शुभकामनाएं ही शुभकामनाये

रेखा शाह आरबी

अपने देश में शुभ अवसर और शुभ दिवसों पर शुभकामनाएं देने और लेने का जबरदस्त प्रचलन है । जब भी कोई शुभ अवसर आता है तो व्यक्ति अपने नाते रिश्तेदारों को स्नेह निमंत्रण भेजना चाहता है । यह उसके प्रेम आदर और स्नेह का प्रतीक होता है । और जब से सोशल मीडिया और स्मार्ट फोन आया है तब से तो इस वृत्ति को बहुत ही ज्यादा बढ़ावा मिला है । बढ़ावा कहना बहुत ही छोटा शब्द होगा कभी-कभी तो किसी अवसर पर विशेष कर नये साल पर लोग इतनी बधाइयां, शुभकामनाएं देते हैं की.. फोन कहने लगता है.. मलिक मुझ पर रहम करो वरना मेरे प्राण निकल जाएंगे और ओवरलोड होकर बेहोश होने लगता है। और मोबाइल की बेहोशी दूर करने के लिए उस पर फार्मेट का पानी मारना पड़ता है या सबके शुभकामना आशिर्वाद को ना चाहते हुए भी डिलीट करना पड़ता है ।

पहले के जमाने में किसी को शुभकामनाएं देने के लिए उसके घर जाना पड़ता था। साथ में कुछ मीठा मिष्ठान भी ले जाना पड़ता था । और दिन भर का समय निकालना पड़ता था। इसीलिए कोई भी किसी को शुभकामना संदेश तभी देता था । जब बहुत जरूरी होता था और वह इंसान बहुत अपना होता था । लेकिन इस सोशल मीडिया के जमाने में और स्मार्टफोन के जमाने में हर कोई अपना है। सोशल मीडिया और स्मार्टफोन ने लोगों के ऊपर बहुत उपकार कर दिया है किराए के पैसे के साथ-साथ मिठाई के पैसे भी बचा दिए.. अब जिसको देना है उतना देते रहिए जब मन करे तब देते रहिए । अब आप दुनिया में ट्रक भर भर कर स्नैह और प्रेम बांटने के लिए स्वतंत्र है यदि आपके पास स्मार्टफोन और नेट है । ऐसे ही कृत्य के लिए एक कहावत है- हर लगे ना फिटकरी रंग चोखा आए..

अब आप शुभकामना संदेश सुबह दीजिए शाम दीजिए..। हर ऐरे-गैरे नत्थू खैरे को शुभकामना संदेश दीजिए और लिजिए । फोन वाले यदि फूल और इमोजी इस्तेमाल करने पर पैसे लगाने लगे तो पता चलेगा की कोई गुलाब का फूल छोडिऐ गेंदे का फूल भी किसी को कोई ना दे। चार्ज नहीं लगने के कारण ही नए साल के अवसर पर मोबाइल को सामान्य अवस्था में लाने के लिए कम से कम दो-तीन दिन का समय लगता है।

जाने कहां से शुभ अवसर और शुभ दिवस पर लोग आते हैं इतना ज्यादा मन में लोगों के लिए अच्छी भावनाएं लेकर.. लगने लगता है दुनिया में सारे लोग कितने मिलनसार कितने प्यारे इंसान हैं। इस दुनिया में तो नफरत ईष्या- देष -दोष- क्लेश तो कही पर है ही नहीं.. सभी अपने हितैषी, शुभचिंतक हैं.. लेकिन कुछ दिनों बाद अचानक से उनसे कोई काम पड़ जाए तो तब पता चलता है कि दुनिया में कितने शुभचिंतक हैं। और कितने आपके सुख से चिंता में पड़ जाने वाले हैं । और आपको यह दुनिया फिर से बुरी और खराब दिखाई देने लगेगी चालाक दिखाई देने लगेगी। दुनिया ना कभी बहुत अच्छी थी ना दुनिया कभी बहुत ही खराब थी। यह तो आपका अपना नजर दोष था कि आपने उसे अपने नजरिए से देखा।

शुभकामनाएं लेना और देना तो अब संस्कार बन चुका है । और ऐसा संस्कार बन चुका है अगर कोई व्यक्ति किसी को शुभकामना नही देता और लेता है। तब हम उसे आश्चर्य से देखते है कि इसके सारे पेंच तो सही है कोई पेच ढीला ढाला तो नही है । या यह कोई दूसरे ग्रह का आया हुआ प्राणी तो नहीं है। धरती का तो कतई नहीं हो सकता। या उस बेचारे के पास स्मार्टफोन नहीं हो .. या ऐसा भी हो सकता है कि बेचारे के फोन में नेट खत्म हो चुका हो जो कि इस दुनिया का सबसे बड़ा दुख बन चुका है। ऐसे-ऐसे-दयनीयता से हम देखने लगते हैं जिसको भी शुभकामनाओं से परहेज होता है। अगर आपको कोई स्मार्टफोन धारी नेट की कमी से जूझता हुआ दिखे तो कृपया उस असहाय और दुखी आत्मा की मदद जरूर करें इस कलयुग में सबसे बड़ा पुण्य का काम यही है चाहे आप इस बात को माने या ना माने।

वैसे भी मनुष्य के अंदर एक गुण बड़ा देखा गया है …देखा देखी धर्म.. और देखा देखी पाप , आजकल लोग देखा देखी धर्म भले ही ना करें लेकिन पाप जरूर करते हैं।देखिएगा लोग एक दूसरे की देखा देखी आपको थोक के भाव में शुभकामनाएं भेजेंगे.. आपको मजबूरी में जवाब देना पड़ेगा। जब हर कोई आपको शुभकामना देकर आपके मोबाइल की बैंड बजा रहा है तो फिर आप क्यों पीछे रहे आप भी लगे हाथ अपनी फ्रेंड लिस्ट के हर एक व्यक्ति को एक लंबा चौड़ा शुभकामना संदेश लिखिए और धड़ाधड़ फॉरवर्ड करने लगिये .. ताकि जिस तरह आपका मोबाइल हर आधे घंटे पर बेहोश हो रहा है । उनका भी मोबाइल बेहोश हो जाए और उन्हें भी उतनी ही मेहनत करनी पड़े तो फिर लग जाइए इस काम में और भेज दीजिए.. आदरणीय सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं..।