पुलिस लोगों का दर्द समझेगी तभी न्याय दिला पाएंगी: डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा

Only when police understands people's pain will they be able to provide justice: DGP Sagar Preet Hooda

इंद्र वशिष्ठ

चंडीगढ़ पुलिस के नवनियुक्त महानिदेशक (डीजी) डाक्टर सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि चंडीगढ़ मेरा अपना शहर है और चंडीगढ़ पुलिस, मेरी पेरन्ट पुलिस ही लगा लीजिए, क्योंकि मेरी पहली पोस्टिंग (एएसपी के तौर) यहीं से शुरू हुई थी। अब डीजीपी बनकर लौटना गर्व की बात है।

नए कानून लागू करना प्राथमिकता-
चंडीगढ़ पुलिस के महानिदेशक (डीजी) डाक्टर सागर प्रीत हुड्डा ने पदभार ग्रहण करने के बाद कहा कि नए आपराधिक कानूनों को अच्छे से लागू करना ही उनकी पहली प्राथमिकता है। क्योंकि ये बहुत ही महत्वपूर्ण कानून है। बहुत ही क्रांतिकारी उनमें बदलाव आए हैं। नए कानून पीड़ित/ जनता केंद्रीत, जस्टिस ओरिएंटेड और जनता की सेवा के नजरिये/दृष्टि कोण से बनाए गए हैं। चंडीगढ़ पुलिस बहुत अच्छे से उनको लागू कर रही है। उनको अच्छे से लागू करने पर ही उनका जोर रहेगा। इस कानून की मूल भावना को समझकर काम करना होगा।

कानून व्यवस्था ठीक करना और क्राइम कंट्रोल करना ही उनका मुख्य मकसद है।

डीजीपी ने कहा कि चंडीगढ़ पुलिस की जो भी अच्छी स्कीम हैं उन्हें वह आगे भी चलाएंगे, चाहे वो आईटी, साइबर क्राइम के क्षेत्र में हो या कम्युनिटी पुलिसिंग के कार्यक्रम है।

वर्दी- सेवा और जिम्मेदारी की प्रतीक-
सागर प्रीत हुड्डा ने पुलिसकर्मियों से कहा कि पुलिस की वर्दी केवल शक्ति का नहीं बल्कि सेवा और जिम्मेदारी का प्रतीक है। हमें जनता और राजनीतिक दबाव से ऊपर उठकर नैतिकता के साथ काम करना होगा। कोई भी इंसान थाने या चौकी तभी आता है जब वह बड़ी परेशानी में होता है। इसलिए उनसे अच्छा बर्ताव करें। अगर हम उसके जूते में खुद का पैर रखकर सोचेंगे तभी उसके दर्द को समझ पाएंगे और सही न्याय दिला पाएंगे। डीजीपी ने कहा कि जनता ही उनकी असली ताकत होती है।
डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा ने कहा कि अपराध का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। साइबर क्राइम, ड्रग्स सिंडिकेट और संगठित अपराध आज बड़ी चुनौती है। चंडीगढ़ में भी ऐसे अपराध काफी हैं। इनसे निपटने के लिए साइबर सेल को और मजबूत बनाना होगा ताकि डिजिटल अपराध पर लगाम कसी जा सके। इसके अलावा सब मिलकर काम करेंगे और शहर में अपराध पर शिकंजा कसेंगे।

एएसपी से डीजीपी तक का सफर –
डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा ने कहा उनका चंडीगढ़ से 40 साल पुराना नाता है। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की। आईपीएस बनने के बाद दिसंबर 1999 में बतौर एएसपी चंडीगढ़ पुलिस में डेढ़ साल सेवा दी। 25 साल पहले भी इसी पुलिस लाइन में आया था। अब दोबारा इसी पुलिस लाइन में डीजीपी बनकर लौटना गर्व की बात है।

पुलिस लाइन में आयोजित परेड की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि स्टार लगाना और वर्दी पहनना सिर्फ सम्मान की बात नहीं, बल्कि इसके पीछे जनता की सेवा का संकल्प है। हमें मिलकर चंडीगढ़ पुलिस को नई ऊंचाइयों तक ले जाना है।

काबिल आईपीएस का शानदार सफर-
काबिल IPS अफसरों में शुमार डॉक्टर सागर प्रीत हुड्डा, आईपीएस ( एजीएमयूटी-1997)
दिल्ली पुलिस में स्पेशल कमिश्नर (इंटेलिजेंस, पीएमएमसी) के पद से पदोन्नति पाकर डीजीपी बने हैं।
वह दिल्ली पुलिस में आउटर और उत्तरी जिलों के डीसीपी, ज्वाइंट कमिश्नर (उत्तरी और पूर्वी रेंज) से लेकर स्पेशल कमिश्नर (इंटेलिजेंस, कानून-व्यवस्था आदि) तक के महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं

दिल्ली पुलिस में अहम पदों पर-
सागर प्रीत हुड्डा जनवरी 2024 से चंडीगढ़ डीजीपी बनाए जाने तक दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर ( इंटैलिजेंस,पीएमएमसी )के पद पर थे।

वे मीडिया सेल और परसेप्शन मैनेजमेंट, महिला एवं बाल अपराधों से जुड़ी विशेष इकाई और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की विशेष पुलिस इकाई जैसे विभागों का भी अतिरिक्त प्रभार संभाल चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने कई महत्वपूर्ण, सनसनीखेज अपराध के मामलों की जांच में भी अहम भूमिका निभाई है।

इससे पहले जनवरी 2022 से जनवरी 2024 तक स्पेशल कमिश्नर (कानून-व्यवस्था) के पद पर रहे। फरवरी 2021 से फरवरी 2022 के बीच दिल्ली में संयुक्त पुलिस आयुक्त ( उत्तरी रेंज) के पद पर रह

मूलतः रोहतक, हरियाणा के निवासी
सागर प्रीत हुड्डा ने आईपीएस के रूप में 23 अगस्त 1997 को अपनी सेवा की शुरुआत की थी। वह अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेशों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं।

शिक्षा- दीक्षा
सागर प्रीत हुड्डा ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एडवर्ड एस. मेसन फेलो के रूप में लोक नीति विश्लेषण (2014-15) में मास्टर की डिग्री , ड्यूक यूनिवर्सिटी के सैनफोर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी से लोक वित्त (2012) में सर्टिफिकेट और 2006 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से लीडरशीप और ग्लोबलाइजेशन में भी एक कोर्स किया है।

सागर प्रीत हुड्डा 1991 से 1997 तक पंजाब यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र में पीएचडी की. इससे पहले 1989 से 1991 तक पंजाब यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र में ग्रेजुएशन की।