अशोक गहलोत बने कांग्रेस के नए संकट मोचक

नीति गोपेंद्र भट्ट

नई दिल्ली। कांग्रेस की अन्तरिम राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार और पार्टी के वरिष्ठ सांसद अहमद पटेल के असामयिक निधन के बाद कांग्रेस में किसी नेता ने संकट मोचक और प्रबंधक की भूमिका को उस तरीक़े से नहीं निभाया जैसा वर्तमान संकट और परिस्थितियों में आज राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत निभाने का प्रयास कर रहें है।

नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) की पूछताछ के विरोध में चल रहे आंदोलन में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल एवं प्रियंका गाँधी और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ रणनीति बनाने से लेकर अपनी ज़मीनी नेता की छवि के अनुरूप सड़क तक मोर्चा संभाल रखा है।गहलोत ने संकट की इस घड़ी में मज़बूती के साथ आलाकमान और गाँधी परिवार के साथ खड़े होकर एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि उनकी निष्ठा प्रतिबद्धता और वफ़ादारी बेजोड़ हैं।

राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के बाद देशभर की राजनीति गरमाई हुई है। दिल्ली में कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के पहले दिन से अशोक गहलोत अहम भूमिका निभा रहें है।

गहलोत अखिल भारतीय कांग्रेस मुख्यालय पर बड़े नेताओं के साथ हर दिन रणनीति तैयार करते हैं और लगातार मीडिया के सामने पार्टी का पक्ष ज़ोरदार ढंग से रख रहें हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार को लेकर बहुत मुखर है। गहलोत शुरू से ही ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स आदि छापों को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोलते रहे हैं और अब वह दिल्ली से सीधा केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं।

दिल्ली में दो बार कांग्रेस महासचिव और कई बार केंद्रीय मंत्री रहने का गहलोत का तजुर्बा वर्तमान परिस्थितियों में रणनीति बनाने में उनका मददगार हो रहा है। गहलोत के पार्टी के भीतर और पार्टी के बाहर ज़बर्दस्त रसूकात है। वे ए आई सी सी के चप्पे चप्पे और बच्चे बच्चे को जानते है। हालाँकि अभी रणनीति के अनुरूप पूरा फ़ोकस पार्टी में नई जान फूंकना और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना है। आज पूरे देश में कांग्रेस के राजभवनों का घेराव कार्यक्रम की सफलता से इस उद्देश्य में सफलता भी मिल रही है। पार्टी को पटरी पर लाकर अन्य सहयोगी दलों को भी राहुल गाँधी के समर्थन में खड़ा करने की रणनीति पर भी काम हो रहा हैं। ममता बनर्जी द्वारा राष्ट्रपति के चुनाव में विपक्ष के एकमत से उम्मीदवार खड़ा करने को लेकर विचार विमर्श करने के लिए आहूत बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भेजना भी इस रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।

गहलोत कांग्रेस के संगठन महासचिव भी रहें है ।एक बार फिर से दिल्ली में गहलोत की सक्रियता देखकर जानकारों का कहना है कि काफी सालों बाद गहलोत अपने उसी पुराने तेवर में दिखाई दे रहे है। हाल में राजस्थान से पार्टी के तीन केन्द्रीय नेताओं को राज्यसभा चुनाव जीता कर लाने के बाद गहलोत की राष्ट्रीय स्तर पर एक कुशल रणनीतिकार होने की छवि और अधिक मजबूत हुई है।

दिल्ली में गहलोत की सक्रिय मौजूदगी सियासी गलियारों में भी चर्चा का विषय बनी हुई है और उनके तथाकथित विरोधियों में भी इसे लेकर हलचल हैं।गहलोत को गांधी परिवार की चार पीढ़ियों के साथ काम करने का अनुभव है। वे पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी एवं नरसिंह राव के मंत्रिमण्डल और यू पी ए अध्यक्ष सोनिया गाँधी के साथ-साथ राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष रहने के दौरान राष्ट्रीय महामन्त्री और संगठन महासचिव के रूप में काम कर चुके हैं ।वे राजनीति के एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ और जादूगर माने जाते हैं।

अशोक गहलोत पार्टी के क़द्दावर नेता है और उनकी संकट की घड़ी में दिल्ली में सक्रियता और अन्य नेताओं को भी प्रेरित करने की उनकी पहल से आज कांग्रेस नेताओं में राहुल गाँधी के पीछे खड़े होने की होड़ सी लगी गई है।

राहुल से अब सोमवार को होंगी पूछताछ

नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी से शुक्रवार को होने वाली पूछताछ अब सोमवार को होंगी। नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती सोनिया गांधी के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए राहुल ने ही ईडी से पूछताछ शुक्रवार की बजाय सोमवार को करने की अपील की थी। जांच एजेंसी ईडी ने उनकी अपील को स्वीकार कर शुक्रवार की सुनवाई को टाल दिया है और अब राहुल गांधी को सोमवार को जांच के लिए बुलाने का निर्णय किया है ।

राहुल गाँधी से ईडी ने अब तक सोमवार से बुधवार तक लगातार तीन दिनों तक 30 घंटे से भी अधिक समय तक सवाल-जवाब किए हैं। गुरुवार को अपनी माँ सोनिया गांधी की एक माइनर सर्जरी के कारण राहुल ने सुनवाई पर नही आने की अनुमति ली थी।इस ब्रेक के बाद ईडी एजेंसी ने उन्हें शुक्रवार को पुनःपूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन राहुल ने सोनिया गाँधी की सेवा सुषधा और सार सम्भाल के लिए ईडी में उपस्थित नहीं रहने की छूट माँग ली है।

वे ईडी द्वारा राहुल गांधी से पूछताछ के विरोध में पिछलें रविवार से दिल्ली में पार्टी के सत्याग्रह प्रदर्शन और पद यात्रा में प्रमुख रणनीतिकार के रूप में मौजूद रहें। हालांकि, वे शुक्रवार और शनिवार दो दिन जयपुर में रहने के बाद रविवार को पुनः दिल्ली आ सकते हैं क्योंकि सोमवार को कांग्रेस के शिष्ट मण्डल का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात का कार्यक्रम प्रस्तावित है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का रविवार 19 जून को जन्मदिन भी है।