
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल बांसवाडा में 45 हजार करोड़ की लागत से बनने वाले परमाणु बिजली घर के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों शिलान्यास के साथ ही केन्द्र की मोदी सरकार इस वर्ष दिवाली पर राजस्थान को एक ओर तौहफा देने जा रही है। प्रदेश की राजधानी पिंक सिटी जयपुर के मेट्रो रेल के दूसरे फेज की डी पी आर को अक्टूबर-नवंबर में मंजूरी मिलने की संभावना है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अक्टूबर-नवंबर तक केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलेगी। इसके बाद डी पी आर के आधार पर दूसरे फेज का मौके पर काम शुरू करने की निकाली जा सकेगी.
केन्द्रीय शहरी कार्य मंत्रालय के आंतरिक वित्त विभाग (आई एफ डी) ने इस महत्वपूर्ण परियोजना को मंजूरी दी है। आई एफ डी ने दूसरे जयपुर मेट्रो के दूसरे फेज की डी पी आर को मंजूरी दी है।केन्द्रीय स्वीकृति की प्रक्रिया में इसे अहम पड़ाव माना जाता है. अब डी पी आर पर अन्तर मंत्रालय चर्चा चल रही है।
केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालय डी पी आर पर मंथन कर रहे हैं। जानकारों के मुताबिक अक्टूबर के अंतिम सप्ताह या नवंबर के प्रथम सप्ताह डी पी आर को केन्द्र सरकार की ओर से मंजूरी मिलने की उम्मीद है। दूसरे फेज में 42.95 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर पर मेट्रो दौड़ेगी। दूसरे फेज की कुल लागत 12 हजार 260 करोड़ रुपए है।
राजस्थान की राजधानी, आबादी और यातायात की दृष्टि से तेजी से बढ़ रहा शहर है। सड़क यातायात, निजी वाहनों की संख्या और प्रदूषण बढ़ने के कारण सार्वजनिक परिवहन के बेहतर विकल्पों की जरूरत महसूस की जा रही है। मेट्रो रेल एक ऐसा परिवहन माध्यम है जो सुरक्षित, त्वरित, अधिक सुलभ और पर्यावरण-अनुकूल हो सकता है। जयपुर मेट्रो रेल परियोजना की शुरुआत इसी संदर्भ में हुई थीं।
वर्तमान स्थिति में मेट्रो फेज प्रथम के अन्तर्गत मानसरोवर से चांदपोल तक लगभग 9.63 किमी का मार्ग, जिसमें अधिकतर एलिवेटेड मेट्रो लाइन है और थोड़ी भूमिगत मेट्रो है का संचालन हो रहा है। प्रथम फेज के दूसरे चरण में चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक का विस्तार के बाद मेट्रो का संचालन हुआ । कुल मिलाकर, मेट्रो फेज -1 की लंबाई और स्टेशनों की संख्या शहर के कुछ प्रमुख हिस्सों को जोड़ती है लेकिन अभी शहर के पूरा नेटवर्क विकसित होना शेष है।
जयपुर मेट्रो का फेज-2 बहुत बड़ा और महत्वाकांक्षी है। इसके तहत कई नए मार्ग, स्टेशन और सुविधाएँ प्रस्तावित हैं। फेज-2 में टोडी मोड़ से प्रह्लादपुरा तक उत्तर-दक्षिण मुख्य ट्रांजिट कॉरिडोर बनाना प्रस्तावित है। इसकी लंबाई लगभग 42.80 किमी है। इसमें कुल 36 स्टेशन प्रस्तावित है जिनमें से 2 स्टेशन भूमिगत होंगे और बाकी 34 ऊँचे (एलिवेटेड) होंगे। एक अतिरिक्त स्टेशन और प्रस्तावित प्रहलादपुरा रिंग रोड से विद्याधर नगर टोड़ी मोड़ तक के रूट पर नया स्टेशन प्रस्तावित किया गया है, जिससे अभी प्रस्तावित स्टेशन 36 के बजाए 37 स्टेशन हो सकते हैं। परियोजना की कुल लागत अनुमान लगभग ₹12,260 करोड़ है । इसकी फंडिंग एशियन डेवलपमेंट बैंक (ए डी बी) और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक से ऋण का प्रस्ताव है। इसमें राज्य सरकार और केंद्र सरकार की साझेदारी होगी।
फेज-2 की सफलता से जयपुर शहर वासियों और शहर के विकास को कई तरह से लाभ मिलेगा।
टोडी मोड़ से प्रहलादपुरा तक लाइन गुजरने से कई आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक, शिक्षा एवं अस्पताल क्षेत्रों में सीधे मेट्रो से जोड़ होगा।
जयपुर की सड़क मार्गों पर निजी वाहनों और सार्वजनिक वाहनों की भीड़ कम होगी, जिससे ट्रैफिक जाम, ट्रैवल टाइम और सड़क दुर्घटनाओं में कमी संभव है। इससे जयपुर शहर का पर्यावरणीय सुधार भी होगा। इससे शहर के प्रदूषण में कमी और पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता कम होगी। सार्वजनिक परिवहन के उपयोग बढ़ने से ह्रदय एवं फेफड़ों पर असर कम होगा तथा स्वच्छ हवा-का लाभ मिलेगा।
जयपुर मेट्रो से जयपुर में शहरी विकास को भी बल मिलेगा। मेट्रो स्टेशनों के आसपास ज़मीन की कीमतों में इज़ाफ़ा, नए व्यवसाय और रिहायशी परियोजनाएँ विकसित होंगे। साथ ही समय एवं ऊर्जा की बचत हो सकेगी।यात्रियों को समय पर यात्रा करने में सुविधा होगी; पेट्रोल/डीज़ल व वाहन परिचालन लागत बचेगी। जयपुर फेज-2 का कार्य लगभग 5 वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है। यानी यदि निर्माण जल्द शुरू हुआ तो लगभग 2030 के आस-पास पूरा हो सकता है।
जयपुर मेट्रो का विस्तार फेज-2 निरंतर विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह सिर्फ एक परिवहन परियोजना नहीं है, बल्कि शहर की जीवनशैली, आर्थिक गतिविधियों, पर्यावरण और शहरी नियोजन को प्रभावित करने वाला परिवर्तन है। हालांकि चुनौतियाँ बड़ी हैं, लेकिन यदि समयबद्ध तरीके से, पारदर्शी रूप से और समुदाय की भागीदारी के साथ काम हुआ, तो यह मेट्रो प्रोजेक्ट जयपुर के लिए गेम-चेन्जर साबित होगा।