हिन्दी दिवस : मातृभाषा का सम्मान

Hindi Day: Honoring the mother tongue

विजय गर्ग

भारत जैसे बहुभाषी देश में हिन्दी का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। तभी से हर वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। यह दिन केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान और भाषाई गौरव का प्रतीक है।

हिन्दी की महत्ता

हिन्दी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की भावनाओं की अभिव्यक्ति है। यह जनमानस को जोड़ने वाली एक सशक्त कड़ी है। हिन्दी साहित्य, कविता, कहानी, उपन्यास और पत्रकारिता ने न केवल भारतीय समाज को दिशा दी, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भी हिन्दी का योगदान अविस्मरणीय रहा।

वर्तमान परिदृश्य

आज के वैश्विक युग में अंग्रेज़ी का महत्व बढ़ा है, परन्तु हिन्दी का दायरा भी लगातार फैल रहा है। विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों में हिन्दी का अध्ययन हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक दर्जा दिलाने के प्रयास जारी हैं। डिजिटल प्लेटफार्म, सोशल मीडिया और सिनेमा ने हिन्दी को और सशक्त बनाया है।

हमारी जिम्मेदारी

हिन्दी दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि मातृभाषा का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। हम चाहे किसी भी भाषा में दक्ष हों, हिन्दी को उपेक्षित नहीं किया जा सकता। विद्यालयों, महाविद्यालयों, दफ्तरों और दैनिक जीवन में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाना ही इसका वास्तविक सम्मान है।

निष्कर्ष

हिन्दी दिवस केवल उत्सव का दिन नहीं, बल्कि संकल्प का दिन है। संकल्प इस बात का कि हम अपनी भाषा की समृद्धि और उसकी गरिमा को बनाए रखेंगे। हिन्दी हमारी पहचान है और इसका संरक्षण व प्रचार-प्रसार हम सबकी जिम्मेदारी है।