8 नवंबर 2025 को जब यह ट्रेन अपनी पहली यात्रा पर रवाना हुई तो दक्षिण भारत ने देखा “यह सिर्फ रेल नहीं,विकास की रफ्तार है।”नई वंदे भारत एक्सप्रेस न केवल यात्रियों के लिए सुविधा का प्रतीक है,बल्कि भारत की तकनीकी प्रगति, पर्यावरणीय संतुलन और आधुनिक रेल परिवहन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
विनोद कुमार सिंह
दक्षिण भारत के लिए 8 नवंबर 2025 का दिन ऐतिहासिक बन जायेगा,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जब एक साथ चार नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का उद्घाटन करेंगे ।इन्हीं चार वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में से एक है- एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस,जो केरल और कर्नाटक के बीच आधुनिकता,गति और सुविधा का सेतु बनकर उभरी है।यह न केवल एक परिवहन परियोजना है,बल्कि“नया भारत,तेज भारत” की भावना का सशक्त प्रतीक है।आज का यह दिन दक्षिण भारत के यात्रियों को एक शानदार सौगात स्वरूप मिलेगी।केरल की सांस्कृतिक राजधानी एर्नाकुलम को कर्नाटक की तकनीकी राजधानी बेंगलुरु से जोड़ने वाली यह वंदे भारत ट्रेन अब दोनों राज्यों के बीच यात्रा को तेज, सुरक्षित और आरामदायक बना चुकी है।यह ट्रेन कुल 8 घंटे 40 मिनट में लगभग 575 किलोमीटर की दूरी तय करती है-जो पहले सामान्य एक्सप्रेस ट्रेनों से लगभग 2 घंटे कम है।इस ट्रेन के शुरू होने से न केवल दोनों राज्यों के बीच संपर्क मजबूत होगा बल्कि व्यापार,पर्यटन और सामाजिक रिश्तों को भी एक नई गति मिलेगी।एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस प्रतिदिन दोनों दिशाओं में चलेगी।इस तरह यात्रियों को “वन डे ट्रिप” का लाभ मिलता है – एक ही दिन में आना-जाना संभव है,जिससे व्यापारिक यात्राओं और छोटी पारिवारिक यात्राओं में भारी सुविधा मिलती है।यह वंदे भारत एक्सप्रेस सात प्रमुख स्टेशनों पर ठहरेगी-कोयंबटूर,तिरुपुर,इरोड, सलेम,पालक्काड,थ्रिस्सूर और अंत में एर्नाकुलम।सर्वविदित रहे ये सभी स्टेशन न केवल औद्योगिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि सामाजिक- आर्थिक दृष्टि से दक्षिण भारत की धड़कन हैं।यह सलेम और इरोड -कृषि और लघु उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है।वंदे भारत ट्रेन के संचालन से इन शहरों के बीच व्यापारिक संबंधों को नई दिशा मिलेगी।छोटे और मध्यम उद्योगों के उत्पाद अब तेजी से बाजार तक पहुँच पाएंगे।
एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस में भारतीय रेल की नवीनतम तकनीक का समावेश किया गया है। वंदे भारत ट्रेन में यात्रियों को आराम दायक सीटें जो लंबी यात्रा को थकानरहित बनाती हैं।इसमें स्वचालित दरवाजे और जीपीएस आधारित सूचना प्रणाली-बायो-वैक्यूमशौचालय- स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण है ।इन सभी विशेषताओं के साथ यह ट्रेन पारंपरिक एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में अधिक कुशल,सुरक्षित और समयनिष्ठ बन चुकी है।एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस पूरी तरह भारतीय तकनीक और इंजीनियरिंग से निर्मित है।चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री(आई सी एफ)में इस ट्रेन का निर्माण हुआ है,जो “मेक इन इंडिया”और “आत्मनिर्भर भारत” के विज़न को साकार करती है।वंदे भारत ट्रेन का यह संस्करण अधिक ऊर्जा-सक्षम है ।पर्यावरण-अनुकूल और रखरखाव में सस्ता है।इसका एरोडायनामिक डिज़ाइन गति और स्थिरता दोनों को संतुलित करता है।केरल के हरित सौंदर्य और कर्नाटक की आधुनिकता को जोड़ने वाली यह ट्रेन दक्षिण भारत के पर्यटन मानचित्र में नया अध्याय जोड़ रही है।भारत की आईटी राजधानी,जहाँ हर वर्ष लाखों पेशेवर और पर्यटक पहुँचते हैं।इस ट्रेन के माध्यम से पर्यटकों को अब कम समय में इन शहरों के बीच यात्रा का अवसर मिलेगा।धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक यात्राएँ अधिक सुलभ होंगी।बेंगलुरु के आईटी सेक्टर, कोयंबटूर के टेक्सटाइल उद्योग और एर्नाकुलम के पोर्ट-आधारित व्यापार को अब एक तेज़, सटीक और समयबद्ध परिवहन माध्यम मिल गया है।यह ट्रेन छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए गेम-चेंजर साबित होगी।ट्रांसपोर्ट की लागत कम होगी और व्यापारिक नेटवर्क मजबूत बनेगा।रेल मंत्रालय का उद्देश्य है कि वंदे भारत जैसी हाई-टेक ट्रेनों के माध्यम से देश के सभी प्रमुख शहरों को जोड़ा जाए।इससे यात्रा का समय घटेगा,ऊर्जा की खपत कम होगी और यात्रियों का अनुभव विश्वस्तरीय बनेगा।अब तक देश में 80 से अधिक वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं,जिनमें से कई दक्षिण भारत में भी हैं।एर्नाकुलम-बेंगलुरु मार्ग पर इस नई ट्रेन के जुड़ने से दक्षिण भारत में वंदे भारत नेटवर्क और भी सशक्त हो गया है।आधुनिक भारत की प्रगति की पटरियों पर -एर्नाकुलम- बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस सिर्फ एक ट्रेन नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी क्षमता,आत्मनिर्भरता और विकास यात्रा का जीवंत प्रतीक है।यह यात्रा को तेज़ ही नहीं, बल्कि सुरक्षित और आनंददायक बनाती है।
8 नवंबर 2025 को जब यह ट्रेन अपनी पहली यात्रा पर रवाना हुई तो दक्षिण भारत ने देखा “यह सिर्फ रेल नहीं,विकास की रफ्तार है।”नई वंदे भारत एक्सप्रेस न केवल यात्रियों के लिए सुविधा का प्रतीक है,बल्कि भारत की तकनीकी प्रगति, पर्यावरणीय संतुलन और आधुनिक रेल परिवहन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।





