झालावाड़ हादसे पर राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री और अन्य नेताओं ने जताई चिंता

President, Prime Minister and other leaders expressed concern over Jhalawar accident

गोपेंद्र नाथ भट्ट

राजस्थान के हाड़ौती अंचल के झालावाड़ में स्कूल हादसा में स्कूली बच्चों की असामयिक मौत पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केन्द्रीय मंत्रियों गजेन्द्र सिंह शेखावत, भूपेन्द्र यादव,अश्विनी वैष्णव ,अर्जुन राम मेघवाल ,भागीरथ चौधरी, राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी , पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,वसुन्धरा राजे ,स्थानीय सांसद दुष्यंत सिंह सहित अन्य कई नेताओं ने गहरा दुःख व्यक्त किया है और सरकार और प्रशासन से ऐसी घटना की पुनरावृत्ति रोकने के पुख्ता उपाय सुनिश्चित किए जाने के उपाय सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।।

राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह स्कूल की छत गिरने से दर्दनाक हादसा हुआ। यहां एक सरकारी स्कूल की बिल्डिंग की छत अचानक गिर गई, जिससे स्कूल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। प्रार्थना सभा के दौरान हुई इस घटना में सात बच्चों की मौत हो गई है। इसमें घायल बच्चों का जिला अस्पताल में इलाज जारी है । शिक्षा विभाग ने पांच शिक्षकों को निलंबित किया गया है।

दुर्घटना की जानकारी मिलते ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे झालावाड़ अस्पताल पहुंची। उनके साथ उनके सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह भी थे।उन्होंने जिला प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जहां भी जर्जर स्कूल है उन्हें जल्द शिफ्ट कर दिया जाए. झालावाड़ के अंदर बारिश बहुत ही जोरदार होती है, इसलिए जो स्कूल बिल्डिंग जर्जर है उन्हें गिराकर नई बिल्डिंग बनाने का काम किया जाये . पूरा झालावाड़ परिवार दुख में है. दुखद हादसे पर राजनीति करने का समय नहीं है।अभी जो हमारे दिल पर से गुजर रही है उसको समझने की कोशिश करें. हर स्कूल में जांच होनी चाहिए कि जहां भी ऐसी स्थिति है वहां उसे तत्काल दुरुस्त किया जाए और यह तब ही संभव हो सकता है जब सभी जगह शिक्षा विभाग अपने स्तर पर सर्वे करवाएं. यह हादसा जो हुआ है वह बहुत दुखद है, यह रिपीट नहीं होना चाहिए।

इधर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भी राज्य के सभी जिला प्रशासन और अजमेर प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि अजमेर जिले में स्थित स्कूल व अन्य सार्वजनिक भवनों का गहन सर्वे कर जर्जर इमारतों, कक्षों व स्थानों का पता लगाया जाए। उनकी मरम्मत तुरंत करवाई जाए। जो भवन अत्यधिक खराब है, वहां से विद्यार्थियों को दूर रखा जाए। जहां आमजन का आना-जाना ज्यादा रहता है वहां भी इन निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जाए।

उन्होंने इस संबंध में शुक्रवार को जिला कलक्टर एवं शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक से बात की। उन्होंने चर्चा कर जिले में संचालित सभी विद्यालयों की भवन संरचना की सुरक्षा जांच को सर्वाेच्च प्राथमिकता पर लेते हुए समस्त विद्यालय परिसरों का गहन सर्वे करवाने के निर्देश दिए। जर्जर, क्षतिग्रस्त अथवा असुरक्षित भवनों को तत्काल प्रभाव से उपयोग के लिए प्रतिबंधित किया जाए।यदि किसी विद्यालय के कक्षा कक्ष, शौचालय अथवा अन्य किसी भी भवन का भाग जर्जर, क्षतिग्रस्त अथवा खतरनाक अवस्था में पाया जाए तो उसे तुरंत प्रभाव से विद्यार्थियों एवं विद्यालय स्टाफ के उपयोग के लिए वर्जित कर दिया जाए। उन्होंने इस कार्य को सर्वाेच्च प्राथमिकता पर लेकर तत्काल प्रभाव से सम्पादित करने के निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की लापरवाही विद्यार्थियों की सुरक्षा से खिलवाड़ के समान होगी जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।जिला प्रशासन को सार्वजनिक निर्माण विभाग सहित अन्य संबद्ध निर्माण एजेंसियों एवं विभागों के बीच समन्वय स्थापित कर कार्य को प्राथमिकता के आधार पर करने के निर्देश दिए।

वैसे भी समस्त अधिकारियों को फील्ड में जाकर स्वयं विद्यालय परिसरों और जर्जर भवनों की भौतिक स्थिति का अवलोकन करना चाहिए। भवनों की जांच केवल औपचारिकता नहीं होनी चाहिए़ । जमीनी हकीकत के आधार पर गहन सर्वे करवाया जाए। इससे किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सकेगी ।बच्चों की सुरक्षा हमारी सर्वाेच्च प्राथमिकता है। इसके लिए प्रत्येक विद्यालय की भवन स्थिति का निष्पक्ष एवं तकनीकी मूल्यांकन कराया जाए। आवश्यकता होने पर तकनीकी विशेषज्ञों की सहायता ली जाए तथा जिन विद्यालयों में भवन की स्थिति अत्यधिक खराब हो वहां वैकल्पिक स्थानों या भवनों में शिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि भविष्य में ऐसी दुःखद घटनाओं की पूर्णावृति नहीं हो सके ।