भारत-चीन रिश्तों में गर्मजोशी की चर्चाओं के बीच सीडीएस अनिल चौहान का बयान – “चीन अभी भी चुनौती”

Amidst discussions of warming up of India-China relations, CDS Anil Chauhan said – “China is still a challenge”

प्रीति पांडेय

भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि चीन के साथ सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी और दीर्घकालिक चुनौती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की “प्रॉक्सी वॉर” रणनीति, जिसका उद्देश्य भारत को हज़ार छोटे-छोटे घाव देकर कमजोर करना है, एक और बड़ी समस्या बनी हुई है।

ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र

जनरल चौहान ने इस साल मई में हुए पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस अभियान में सेना को निर्णय लेने की पूरी स्वतंत्रता दी गई थी और इसके अंतर्गत आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट किया गया।

उनका कहना था कि यह ऑपरेशन किसी आतंकी हमले का बदला लेने के लिए नहीं था, बल्कि यह दिखाने के लिए था कि भारत की सहनशीलता की रेड लाइन कहाँ तक है। उन्होंने बताया कि योजना बनाने से लेकर लक्ष्य तय करने तक सेना को पूर्ण स्वतंत्रता थी। यह एक मल्टी-डोमेन ऑपरेशन था, जिसमें साइबर युद्ध और थल, वायु तथा नौसेना—तीनों सेनाओं का समन्वय शामिल था।

गोरखपुर कार्यक्रम में बयान

गुरुवार को गोरखपुर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए जनरल चौहान ने कहा,
“देशों के सामने आने वाली चुनौतियाँ अस्थायी नहीं होतीं, बल्कि वे समय के साथ अलग-अलग रूपों में जारी रहती हैं। मेरा मानना है कि चीन के साथ सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी चुनौती है और आगे भी बना रहेगा। पाकिस्तान का परोक्ष युद्ध दूसरी बड़ी चुनौती है, जिसकी रणनीति है भारत को हज़ार घाव देकर कमजोर करना।”

उन्होंने आगे कहा कि युद्ध के क्षेत्र बदल चुके हैं। अब इसमें साइबर और अंतरिक्ष भी अहम हिस्सा बन चुके हैं। भारत के दोनों प्रमुख प्रतिद्वंद्वी (चीन और पाकिस्तान) परमाणु शक्ति संपन्न हैं, इसलिए यह हमेशा चुनौतीपूर्ण रहेगा कि उनके ख़िलाफ किस प्रकार के सैन्य अभियान चलाए जाएं।

डिप्टी आर्मी चीफ़ का दावा

इससे पहले, जुलाई में भारतीय सेना के डिप्टी चीफ़ लेफ़्टिनेंट जनरल राहुल सिंह ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने अपने सैटेलाइट का इस्तेमाल कर भारत की सैन्य तैनाती पर नज़र रखी और यह जानकारी पाकिस्तान को रियल टाइम में दी। उनके अनुसार यह स्थिति ऐसी थी मानो पाकिस्तान की ओर से चीन भी प्रत्यक्ष रूप से लड़ाई में शामिल हो।

राहुल सिंह ने यह भी कहा था कि चीन ने भारत-पाक संघर्ष को एक “लाइव लैब” की तरह इस्तेमाल किया, जहाँ वह यह परख रहा था कि पाकिस्तान को दिए उसके हथियार कैसे प्रदर्शन कर रहे हैं।

चीन, पाकिस्तान और क्षेत्रीय स्थिरता

जनरल अनिल चौहान पहले भी साफ कर चुके हैं कि चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हित आपस में जुड़े हुए हैं और इनकी आपसी नज़दीकियाँ क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं।

विमानों के गिराए जाने पर प्रतिक्रिया

ऑपरेशन सिंदूर के बाद शांगरी-ला संवाद के उपरांत एक इंटरव्यू में उन्होंने पाकिस्तान द्वारा भारत के लड़ाकू विमानों को गिराए जाने से जुड़े सवाल पर कहा था:
“यह ज़रूरी नहीं कि विमान गिराया गया या नहीं। महत्वपूर्ण यह है कि ऐसा क्यों हुआ।”

उन्होंने पाकिस्तान के इस दावे को खारिज किया कि भारत के छह विमानों को नुकसान पहुंचाया गया था। हालांकि, विमानों की संख्या पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की।

अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन के तियानजिन शहर में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाक़ात के बाद दोनों देशों के रिश्तों में सुधार के संकेत दिए जा रहे थे। इस बैठक में पाकिस्तान ने भी भाग लिया था।

इसी बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को गहरे, अंधेरे चीन के हाथों खो दिया। उम्मीद है कि उनकी साझेदारी लंबी और सफल रहेगी।”

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस पर प्रतिक्रिया देने से इंकार किया।

सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी मौजूद थे। इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भी भारत-अमेरिका संबंधों पर टिप्पणी करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना की थी। उनका कहना था कि ट्रंप और मोदी के बीच व्यक्तिगत रिश्ते मजबूत थे लेकिन अब वो खत्म हो गए हैं।