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रक्षा-राजनीति नेटवर्क
भोपाल : झीलों की नगरी भोपाल के न्यू मार्केट में स्थित पलाश रेसीडेंसी होटल के विमर्श सभागार में अंतराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच का राष्ट्रीय सम्मेलन व हेमंत स्मृति पुरस्कार समारोह सम्पन्न हुआ।
सर्वप्रथम अलंकरण सत्र में अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन के अध्यक्ष कैलाश चंद पंत ने सभी पुरस्कार विजेताओं को आशीर्वाद प्रदान किया।
हेमंत फाउंडेशन की संस्थापक सचिव डॉ . प्रमिला वर्मा ने हेमंत की यादों और उनकी कविताओं के बारे में अत्यंत मार्मिक प्रस्तुति दी। जिसे अंजना श्रीवास्तव ने मंच से पढ़कर सुनाया।
अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने संस्था की गतिविधियों और उसके उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि -“अरुणाभ सौरभ की कविताएं प्रकृति में ईश्वर पाती हैं ईश्वर में ईश्वर को खोज लेती हैं।”
मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने हेमन्त का जिक्र करते हुए कहा कि- “हम वसंत में हेमन्त का स्मरण कर रहे हैं। वसंत के बाद ही हेमन्त आता है।
भोपाल साहित्यकारों का मंदिर है। यहाँ साहित्य सुगंध की तरह बहता है।” आपने एक कविता भी पढ़कर सुनाई जिसके बोल थे।
“सड़कों पर शीशे की किरचें हैं।
और नंगे पाँव हमें चलना है।”
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ बाल साहित्यकार डॉ विकास दवे (निदेशक मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी) ने कहा कि- “जब हम समाज की संवेदना को अपनी संवेदना से एक रूप करते हैं तब साहित्य सृजन होता है।”
वरिष्ठ साहित्यकार (रामायण केंद्र के निदेशक) प्रो राजेश श्रीवास्तव ने एक कविता पढ़कर सुनाई। जिसके बोल थे।
“एक समंदर ढूंढ रहा हूँ।
मोती अंदर ढूंढ रहा हूँ।”
सत्र की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार विजय बहादुर सिंह ने अपने वक्तव्य में अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की साहित्यिक गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि- “लेखक होना बहुत आसान भी है और बहुत कठिन भी। जो लोग समाज की चुनौतियों को समझते हैं उनके लिए बहुत कठिन है। लेखक होने के लिए जरूरी है कि हम सोचें कि हमारे जमाने के लोग ही हमें क्यों नहीं पढ़ रहे हैं।
साहित्य हमें आदमी से इंसान बनना सिखाता है।मनुष्य होकर जीने की कला सिखाता है।”
अंजना श्रीवास्तव ने हेमंत की यादों को ताज़ा किया। अतिथियों का स्वागत जया केतकी ( निदेशक अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच) ने किया।
इस सत्र का संचालन एवं आभार मुजफ्फर इकबाल सिद्दिकी( महासचिव अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच) ने किया।
द्वितीय सत्र – गद्य सत्र की अध्यक्षता इंडिया नेटबुक्स के डॉ संजीव कुमार ने की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि तथा कथाकार, गोकुल सोनी। विशिष्ट अतिथि के रूप में राजेंद्र गट्टानी , वरिष्ठ कवि एवं अध्यक्ष मध्यप्रदेश लेखक संघ मंचासीन थे। विशिष्ठ अतिथि थीं डॉ रानी श्रीवास्तव। डॉ राजेंद्र राजन, डॉ विपिन पवार एवं डॉ विनीता राहुरिकार ने इस सत्र में जहाँ कहानी पाठ किया तो वहीँ रामस्वरूप दीक्षित ने व्यंग्य पाठ किया। रानी सुमिता ने बेहतरीन सञ्चालन किया।
तृतीय सत्र लघुकथा का था। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं वनिका प्रकाशन की मालिक डॉ नीरज शर्मा ने की। मुख्य अतिथि के रूप में लघुकथा शोधकेंद्र समिति की निदेशक कान्ता रॉय उपस्थित थीं। डॉ क्षमा शक्ति पाण्डेय एवं डॉ सुषमा सिंह इस सत्र में विशिष्ट अतिथि थीं। भारत के विभिन्न शहरों से पधारे। 26 लघुकथाकारों ने रचना पाठ किया। बेहतरीन सञ्चालन दिल्ली से आईं शकुंतला मित्तल ने किया।
समापन सत्र का संचालन करते हुए शेफालिका सक्सेना ने सभी प्रतिभागियों को प्रतीक चिन्ह वरिष्ठ रचनाकारों के हाथों प्रदान किया।
कार्यक्रम में टीकमगढ़, दिल्ली, अहमदाबाद, गुरुग्राम, मुंबई, कानपुर, जोधपुर, लखनऊ, सीहोर, विदिशा, रायपुर, इंदौर उज्जैन से आए हुए साहित्यकारों सहित भोपाल के साहित्यकारों एवं पत्रकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।