रणभूमि से रचनात्मकता तक मातृशक्ति का उत्सव

Celebration of Mother Power from Battlefield to Creativity

अम्बिका कुशवाहा ‘अम्बी’

चूड़ियां कभी कमजोरी का प्रतीक नहीं रहीं, बल्कि नारी की शक्ति का प्रतीक हैं। जो माँ मृत्यु से लड़कर जीवन को जन्म देती है, वही युद्ध के मैदान में तलवार थामकर दुश्मनों को धूल चटाती है। उसकी कलाई की खनक रणभूमि में हुंकार बन जाती है, और उसका हौसला आसमान को चीर देता है।

समाज ने नारी को आश्रित और कमजोर समझने की भूल की, पर उसकी चूड़ियों की खनक ने हर बेड़ी तोड़ दी। आज नारी शक्ति न केवल घर की चौखट, बल्कि देश की सीमाओं पर भी नेतृत्व कर रही है। इस मदर डे पर, हम उस माँ की शक्ति को सलाम करते हैं, जो अपनी मातृभूमि के लिए ढाल बनती है और देश की आन-बान-शान के लिए तलवार उठाती है। साथ ही, उन पुरुषों और समाज के हर व्यक्ति को नमन, जिन्होंने नारी के साहस को प्रोत्साहित किया, उसके सपनों को पंख दिए, और उसे रणभूमि से लेकर नेतृत्व के शिखर तक पहुंचने में साथ दिया। यह स्पष्ट है कि यदि परवरिश और प्रोत्साहन बराबर मिले, तो नारी में भी अपार साहस और शक्ति है।

इतिहास में रानी लक्ष्मीबाई, चाँद बीबी जैसी वीरांगनाओं ने युद्ध के मैदान में अपनी शक्ति और नेतृत्व का परिचय दिया। आधुनिक समय में भी, सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व इस शक्ति का प्रतीक है।

पहलगाम हमले में आतंकवादियों ने न केवल धर्म पूछकर हमारी भावनाओं का अपमान किया, बल्कि भारतीय नारी को अबला समझकर उनकी शक्ति और सम्मान को भी चुनौती दी। इस कायरतापूर्ण कृत्य ने हमारी सांस्कृतिक एकता को निशाना बनाया। आतंकवादियों की यह भूल थी कि उन्होंने भारतीय नारी की शक्ति को कम आंका।

इस मातृशक्ति का जीवंत उदाहरण हैं कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में अपनी वीरता और नेतृत्व से देश का मान बढ़ाया। कर्नल सोफिया, भारतीय सेना की सिग्नल कोर की साहसी अधिकारी, ने 2016 में बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में 40 सैनिकों का नेतृत्व कर इतिहास रचा। उनके दादाजी और पति, दोनों सेना के सम्मानित अधिकारी, ने उनके सैन्य जीवन के सपने को प्रेरणा दी। कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के दौरान, उन्होंने एक 5 वर्षीय बच्ची को उसके परिवार से मिलाकर ममता की मिसाल कायम की, जिसमें उनके पुरुष सहयोगियों और स्थानीय समुदाय ने उनका साथ दिया।

दूसरी ओर, विंग कमांडर व्योमिका सिंह, एक माँ के दृढ़ संकल्प के साथ आसमान छूने वाली वायु सेना की हेलीकॉप्टर पायलट, ने 2,500 से अधिक उड़ान घंटों के साथ बाढ़ राहत से लेकर युद्ध मिशनों तक अपनी ताकत दिखाई।

कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका को विश्व ने शक्ति के रूप में जाना, लेकिन हमारे समाज में ऐसी अनगिनत माएं हैं, जो परिस्थितियों के बोझ तले स्वयं ही शक्ति बन जाती हैं। ये वे माएं हैं, जो खेतों में पसीना बहाकर, मजदूरी करके या घर से बाहर कोई काम करके परिवार का पेट भरती हैं; वे माएं, जो तलाकशुदा या विधवा होने के बावजूद रात-दिन मेहनत कर अपने बच्चों के सपनों को उड़ान देती हैं; और वे माएं, जो समाज की कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाकर बदलाव की मशाल जलाती हैं। वे सभी व्यक्ति, जो इन मांओं के साहस को प्रोत्साहित करते हैं, इस मातृशक्ति का अभिन्न हिस्सा हैं।

माँ से तो हर दिन विशेष होता है। इस मदर डे पर, हम केवल कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका को ही नहीं, बल्कि हर उस मां को सलाम करते हैं, जो अपने बच्चों और देश के लिए जीती है। हम उन पुरुषों और समाज के हर वर्ग को भी नमन करते हैं, जिन्होंने इन मांओं को आगे बढ़ने का हौसला दिया—चाहे वह सोफिया के पति हों, जिन्होंने उनकी सैन्य महत्वाकांक्षाओं को समर्थन दिया, या व्योमिका के सहकर्मी, जिन्होंने उनके हर मिशन में साथ निभाया। नारी की चूड़ियां अब केवल श्रृंगार नहीं, बल्कि उस अटल संकल्प की गवाही हैं, जो घर, समाज, और देश की रक्षा करती हैं। ये नारियां और उनके समर्थक हर उस बेटी और बेटे के लिए प्रेरणा हैं, जो अपनी माँ की तरह मातृभूमि पर तिरंगा लहराने और एक बेहतर समाज बनाने का सपना देखते हैं। इस मदर डे पर, हम हर ऐसी माँ और उनके साथ खड़े हर शख्स को नमन करते हैं, जो जीवन को जन्म देने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर दुश्मनों का अंत भी करती हैं।