राजस्थान में इस वर्ष मानसून की रिकॉर्ड तोड़ वर्षा

Rajasthan has received record-breaking monsoon rainfall this year

लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला सहित अन्य जन नेताओं की संवेदनशीलता

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान में इस वर्ष मानसून में वर्षा ने पिछले लगभग सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। नवरात्रि त्यौहार निकट है लेकिन प्रदेश के कई इलाकों में अभी भी वर्षा है कि रुकने का नाम नहीं ले रही। इस वर्ष पूरे उत्तर भारत में अतिवृष्टि और कई क्षेत्रों में अभूतपूर्व बाढ़ के कारण जन धन और संपत्तियों को बहुत नुकसान हुआ। राजस्थान के कई इलाके भी बाढ़ के कहर से अछूते नहीं रहें। विशेष कर चम्बल नदी के किनारे स्थित जिलों और आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ के कारण फसलों,खेत खलियानों और अन्य संपतियों को भारी नुकसान हुआ।

इस बीच मानवीय संवेदनशीलता और जनसेवा की मिसाल पेश करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र कोटा-बूंदी जिले के बाढ़ प्रभावित गांवों का सघन दौरा किया। वे पूरी रात और भोर सवेरा होने तक बाढ़ प्रभावित लोगों के मध्य रहें । बिरला ने अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावित हुए गांवों में पहुंचकर ग्रामीणों के साथ दुख-दर्द बांटा और हर परिवार को भरोसा दिलाया कि राहत और पुनर्वास के हर कदम पर सरकार और जनप्रतिनिधि उनके साथ खड़े हैं। पिछले गुरुवार दोपहर से शुरू हुआ लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला का कोटा बूंदी जिले का दौरा शुक्रवार सुबह भोर तक चला। देर रात जब अधिकांश लोग नींद में थे, लोकसभा अध्यक्ष ख्यावदा, पचीपला, रिहाणा, देलुन्दा, मालियों की बाड़ी, खेड़िया दुर्जन, बोरदा काछियाँ और झालीजी का बराना जैसे सुदूर गांवों में पहुंचे। उन्होंने टूटे मकान और खेतों में बर्बाद फसल का अवलोकन किया, नुकसान का आकलन किया तथा पीड़ित ग्रामीणों से सीधे संवाद किया। किसी ने मकान ढहने का दुख सुनाया तो किसी ने पशुधन और खेतों के नुकसान की पीड़ा साझा की। श्री बिरलर हर परिवार के बीच ठहरकर धैर्यपूर्वक उनकी बातें सुनते रहे और तुरंत मदद का भरोसा दिया।

बाढ़ प्रभावित इलाकों का निरीक्षण करने के साथ ही बिरला ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की और स्पष्ट निर्देश दिए कि क्षतिग्रस्त मकानों का सर्वे शीघ्र पूरा कर मुआवजा राशि जारी की जाए। जिन परिवारों को एनडीआरएफ मद के अंतर्गत कपड़े व बर्तनों की सहायता राशि अब तक नहीं मिली है, उनके नाम दोबारा सर्वे कर सूची में जोड़ें। साथ ही, फसलों की गिरदावरी कर किसानों को नियमानुसार मुआवजा उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि सर्वे पारदर्शिता से होना चाहिए ताकि कोई भी परिवार राहत से वंचित न रहे।बोरदा काछियाँ और झालीजी का बराना गांव में ग्रामीणों से श्बिरला ने कहा कि संकट की इस घड़ी में कोई भी परिवार अकेला नहीं है। उन्होंने ग्रामीणों की मांग पर क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत और तेजाजी मंदिर की छत की मरम्मत के लिए सांसद कोष से राशि देने का आश्वासन भी दिया। बिरला ने कहा कि जनता की पीड़ा का निवारण और उनके आंसू पोंछना ही उनकी पहली प्राथमिकता है। इस दौरे में जिला कलेक्टर अक्षय गोदारा, पूर्व विधायक चंद्रकांता मेघवाल, रामेश्वर मीणा सहित प्रशासनिक अधिकारी उनके साथ रहे। दौरा सुबह करीब 4.30 बजे तक जारी रहा। ग्रामीणों ने त्वरित राहत सामग्री, राशन और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लोकसभा अध्यक्ष का आभार जताया और कहा कि उनके आगमन से उन्हें संबल और विश्वास मिला है।

पिछले दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी बाढ़ प्रभावित होने जिलों का दौरा किया था।राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने पिछले दिनों अजमेर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया था और अजमेर जिला प्रशासन को पीड़ित लोगों की सहायता की हिदायत दी थी।

राजस्थान में 2025 के मानसून की वर्षा का रिकॉर्ड

भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित राजस्थान देश का सबसे बड़ा भौगोलिक प्रदेश है। भौगोलिक दृष्टि से यह राज्य मरुस्थलीय एवं अर्ध-शुष्क क्षेत्र में आता है, इसलिए यहाँ वर्षा की मात्रा सामान्यतः कम ही रहती है किंतु वर्ष 2025 का मानसून राजस्थान के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने वाला साबित हुआ। इस बार की वर्षा ने न केवल पुराने रिकार्ड तोड़े बल्कि जल संसाधन प्रबंधन, कृषि, पर्यावरण एवं ग्रामीण-शहरी जीवन पर भी व्यापक असर डाला।

भारत मौसम विज्ञान विभाग और राज्य जल संसाधन विभाग के अनुसार 1 जून से सितंबर 2025 के दूसरे सप्ताह तक राजस्थान में औसतन 700 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य से कहीं अधिक है। जुलाई माह में तो यह लगभग 285 मिमी वर्षा हुई, जो राज्य की 161.4 मिमी की औसत वर्षा से लगभग 77 प्रतिशत अधिक है।

14 अगस्त तक ही राज्य ने अपनी पूरी मौसमी औसत वर्षा (लगभग 435–440 मिमी) को पार कर लिया था। सरकारी आँकड़े बताते हैं कि मानसून की शुरुआत से 28 जुलाई तक ही औसत से लगभग 88 प्रतिशत ज्यादा वर्षा हो चुकी थी।इन आँकड़ों ने यह सिद्ध कर दिया कि 2025 का मानसून राज्य के लिए ऐतिहासिक रहा। विशेषकर जुलाई माह में पिछले 69 वर्षों में सबसे भारी वर्षा वाल जुलाई बना। पिछली बार इतनी अधिक बारिश जुलाई 1956 में दर्ज हुई थी।

राजस्थान में सामान्यतः रेगिस्तान प्रधान पश्चिमी जिलों जैसे जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और जोधपुर आदि में कम वर्षा और दक्षिण-पूर्वी जिलों जैसे कोटा, झालावाड़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर ,बारां आदि में अपेक्षाकृत अधिक वर्षा होती है। 2025 के मानसून में यह पैटर्न कुछ हद तक बदला हुआ दिखा।पूर्वी एवं दक्षिणी राजस्थान (कोटा, बूंदी, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, झालावाड़, बारां) में भारी वर्षा के कारण नदियों और नालों में बाढ़ जैसी स्थिति बनी। वहीं पश्चिमी राजस्थान (जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और जोधपुर आदि) में भी सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई, जिससे रेगिस्तानी इलाकों में भी हरियाली छा गई। कई जिलों ने मानसून के पूरे कोटे से भी अधिक बारिश पाई।

वर्षा के इस व्यापक वितरण ने राज्य के अधिकांश बांधों और जलाशयों को भर दिया। राजस्थान सरकार के अनुसार 226 से अधिक बांधों और जलाशयों में पानी सामान्य से अधिक है, कई तो पूरी क्षमता तक भर चुके हैं।

राज्य के इतिहास में पहली बार प्रदेश के प्रमुख बाँध, जैसे—कंवर सागर (कोटा), माही बजाज सागर (बांसवाड़ा), जवाई बांध (पाली/सिरोही), मेजा बांध (भीलवाड़ा) आदि, पूरी तरह से भर गए। इससे सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के दृष्टिकोण से राज्य को काफी राहत मिली है।

पिछले वर्षों में ग्रीष्मकाल में पानी की कमी के कारण कई शहरों और गाँवों में टैंकरों से पानी पहुँचाना पड़ता था परंतु 2025 के मानसून की रिकॉर्डतोड़ वर्षा ने जलस्रोतों को भरकर आने वाले वर्षों के लिए भी भंडारण सुनिश्चित किया है।

राजस्थान में खरीफ की फसलें (जैसे बाजरा, मूंगफली, सोयाबीन, मक्का, कपास आदि) मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती हैं। सामान्य से अधिक वर्षा के कारण इस बार बोआई का रकबा बढ़ा और फसलों की स्थिति भी बेहतर रही।

विशेषकर बाजरा, मक्का और दलहनों की पैदावार अच्छी रहने की उम्मीद है। जिन क्षेत्रों में सिंचाई के साधन नहीं थे, वहाँ भी अच्छी वर्षा से किसानों को लाभ मिला।हालाँकि, कुछ जिलों में अत्यधिक वर्षा और जलभराव के कारण फसलें भी प्रभावित हुईं, जैसे—निचले इलाकों में मूंगफली या सोयाबीन की जड़ सड़ने जैसी समस्याएँ आईं।

भारी वर्षा का प्रभाव केवल सकारात्मक नहीं रहा। जयपुर, अजमेर, कोटा, भीलवाड़ा और बांसवाड़ा जैसे शहरों में जलभराव, यातायात बाधित होना, मकानों के गिरने जैसी घटनाएँ भी सामने आईं। स्थानीय प्रशासन ने कई जगह राहत एवं बचाव कार्य चलाए। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें सक्रिय रहीं। कुछ स्थानों पर नदी और नालों के उफान से बाढ़ जैसी स्थिति बनी।फिर भी, सामान्य से अधिक वर्षा के बावजूद समय रहते चेतावनी और प्रबंधन के कारण बड़े नुकसान से बचाव संभव हुआ।

रेगिस्तानी प्रधान राज्य राजस्थान में सामान्य से अधिक वर्षा से पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर दिखा।थार मरुस्थल के कई इलाकों में अस्थायी तालाब बन गए, जिससे पक्षियों और वन्यजीवों के लिए पानी उपलब्ध हुआ।

वन क्षेत्र और घास के मैदानों में हरियाली बढ़ी, जिससे पशुपालन को सहारा मिला।भूजल स्तर में भी सुधार हुआ, जो लम्बे समय के लिए उपयोगी है।

अत्यधिक वर्षा से पानी की कमी वाले राजस्थान को एक ओर जहां बहुत राहत मिली लेकिन दूसरी ओर कुछ चुनौतियाँ भी सामने आईं है। प्रदेश की नदियों और बांधों के तटीय या नीचले इलाकों में बाढ़ और जलभराव से फसलों और घरों का नुकसान पहुंचा है। साथ ही शहरों की जल निकासी व्यवस्था का कमजोर होना उजागर हुआ।भविष्य में ऐसी स्थितियों के लिए जल निकासी, बाँधों की सुरक्षा और बाढ़ प्रबंधन योजनाएँ मजबूत करनी होंगी।

राज्य की भजन लाल सरकार ने पहले ही जल संसाधन प्रबंधन, बाँधों की मरम्मत और आपदा प्रबंधन को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किए थे।

साथ ही आपदा प्रबंधों को सुनिश्चित करने की हिदायत दी थी। फिर इस बार के मानसून ने सरकार और समाज दोनों की भूमिका को रेखांकित किया है। समय रहते मौसम विभाग की चेतावनी, प्रशासन की तैयारी और नागरिकों की सजगता ने कई बड़े नुकसान से बचाया।

साथ ही, यह वर्षा भविष्य के लिए भी सबक है कि जलसंचय और संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए। यदि अतिरिक्त पानी को सही ढंग से संग्रहित किया जाए तो सूखे की मार झेलने वाले राज्य के लिए यह अमृत साबित हो सकता है।

राजस्थान में 2025 का मानसून ऐतिहासिक रहा। लगभग 693.1 मिमी वर्षा और जुलाई में 69 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ना यह दर्शाता है कि राज्य में मौसम के पैटर्न बदल रहे हैं।

यह बारिश जहाँ कृषि, जलसंसाधन और पर्यावरण के लिए वरदान साबित हुई, वहीं शहरी जलभराव और बाढ़ जैसी चुनौतियाँ भी लेकर आई। अब आवश्यकता है कि राज्य इस अवसर को दीर्घकालीन लाभ में बदले। अतिरिक्त पानी को बाँधों, तालाबों और भूजल में संग्रहित किया जाए।शहरों में जल निकासी प्रणाली को मजबूत किया जाए। बाढ़ प्रबंधन और आपदा तैयारियों को और बेहतर किया जाए।

यदि समय रहते यह कदम उठाए जाएँ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा तथा विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी तथा दोनों उप मुख्यमंत्रियों दिया कुमारी एवं डॉ प्रेम चन्द बैरवा था कृषि मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा तथा प्रदेश के अन्य मंत्रियों ,सांसदों तथा विधायकों ने अतिवृष्टि प्रभावित जिलों का जिस प्रकार दौरा किया है ऐसे में इस वर्ष 2025 के मानसून की यह रिकॉर्ड तोड़ वर्षा केवल एक घटना नहीं, बल्कि राजस्थान के जल भविष्य को संवारने वाला मील का पत्थर साबित हो सकती है।