रविवार दिल्ली नेटवर्क
जांजगीर-चाम्पा : वन ग्राम डोगीपेण्ड्री के लोगो के लिए वरदान साबित हो रहे आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस मंदिर जिला मुख्यालय से करीब 45किलोमीटर जिले के अंतिम छोर में बसे वन ग्राम डोंगीपेण्ड्री स्तर पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से बनाए गए आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस मंदिर लोगों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। इनसे न केवल लोगों की जिदगी को समय रहते बचाया जा रहा है वहीं अन्य सामान्य रोगियों को अपने इलाज के लिए कम दूरी तय करनी पड़ रही है।
गांव नवापारा निवासी 82 वर्षीय आशा राम ने बताया की डोंगी पेण्ड्री में हॉस्पिटल खुल जाने से हमे स्वस्थ सुविधा का लाभ मिल रही है।हमारे उम्र बीत गया लेकिन हमारे गांव में स्वास्थ्य सुविधा नहीं थीं, छोटे बड़े बीमारियों का इलाज के लिए दूर दराज जाना पड़ता था,जिला मुख्यालय या बिलासपुर,और हमारे गांव से जाने के लिए सुविधा भी नहीं होती थीं, लेकिन आज गांव में आयुष्मान भारत हेल्ड वेलनेस मंदिर खुल जाने से आज हमे स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है
गांव डोगी पेण्ड्री निवासी मनीषा ने बताया की हमारे गांव जिला की अंतिम छोर पर बसा हुवा है, इस कारण हमे पहले स्वास्थ्य सुविधा के लिए दूर जाना पड़ता था,हमारा गांव वन ग्राम है, चारो तरफ जंगलो से घिरा हुवा है, साथ ही जांजगीर-चाम्पा जिले के अंतिम गांव है, हमने कभी सोचा नहीं था, की हमारे वन ग्राम में हेल्थ एंड वेलनेस मंदिर खुल जायेगे और हमें 24घंटे स्वास्थ्य सुविधा प्राप्त होंगी, आज हमारे गांव में हेल्थ एंड वेलनेस मंदिर खुल जाना एक सपने जैसा लग रहा है,अभी हमें सभी प्रकार का स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है
श्रीमति रमा सिंह राजपूत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी वन ग्राम डोंगी पेण्ड्री ने बताया की वन ग्राम डोंगी पेण्ड्री में हेल्थ एंड वेलनेस मंदिर के कारण न केवल लोगों को गांव स्तर पर ही इलाज की सुविधा मिल रही है, वन ग्राम डोंगीपेण्ड्री के अंतर्गत चार गांव आते है लेवाई, नवापरा, बगडबरी इन चारो गांव के लोगो को स्वास्थ्य सुविधा के लिए अब आसानी हो रही है,वहीं सामुदायिक केंद्रों पर भी भीड़ कम हुई है। इससे मरीज को इलाज के लिए अधिक दूरी भी तय नहीं करनी पड़ती। अगर किसी व्यक्ति में गंभीर बीमारी के लक्षण दिखाई देते है तो मरीज को उसके बारे समय रहते जानकारी दे दी जाती है।ताकि वह समय पर बीमारी से संबंधित अपना इलाज करवा सके। विभाग की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि जरूरत की सभी दवाइयां इन सेंटरों पर उपलब्ध हो ताकि प्राथमिक व नियमित तौर पर चलने वाला उपचार गांव में ही संभव हो सके। सेंटरों पर मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है।