान शिष्य, बहुश्रुत परिषद के सदस्य एवं ज्ञानशाला के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनिश्री उदितकुमारजी सूरत से लगभग 1450 किलोमीटर की प्रलंब यात्रा संपन्न कर दिल्ली महानगर में प्रवेश किया। आध्यात्म साधना केंद्र महरौली-दिल्ली में पदार्पण पर सभी संघीय संस्थाओं द्वारा मुनिश्री का स्वागत अभिनंदन किया गया। महाप्रज्ञ भवन में आयोजित अक्षय तृतीया समारोह में प्रदत्त अपने उद्बोधन में मुनिश्री उदितकुमारजी ने कहा कि अभिनंदन व्यक्ति का नहीं, गुणों का होना चाहिए। राजधानी दिल्ली में हमारा चातुर्मास सत्य, अहिंसा, शांति एवं सद्भावना की अलख जगाने के लिए हो रहा है। आचार्य श्री महाश्रमण के नैतिक एवं मानवतावादी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए हम प्रयासरत रहेंगे।

मुनिश्री ने आगे कहा कि अक्षय तृतीया का दिन आदि तीर्थंकर ऋषभ की स्मृति का पावन दिन है। यह उनकी एक विशेष तप की परिसंपन्नता का दिन है, यह हमें धैर्य व सहिष्णुता की प्रेरणा देता है। यह जीवन में तप एवं साधना के लिए प्रेरित करता है। वर्षीतप का क्रम लंबे समय से चल रहा है, इस क्रम में तेरापंथ धर्मसंघ में आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में सूरत में 1015 से अधिक वर्षीतप पारणों का कीर्तिमान रचा गया। इस अवसर पर मैं सभी वर्षीतप तपस्वी जनों के तप की अनुमोदना करता हूं। मुनिश्री ने अपने परम उपकारी आचार्य श्री महाश्रमण जी की दीक्षा प्रदाता श्रद्धेय मंत्री मुनिश्री सुमेरमलजी स्वामी की छठी वार्षिक पुण्यतिथि पर उनका प्रासंगिक स्मरण कर अपना श्रद्धार्पण किया।

कार्यक्रम में डॉ. मुनिश्री अभिजीतकुमारजी ने अपने प्रासंगिक विचार प्रस्तुत किये। मुनि जागृतकुमारजी एवं मुनि ज्योतिर्मयकुमारजी ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी। मुनिश्री के सान्निध्य में 9 तपस्वी भाई-बहनों ने इक्षुरस बहराकर अपने वर्षीतप का पारणा किया। तेरापंथ सभा दिल्ली द्वारा तपस्वियों का साहित्य आदि से सम्मान किया गया। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री सुखराज सेठिया आदि अनेक तपस्वी परिवार के ज्ञातिजन एवं अन्य लोगों ने अपनी मंगलकामना व्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा दिल्ली के मंत्री श्री प्रमोद घोड़ावत ने किया।