एशिया का शीर्ष भूतिया स्थल भानगढ़: रहस्यों, दंतकथाओं और अनुभवों का अद्भुत संगम
विनोद कुमार विक्की
राजस्थान के ऐतिहासिक किले अपने स्थापत्य वैभव, सुंदरता से ज्यादा रूहानी रहस्यों और भूतिया किंवदंतियों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक है अरावली की गोद में बसा भानगढ़ किला, जिसे एशिया का सबसे हॉन्टेड (भूतिया) स्थल माना जाता है। इस किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में भगवान दास (आमेर शासक) ने अपने पुत्र माधो सिंह के लिए करवाया था। वर्तमान में सन्नाटा, डर और किंवदंतियों की गूंज ने इसे इतना प्रसारित किया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने इसे सूर्यास्त के बाद “प्रवेश निषेध क्षेत्र” घोषित कर रखा है। इसकी रहस्यमयी कहानियों ने न केवल इतिहास प्रेमियों को आकर्षित किया है, बल्कि रोमांच के खोजियों और फिल्म जगत के लोगों को भी अपनी ओर खींचा है।
भानगढ़ के रहस्यमयी शांति के बीच बिताए गए कुछ रोमांचक घंटे
वर्ष 2023 के जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में मुझे एशिया के शीर्ष भूतिया स्थल कहे जाने वाले भानगढ़ किले में कुछ घंटे बिताने का अवसर मिला। प्रकृति और पत्थरों के बीच स्थित यह स्थान जितना सुंदर है, उतनी ही रहस्यमयी कहानियों से घिरा हुआ है।
मेरे साथ दौसा (राजस्थान) के कवि मित्र कृष्ण कुमार सैनी जी और उनका भांजा भी थे। किले के भीतर और उसके आस-पास की अनकही सच्चाइयों को सैनी जी का भांजा अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर रहा था।
सुबह जब हम दौसा से भानगढ़ (अलवर) की ओर निकले, तब मौसम बिल्कुल साफ़ था और सूरज की तपिश जुलाई की गर्मी का अहसास करा रही थी। लेकिन जैसे-जैसे हम भानगढ़ के करीब पहुंचे, आसमान पर काले बादलों ने कब्जा कर लिया।
दोपहर में ही शाम जैसा दृश्य बनने लगा और अचानक बदले मौसम ने मन में बैठी “भूतिया कल्पनाओं” को हवा दे दी।
उस समय वहां गिने-चुने ही पर्यटक मौजूद थे। चारों ओर सन्नाटा और वीरानी थी। बादलों से घिरे अंधियारे वातावरण में ऐसा लगा मानो किले की सुंदरता पर कोई रूहानी साया मंडरा रहा हो।
हमने किले के बाहर एवं अंदर कई स्थानों का मुआयना किया। जिन्न मंदिर, कक्ष, किले की छत और छत से तांत्रिक की गुफा भी देखी। हमें वहां कोई भूत या आत्मा तो नहीं दिखाई दी, परंतु चट्टानों के अवशेष, चमगादड़ों के समूह और रहस्यमयी शांति को समेटे भयावह वातावरण से सामना अवश्य हुआ।
सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि जिस किले में सूर्यास्त के बाद प्रवेश वर्जित है, और जहां आसपास कोई आबादी नहीं है, वहां के कमरे और सीढ़ियाँ असाधारण रूप से साफ-सुथरी दिखीं। सदियों से वीरान पड़ी महल की साफ-सफाई और स्वच्छता देख मुझे काफी आश्चर्य हुआ।
इस पर कवि मित्र सैनी जी ने बताया कि स्थानीय लोगों का विश्वास है कि “रात में आत्माएँ स्वयं सफाई करती हैं।”
उनकी बात सुनकर मैंने चुटकी लेते हुए कहा —“वाह! जहां देश के नागरिकों को ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का पाठ पढ़ाया जा रहा है, वहां सदियों से भटक रही आत्माएँ स्वयं स्वच्छता का बीड़ा उठाए हुए हैं।”
किला में कुछ घंटे बिताने के बाद हम किला परिसर के पास बने घास के मैदान में समोसा खाने बैठे। जैसे ही थैली खोली, अचानक बंदरों का झुंड हमारे आसपास मंडराने लगा। हमने एकाध समोसे की मांडवली की, लेकिन उनकी संख्या और तेवर देखकर नाश्ते की थैली समेटी और वहां से निकलना ही बेहतर समझा। बहरहाल किंवदंती और सत्य के बीच हमारी भानगढ़ ट्रिप वाकई रोमांचक रही। यह यात्रा भूत-प्रेतों से अधिक प्रकृति, स्थापत्य और रहस्य की सुंदर संगति का अनुभव कराने वाली रही। सदियों से खामोश पत्थरों के बीच भूत नहीं, बल्कि इतिहास की जीवित गूंज सुनाई दी। आइए, इससे जुड़ी कथाओं और मान्यताओं के बारे में चर्चा करते हैं।
रत्नावती और तांत्रिक की अभिशप्त कहानी
भानगढ़ की सबसे चर्चित कथा राजकुमारी रत्नावती और तांत्रिक सिंघिया की है। कहा जाता है कि रत्नावती के सौंदर्य ने तांत्रिक को मोहित कर लिया। उसने जादुई मंत्रों से राजकुमारी को अपने वश में करने का प्रयास किया, लेकिन रत्नावती ने उसकी चाल को भांप लिया और जादुई तेल को पत्थर पर फेंक दिया। पत्थर तांत्रिक की ओर बढ़ने लगा।
मरते समय सिंघिया ने क्रोध में भानगढ़ को श्राप दिया कि यह नगर हमेशा के लिए उजड़ जाएगा और कुछ ही समय बाद यह नगर नष्ट हो गया।
साधु का श्राप अथवा अजबगढ़ का आक्रमण और नगर का पतन
दूसरी कथा के अनुसार, जब राजा भगवंत दास के पुत्र माधो सिंह ने भानगढ़ बसाया, तो पास के साधु बालू नाथ ने चेतावनी दी थी कि महल की ऊँचाई इतनी न बढ़ाई जाए कि उसकी छाया उनके आश्रम पर पड़े। लेकिन जब राजा ने यह शर्त तोड़ दी, तो साधु के श्राप से भानगढ़ नगर उजाड़ हो गया।
हालांकि एक मान्यता यह भी है कि पड़ोसी राज्य अजबगढ़ के आक्रमण के कारण भानगढ़ की यह दुर्दशा हुई है।
भय और रहस्य की गूंज में विज्ञान
स्थानीय निवासियों का मानना है कि रात के समय यहाँ अजीब आवाज़ें, हँसी या चीखें सुनाई देती हैं। कई लोगों ने “अनदेखी परछाइयों” के दिखने का दावा किया है। कुछ पर्यटक कहते हैं कि किले में अचानक तापमान गिरता है, हवा भारी हो जाती है, और अंधकार के साथ एक अनजाना डर महसूस होता है।
वैज्ञानिकों का तर्क है कि अरावली की पहाड़ियों के बीच ध्वनि तरंगों की परावर्तन और विद्युत-चुंबकीय तरंगों के प्रभाव से मनोवैज्ञानिक भ्रम उत्पन्न होता है, जिससे लोगों को “भूतिया अनुभव” महसूस होता है।
बॉलीवुड, न्यूज़ चैनल और भानगढ़
भानगढ़ किला अपनी रहस्यमयी छवि के कारण फिल्मकारों का भी पसंदीदा स्थान रहा है। ‘ट्रिप टू भानगढ़’ , ‘भानगढ़’, भानगढ़ द लास्ट एपिसोड जैसी फिल्में इसी पृष्ठभूमि पर आधारित हैं।
कभी आमिर खान का फिल्म तलाश के लिए भानगढ़ में शूटिंग के लिए न जाना भी चर्चा का विषय रहा।
टीवी सीरियल “झांसी की रानी लक्ष्मीबाई” की अभिनेत्री उल्का गुप्ता ने यहां शूटिंग के दौरान हुए अपने भूतिया अनुभव को ज़ी टीवी के शो “फियर फाइल्स” में साझा किया था।
वहीं, फिल्म करण-अर्जुन का लोकप्रिय गीत “ये बंधन तो प्यार का बंधन है” का अंतिम दृश्य भी इसी किले में फिल्माया गया है।
जी न्यूज़, न्यूज 18, आज तक सहित कई न्यूज चैनलों ने अपने विशेष कार्यक्रम के लिए इस स्थल का भौतिक निरीक्षण भी किया। गौरतलब है कि पारा नोर्मल एक्सपर्ट गौरव तिवारी के जीवन का अंतिम विश्लेषण भी भानगढ़ किले से ही संबंधित था।
इन सभी के विश्लेषण में भी भूत-प्रेत तो नहीं किंतु नकारात्मक ऊर्जा होने की बात अवश्य कहीं गई है।
आज का भानगढ़ : भय से अधिक आकर्षण का प्रतीक
दिन के समय यहाँ आने वाले पर्यटक मंदिरों, हवेलियों, बाजारों और राजमहल के अवशेषों को देखकर चकित रह जाते हैं। यह स्थान न केवल भय का, बल्कि भारत की स्थापत्य कला और लोककथाओं का भी जीवंत प्रतीक है।दिन में यह स्थापत्य कला की उत्कृष्ट मिसाल लगता है, तो रात में रहस्य का अदृश्य आवरण ओढ़ लेता है।





