
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
नवरात्रि पर्व के शुभारंभ के साथ ही भारत में दीपावली तक त्यौहारों की एक लंबी श्रृंखला भी शुरू हो रही है। त्यौहारों के इस मौसम में देश में उत्साह,उमंग,हर्षोल्लास के साथ ही पर्यटन सीजन का आगाज भी हो गया है। इस मध्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किए गए वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) में कटौतियों से देश में पर्यटन को नए पंख लगेंगे। देश में यात्रा और आवास ज्यादा किफायती होने से स्वदेशी और विदेशी पर्यटकों का आगमन बढ़ेगा।
भारत सरकार ने भारतीय पर्यटन क्षेत्र को ज्यादा किफायती बनाने, सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ाने तथा शिल्पकारों और सांस्कृतिक उद्योगों की मदद करने के उद्देश्य से जीएसटी को तर्कसंगत बनाने के महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा की है। जीएसटी दरों की स्लैब में हुए इस परिवर्तन के दूरगामी परिणाम दिखेंगे। जीएसटी में कटौतियों से स्वदेशी पर्यटन को मजबूती, सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा और संबंधित क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। ये सुधार समावेशी विकास के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। इनसे आतिथ्य, परिवहन और पारंपरिक शिल्प के क्षेत्रों में रोजगार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही इनसे भारतीय पर्यटन क्षेत्र में भी तेजी आएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में विस्तार से जी एस टी दरों में किए गए क्रांतिकारी पहल के बारे में देशवासियों को अवगत कराया था । केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और उनका मंत्रालय भारतीय पर्यटन क्षेत्र को नए पंख लगने की उम्मीदों से अति प्रसन्न है। जीएसटी दरों में कटौती से देशी पर्यटकों के साथ ही विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा तथा भारत को विदेशी मुद्रा का अर्जन होगा। साथ ही आतिथ्य, परिवहन और शिल्पकारी के क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों का विस्तार होगा।
जीएसटी में कटौती से मध्यवर्ग और कम खर्च पर यात्रा करने वालों के लिए होटल में ठहरना ज्यादा किफायती हो जाएगा। इस उपाय से भारत का आतिथ्य कर ढांचा अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थलों के अनुरूप बनता है। इससे विदेशी पर्यटकों के लिए भारत भ्रमण ज्यादा आकर्षक बनेगा इससे सप्ताहांत में यात्राओं, तीर्थ सर्किटों तथा विरासत और पर्यावरण पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। भारत सरकार के इस कदम से मझोले दर्जे के नए होटलों, होमस्टे और अतिथिगृहों में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, रोजगार पैदा होंगे और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में भी सुधार आएगा।
जीएसटी कटौती से बसों और मिनीबसों की खरीद का खर्च घटने से बस बेड़ा संचालकों, स्कूलों, कॉरपोरेट संस्थाओं, पर्यटन सुविधा प्रदाताओं और राज्य परिवहन उपक्रमों को सहूलियत होगी। इस कदम से खास तौर से अर्धशहरी और ग्रामीण मार्गों पर टिकट दरों को घटाने में मदद मिलेगी। निजी वाहनों के बजाय साझा या सार्वजनिक परिवहन को अपनाए जाने को प्रोत्साहन मिलेगा जिसके परिणामस्वरूप भीड़भाड़ और प्रदूषण घटेगा। बसों के विस्तार और आधुनिकीकरण में सहायता मिलेगी जिससे सार्वजनिक परिवहन ज्यादा आरामदेह और सुरक्षित बनेगा।
पर्यटन के साथ ही जीएसटी कटौती से भारतीय संस्कृति प्रतिमाओं, छोटी मूर्तियों,मूल नक्काशियों, प्रिंट, शिलामुद्रण, जेवराती वस्तुओं, प्रस्तर कला के सामान तथा पत्थर पर जड़ाई के लिए घोषित की गई है। इसका सीधा लाभ कलाशिल्पियों, शिल्पकारों और मूर्तिकारों को मिलेगा जिनमें से अनेक भारत के पारंपरिक गृह उद्योगों का हिस्सा हैं। इस कदम से मंदिर वास्तुकला, लोकअभिव्यक्ति, सूक्ष्म छपाई, प्रिंट निर्माण और प्रस्तरशिल्प की जीवंत परंपराओं को संरक्षित रखने में मदद मिलेगी। इससे वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति और शिल्पकारी को बढ़ावा मिलेगा तथा विरासत अर्थव्यवस्था को आधुनिक बाजारों से जोड़ा जा सकेगा।भारत सरकार ने शिल्पकारों और सांस्कृतिक संस्थाओं को सक्रिय समर्थन देने के साथ ही पारंपरिक कलाओं, स्मारकों और विरासत स्थलों समेत देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण, संवर्द्धन, डिजिटलीकरण तथा वैश्विक स्तर पर प्रदर्शन के लिए संस्कृति मंत्रालय के जरिए व्यापक प्रयास शुरू किए हैं। पारंपरिक भारतीय कला स्वरूपों को नई आर्थिक व्यवहार्यता मिलेगी।सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा मिलने से उत्सर्जन और ट्रैफिक की भीड़भाड़ में कमी आएगी।
मोदी सरकार द्वारा जीएसटी दरों में कटौती आम एवं के किफायत में वृद्धि, पारंपरिक शिल्पकारों को सहायता और परिवहन को प्रोत्साहन के जरिए भारतीय पर्यटन और सांस्कृतिक क्षेत्रों को मजबूती देने की सरकार की रणनीतिक कोशिश को प्रतिबिंबित करती है। इस प्रयास से पर्यटन में वृद्धि होगी और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को बल मिलेगा। साथ ही यह महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार देशों में विकास, रोजगार सृजन तथा जीवंत और समावेशी गंतव्य के रूप में भारत की छवि विश्व भर में निखारने का जरिया बनेगी।
उल्लेखनीय है कि भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जी एस टी) को 2017 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य पूरे देश में अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को सरल बनाना था। समय-समय पर इसमें संशोधन किए जाते रहे हैं ताकि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को राहत मिल सके। हाल ही में भारत सरकार ने पर्यटन एवं आतिथ्य क्षेत्र से जुड़े कई सेवाओं पर जीएसटी दरों में जो कटौती की है। यह कदम पर्यटन उद्योग को नई ऊर्जा देने वाला साबित हो सकता है।पर्यटन क्षेत्र में होटल, गेस्ट हाउस, रिसॉर्ट, ट्रैवल एजेंसी, टूर पैकेज, रेस्टोरेंट, एडवेंचर एक्टिविटीज़ आदि शामिल होते हैं। इन सेवाओं पर लागू जीएसटी दरें ही यात्रियों के कुल खर्च को प्रभावित करती हैं। पहले कई राज्यों में अलग-अलग कर दरें होने से पर्यटन महँगा पड़ता था। जीएसटी ने इसे एकीकृत किया, और अब दरों में कटौती होने से यह और सुलभ होगा। होटल एवं गेस्ट हाउस में ₹1000–₹7500 प्रति रात तक के कमरों पर जीएसटी दरों में कमी की गई है। इसी प्रकार बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट वाली रेस्टोरेंट सेवाओं पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है। एडवेंचर एवं अन्य टूरिस्ट एक्टिविटीज़ पर्यटन गतिविधियों के टिकट और पैकेज पर भी कर कम किया गया है। साथ ही ट्रैवल एजेंसियों एवं ऑनलाइन बुकिंग पर भी रियायतें प्रदान की गई है। इन बदलावों से आम पर्यटक के खर्च में सीधी बचत होगी।
कम टैक्स मतलब कम लागत लगना। इससे देश के आम मध्यम वर्गीय परिवार भी पर्यटन को अपनाएँगे और विदेशी पर्यटकों को भारत अधिक आकर्षक लगेगा।होटल और रेस्टोरेंट उद्योग को बढ़ावा कम कर से इनकी सेवाओं की माँग बढ़ेगी, जिससे नए निवेश, रोज़गार और प्रशिक्षण के अवसर मिलेंगे। देश में आर्थिक गतिविधियों एवं राजस्व में वृद्धि होगी। पर्यटन बढ़ने से स्थानीय बाजार, हस्तशिल्प, परिवहन और अन्य सहायक सेवाएँ भी लाभान्वित होंगी, जिससे राज्यों और केंद्र को अप्रत्यक्ष रूप से अधिक राजस्व मिलेगा। इसके अलावा ग्रामीण व ईको-टूरिज्म को प्रोत्साहन मिलेगा तथा कम कर दरें दूर-दराज के होमस्टे, गाँवों में पर्यटक सेवाओं, और नए पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देंगी।इससे राजस्थान, केरल, गोवा, हिमाचल जैसे पर्यटन प्रधान राज्यों को विशेष लाभ होगा। इन राज्यों में होटल व टूर पैकेज महँगे होने से प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती थी। अब कर घटने से उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ेगी। जीएसटी में यह कटौतियाँ पर्यटन क्षेत्र के लिए संजीवनी की तरह हैं। यह न केवल देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि करेगी बल्कि रोजगार, निवेश और आर्थिक विकास को भी नई गति देगी। सरकार के इस कदम से “इनक्रेडिबल इंडिया” की छवि और मजबूत होगी, और सचमुच पर्यटन को नए पंख लगेंगे लेकिन केवल कर घटाना पर्याप्त नहीं; इंफ्रास्ट्रक्चर, सुरक्षा, स्वच्छता, डिजिटल बुकिंग आदि सुविधाएँ भी बेहतर करनी होंगी।राज्य सरकारों को भी स्थानीय टैक्सों/फीस में संतुलन बनाना होगा। सेवा प्रदाताओं को पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करनी होगी, ताकि राहत का लाभ पर्यटक तक पहुँचे। यदि जीएसटी में कटौती के साथ-साथ पर्यटन स्थलों पर सुविधाओं का उन्नयन,‘डेस्टिनेशन मैनेजमेंट’ और मार्केटिंग/ब्रांडिंग को बढ़ावा दिया जाए,तो भारत 2030 तक विश्व के शीर्ष पर्यटन गंतव्यों में शामिल हो सकता है।