अजय कुमार
उत्तर प्रदेश मे पांचवें चरण में 20 मई को 14 लोकसभा सीटों पर मुकाबला होना है,इसमें से सबसे अधिक चर्चा अमेठी व रायबरेली की हो रही है। यहां भी इसी चरण में मतदान होगा,लेकिन रायबरेली में इंडी गठबंधन के बीच चुनाव से पहले ही गांठ नजर आने लगी है। मामला पीएम पद की दावेदारी से जुड़ा हुआ है। दरअसल, रायबरेली में कांग्रेस ने जीत के लिए राहुल के लिए पीएम पद का दांव चला है।यहां से राहुल गांधी कांग्रेस-सपा के इंडी गठबंधन के प्रत्याशी जरूर हैं,लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि दोनों दलों के जिला स्तरीय नेता आपस में तालमेल नहीं बना पा रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने जब राहुल गांधी को भावी प्रधानमंत्री बताना शुरू किया तो यह दरार और भी चौड़ी हो गई। सहयोगी दल सपा ने इस पर कांग्रेस को आईना दिखा दिया है। इसी के साथ कांग्रेस के अपने नेताओं के एकसुर न होने से मतभिन्नता भी उजागर हो रही है।
दरअसल, इंडिया गठबंधन में तय हुआ था कि जनादेश मिलने पर पीएम का चयन चुनाव बाद सहयोगी दल मिलकर करेंगे। लेकिन, रायबरेली में पिछले कई दिनों से राहुल गांधी को भावी पीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर वोट मांगा जा रहा है। रायबरेली के पर्यवेक्षक और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल हर जगह कह रहे हैं कि आप सिर्फ सांसद नहीं, देश का पीएम चुन रहे हैं। इसके बाद तरह-तरह से सवाल किए जाने शुरू हो गए। यह बात अखिलेश तक भी पहुंची जिसके बाद सपा के तेवर तल्ख हो गये हैं।
जानकार बताते हैं कि राहुल गांधी रायबरेली से इसलिए मैदान में आए क्योंकि वह कांग्रेस की जीती हुई सीट थी। परिवार का लगातार इस सीट पर कब्जा रहा है। साथ ही मां सोनिया गांधी की भावनात्मक अपील भी साथ है। शुरुआत में राहुल एकतरफा आगे चल रहे थे। लेकिन, भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में गृहमंत्री अमित शाह की रैली व उनके पैतरों से भाजपा लड़ाई में लौट आई है। इसके बाद से कांग्रेस की रणनीति बदल गई। कांग्रेस के रायबरेली के प्रभारी व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल ने राहुल को पीएम दावेदार के रूप में पेश कर भावनात्मक फायदा उठाने का दांव चला। मगर, इससे गठबंधन व पार्टी की आंतरिक स्थिति भी उजागर हो गई।
बात दें गत दिनों लखनऊ में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ हुई अखिलेश यादव की प्रेसवार्ता में गठबंधन के पीएम पद पर राहुल की दावेदारी को लेकर सवाल हुआ।
खरगे की उपस्थिति में सपा मुखिया इस सवाल को रणनीतिक फैसला कहकर टाल गए। दूसरी ओर, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि गठबंधन चुनाव बाद अपना नेता चुनेगा। सवाल यह उठ रहा है कि प्रदेश में 17 और देश में करीब 200 सीओं पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस अकेले पीएम के पद के बारे में कैसे फैसला ले सकती है। अमेठी व रायबरेली के चुनाव को काफी करीब से देख रहे बुद्धिजीवी कहते हैं कि सपा को लग रहा है कि यूपी में मात्र 17 सीट पर ही चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को पीएम पद का दावेदार कैसे माना जाए। यही वजह है कि अखिलेश इस पर खुलकर नहीं बोल रहे हैं। दूसरी ओर राहुल खुद इस सीट पर जीत को लेकर दबाव में हैं। उनका आत्मविश्वास डगमगाया नजर आ रहा है। उनको पीएम के रूप में प्रस्तुत करना पार्टी का एक रक्षात्मक कदम है। यहां लोगों के बीच में एक सवाल यह भी खड़ा है कि आखिर राहुल कौन सी सीट छोड़ेंगे?इसका जवाब देना भी राहुल को मुश्लि को रहा है।