जेपी नड्डा की लीडरशिप ही भाजपा लड़ेगी आसन्न 9 विधानसभा व लोकसभा चुनाव

संदीप ठाकुर

जैसाकि पिछले कुछ दिनों से अनुमान लगाया जा रहा था भारतीय जनता पार्टी की
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जेपी नड्डा को पार्टी अध्यक्ष के रूप
में सेवा विस्तार दे दिया गया है। गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान किया कि
नड्‌डा का कार्यकाल अगले एक साल यानी जून 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
नड्‌डा को जून 2019 में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. इसके बाद 20
जनवरी 2020 को उन्हें पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया गया। 20 जनवरी को उनका
कार्यकाल खत्म हो रहा था। गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि पार्टी बैठक
में राजनाथ सिंह ने जेपी नड्डा के सेवा विस्तार का प्रस्ताव रखा था।
बीजेपी कार्यकारिणी द्वारा उसे स्वीकार कर लिया गया। जेपी नड्डा बीजेपी
अध्यक्ष के रूप में लगातार दूसरा कार्यकाल हासिल करने वाले तीसरे नेता बन
गए हैं। इससे पहले लालकृष्ण आडवाणी और अमित शाह को सेवा विस्तार दिया गया
था। हालांकि, राजनाथ सिंह भी दो बार पार्टी अध्यक्ष बने थे, लेकिन उनका
कार्यकाल लगातार नहीं था।

बैठक में जेपी नड्डा ने दो टूक कहा था कि पार्टी को इस साल सभी 9 राज्यों
में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करनी है.। बीजेपी को एक भी
चुनाव नहीं हारना है। नड्डा के लिए 2023 और 2024 काफी अहम साल हैं। 9
राज्य और लाेकसभा। गौरतलब है कि इनमें से वो राज्य भी शामिल हैं, जहां
पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा चार राज्य कर्नाटक,
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तो ऐसे हैं जहां बीजेपी की सीधी
टक्कर कांग्रेस से है। इन राज्यों कर्नाटक और मध्य प्रदेश में तो भगवा दल
के लिए चुनौती और बड़ी है, क्योंकि यहां पार्टी को सत्ता विरोधी लहर का
भी सामना करना पड़ेगा। पार्टी को मध्य प्रदेश और कर्नाटक में काफी जोर
लगाना होगा।

दरअसल, नड्डा के बयान और हकीकत का फर्क आप ऐसे समझे कि पिछली बार लोकसभा
चुनाव से पहले मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बीजेपी को हार मिली
थी जबकि कर्नाटक में वह मामूली अंतर से बहुमत से दूर रह गई थी। कुछ दिन
बाद पार्टी ने कर्नाटक में सरकार तो बना ली है लेकिन वहां भगवा दल के लिए
हालात बहुत ठीक नहीं लग रहे हैं। राज्य के मुखिया बासवराज बोम्मई पर
विपक्षी भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। मध्य प्रदेश में भी पार्टी काे
सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में नड्डा के लिए 2023
का साल कांटों से भरा है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि आलाकमान को मध्य
प्रदेश और कर्नाटक को लेकर शंकाएं हैं। ऐसे में हो सकता है कि बीजेपी इन
राज्यों में ‘गुजरात प्लान’ अपना ले। यानी चूक की कोई गुंजाइश नहीं है।
नड्डा को 2023 को इसलिए भी जीतना होगा क्योंकि यहीं से मिशन 2024 शुरू
होगा। या यों कहें कि लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मुकाबला 2023 में ही
होगा।

दरअसल, मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। छत्तीसगढ़ में 11,
राजस्थान में 25 और कर्नाटक में 28 सीटें हैं। यानी कुल 93 लोकसभा सीटों
का मामला है। 2019 के चुनाव में इन चारों राज्यों में बीजेपी ने बंपर जीत
दर्ज की थी। अगर विधानसभा चुनाव में पार्टी इन राज्यों में कमजोर
प्रदर्शन करती है तो मिशन 2024 फंस सकता है। इसलिए नड्डा के लिए न केवल
93 सीटों का गणित अहम होगा बल्कि यहां जीतना भी जरूरी होगा। मध्य प्रदेश,
राजस्थान, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ ऐसे राज्य हैं जहां बीजेपी को सबसे
ज्यादा टेंशन होने वाली है। कर्नाटक में कांग्रेस जमीन पर काफी मजबूत है,
यहां बीजेपी की सीधी टक्कर उससे होनी है। पार्टी को यहां अंदरूनी विरोध
और सीएम बोम्मई पर विपक्षी हमले को झेलना होगा। इसके अलावा हाल के दिनों
में राज्य में कुछ ऐसे भी विवाद हुए हैं जिससे पार्टी की मुश्किलें बढ़ी
हैं।

दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में पार्टी को अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा
है। यहां पार्टी को पिछली बार हार का सामना करना पड़ा था। बाद में
ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से बगावत के बाद पार्टी ने राज्य ने
सरकार बनाई थी। यहां पार्टी को फिर सत्ता में आने के लिए पूरा जोर लगाना
होगा। राजस्थान में बीजेपी कई धड़ों में बंटी है। वसुंधरा राजे, सतीश
पूनिया के बीच तनातनी किसी से छिपी नहीं है। लेकिन पार्टी को यहां एक
फायदा ये है कि कांग्रेस में भी उठापटक काफी है और उसका फायदा वह उठा
सकता है। छत्तीसगढ़ में पार्टी को कांग्रेस के मजबूत संगठन के साथ-साथ
सीएम भूपेश बघेल की चुनौती से पार पाना होगा। कुल मिला कर देखा जाए तो
नड्डा के लिए अध्यक्ष की कुर्सी किसी कांटाें के ताज से कम नहीं होगी।