बस्तर का ‘कोंडागांव मॉडल’ बना राष्ट्रीय आकर्षण, तीन राज्यों के प्रगतिशील किसानों ने किया विशेष अध्ययन दौरा

Bastar's 'Kondagaon Model' becomes national attraction, progressive farmers from three states make special study tour

दीपक कुमार त्यागी

  • किसान नेता राकेश टिकैत के परिवार के पुत्र गौरव टिकैत, भाई नरेंद्र टिकैत तथा भांजे सहित पाँच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पहुंचा मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म कोंडागांव।
  • गुजरात से भी प्रगतिशील किसानों का एक दल मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म के सफल ‘कोंडागांव मॉडल’ को अपनाने के उद्देश्य से पहुंचा कोंडागांव।
  • ओडिशा के 70 प्रगतिशील किसानों का दल भी ‘प्रदान’ समाजसेवी संगठन के तत्वावधान में पहुंचा मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म।

कोंडागांव (बस्तर) : पर्यावरण-अनुकूल कृषि नवाचारों के लिए प्रसिद्ध डॉ. राजाराम त्रिपाठी के नेतृत्व में विकसित मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सेंटर कोंडागांव (बस्तर) छत्तीसगढ़ इन दिनों देशभर के किसानों का प्रेरणा स्रोत बन रहा है। हाल ही में मंगलवार ,18 मार्च को दिल्ली-उत्तर प्रदेश, ओडिशा और गुजरात के प्रगतिशील किसानों का दल विशेष अध्ययन भ्रमण के लिए यहां पहुंचा।

टिकैत परिवार का विशेष दौरा
देश के प्रमुख किसान नेता राकेश टिकैत के परिवार के सदस्य — उनके पुत्र गौरव टिकैत, भाई नरेंद्र टिकैत तथा भांजे सहित पाँच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल — विशेष रूप से ऑस्ट्रेलियाई काली मिर्च और औषधीय पौधों की खेती को देखने-समझने के लिए बस्तर पहुंचे। गौरव टिकैत, जो कि चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, ने बस्तर के किसानों द्वारा अपनाई जा रही इस अद्वितीय कृषि पद्धति को “क्रांतिकारी” बताते हुए कहा कि वे शीघ्र ही अपने खेतों में ऑस्ट्रेलियाई काली मिर्च और वन औषधीय पौधों की खेती का कार्य प्रारंभ करेंगे। उन्होंने ‘कोंडागांव मॉडल’ को किसानों की आय बढ़ाने और जलवायु संकट का समाधान करने वाला देश का सबसे सफल कृषि मॉडल करार दिया।

ओडिशा से 70 किसानों का आगमन
ओडिशा के 70 प्रगतिशील किसानों का दल भी ‘प्रदान’ समाजसेवी संगठन के तत्वावधान में रजनीश मिश्रा के नेतृत्व में इस दौरे में शामिल हुआ। उन्होंने फार्म पर की जा रही ऑस्ट्रेलियाई काली मिर्च, हल्दी, सफेद मूसली, स्टीविया और अन्य औषधीय फसलों की मिश्रित खेती की विधियों को गहराई से समझा। किसानों ने इस मॉडल को अपने क्षेत्र में अपनाने की योजना बनाई।

गुजरात के किसान भी पहुंचे सीखने
गुजरात से भी प्रगतिशील किसानों का एक दल मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म के सफल ‘कोंडागांव मॉडल’ को अपनाने के उद्देश्य से पहुंचा।* उन्होंने विशेष रूप से वृक्षों से निर्मित प्राकृतिक ग्रीनहाउस प्रणाली का अवलोकन किया, जो कि पॉलीहाउस के महंगे विकल्प का सस्ता और प्रभावी समाधान है।

सम्मान एवं प्रेरणा का क्षण
इस अवसर पर मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के निदेशक अनुराग कुमार, मिशन लीडर जसमती नेताम, बलई चक्रवर्ती, शंकर नाग एवं कृष्णा नेताम ने गौरव टिकैत, रजनीश मिश्रा और अन्य प्रगतिशील किसानों का अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। साथ ही, किसानों को देश की प्रसिद्ध कृषि पत्रिका ‘कृषक डायरी’ प्रदान की गई, जिसमें खेती के नवीनतम नवाचारों और उच्च उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई हैं।

‘कोंडागांव मॉडल’ को राष्ट्रीय स्तर पर अपनाने की अपील
गौरव टिकैत ने कहा, “यह मॉडल देश के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है। हमें इस नवाचार को अपने खेतों में अपनाकर न केवल अपनी आय बढ़ानी चाहिए, बल्कि इसे अपने क्षेत्र के अन्य किसानों तक भी पहुँचाना चाहिए।”
डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि किसानों को अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं खोजना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि “सरकार को चाहिए कि ऐसे सफल कृषि मॉडलों को पूरे देश में फैलाने में किसानों की सहायता करे।”

राष्ट्रीय पहचान बना ‘कोंडागांव मॉडल’
यह मॉडल आज बस्तर के किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि देशभर के किसानों के लिए एक नई आशा की किरण बन चुका है। डॉ. राजाराम त्रिपाठी का यह अभिनव प्रयास न केवल कृषि क्षेत्र में आर्थिक क्रांति लाने में सक्षम है, बल्कि जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौती का भी प्रभावी समाधान प्रस्तुत करता है।