दिल्ली बन जाती है दरिया, सड़क से संसद तक

Delhi becomes a river, from the road to Parliament

खबरीलाल

आदिकाल से श्रृष्टि में श्रृजन- विध्वंश की परम्परा पुरानी है।संसार के निर्माताओं नें श्रृष्टि में मानव की रंचना के संग असंख्य जीव जन्तुओं व वनस्पतियों आदि का निर्माण किया है,ताकि श्रृष्टि व प्रकृति के मध्य में संतुलन बना रहें।परिणाम स्वरूप श्रृष्टि का चक्र निरंतर चलता रहें।महान श्रृष्टिकर्ता नें अपनी श्रृष्टि में सर्वोत्तम कृति के रूप मानव जाति का ना केवल श्रृजन किया बल्कि उसे चिन्तन मनन अर्थात बुद्धि से प्रदान किया ताकि वह अपना स्वयं व सभी का कल्याण कर सकें।काल का चक्र महाकाल के ईशारे पर चलता रहा,कालान्तर में मानव ने अपनी आवश्यकता व सुःख सुविधा के लिए लगातार प्रयास किया,परिणाम स्वरूप शनै : शनै : कई क्षेत्रों में उसे आशातीत सफलता मिल गई।जिसे आधुनिक भाषा में विज्ञान का नाम दिया गया।इसी विज्ञान के सहारे मानव ने अपनी सुःख सुविधा व विकाश के नाम पर अपनी मनमानी करनी शुरू कर दी।परिणाम स्वरूप श्रृष्टि व प्रकृति में असंतुलन होने लगा। जिससे श्रृष्टि में विनाश होने की ओर अग्रसर की आशंका होने लगी !इस प्रत्यक्ष प्रमाण समय के साथ प्रकृति का प्रकोप शुरू होने लगे।इसका जीता जागता उदाहरण आप व हमारे समाने,कही बाढ़ तो कहीं सुखाढ़,कही भुकम्प तो कहीं पर भुशखलन आदि,कही महामारी आदि,कोरोना वायरस की प्रचंड प्रकोप सें आप व हमारे समक्ष है।विगत दिनों देश की राजधानी दिल्ली ना केवल विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी के अलावे मौसम की मार के लिए जाना जाएगा।जो केन्द्र सरकार,दिल्ली सरकार के एन डी एम सी,दिल्ली नगर निगम के कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान उठना स्वाभाविक है।पिछले दिनों देश राजधानी दिली में इस मौसम की पहली बारिश से दिल्ली वासियों का जीना दुभर कर दिया।जो दिल्नी कल जल की एक बुँद के लिए तरस रही थी।उसी दिल्ली की सड़के,गली- मोहल्लों में ही नहीं राजधानी केमुख्य मार्गों पर नदी के जल प्रवाह का आलम रहा।

मौसम की बारिश ने सभी इलाकों के ड्रेनेज सिस्टम को फेल कर दिया।सर्वविदित रहे राजधानी में बुधवार शाम से शुरू होकर देर रात तक चली बारिश ने एक बार फिर दिल्ली को पानी-पानी कर दिया।बारिश ने सभी इलाकों के ड्रेनेज सिस्टम को फेल कर दिया।संसद भवन,राष्ट्रपति भवन,रफी मार्ग समेत दिल्ली की सभी मुख्य व अंदरूनी सड़कों व गलियों पर पानी भर गया।कनॉट प्लेस,चांदनी चौक समेत सभी बाजार लबालब थे।ओल्ड राजेंद्र नगर,करोल बाग आदि इलाकों की सड़कें भी पानी में डूब गई।सड़कों पर दो से तीन फीट पानी जमा हो गया।बारिश के दौरान लुटियन जोन स्थित संसद भवन,रायसीना मार्ग,प्रेस कल्ब आफ इण्डिया चैम्पस फोर्ड कल्ब,कान्ट्रीचुएशन कल्ब,केन्द्र सरकार के कई भवन,नेशनल मीडिया केन्द्र,पंच सितारा होटलों के बाहर जल प्रलय का भयावह प्रवाह प्रवाहित होने समेत कनाट प्लेस की सभी सड़कें,मिंटो रोड,मानसिंह रोड,फिरोज शाह रोड,तालकटोरा स्टेडियम,मंडी हाउस,विजय चौक,गोल मार्केट, नरौजी नगर,आईटीओ, बाराखंबा रोड,आर के पुरम,दिल्ली गेट, कोडिया पुल,चांदनी चौक,आदि जगहों में जल भराव से जाम का आलम यह रहा है कि पीसीआर, एंबुलेंस,दमकल समेत सभी एमरजेंसी वाहन भी घंटों तक जाम में फंसे रहे।

दिल्ली की सीवरेज प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त हो गई और जगह-जगह भारी जलजमाव हुआ।कुछ मिनटों की बारिश में ही पूरे शहर में जलभराव हो गया।कल तक जो दिल्ली वाले पानी की एक बुँद पानी के लिए दिल्ली सरकार व हरियाणा सरकार के मध्य तीखी बहस हो रही थी,जिससे केन्द्र सरकार भी अछुता नही रहा था।उसी दिल्ली में चन्द मिनटों की वारिश ने चारो ओर कोहराम मचाया दिया।परिणाम स्वरूप दिल्ली की जनता दिल्ली सरकार व केन्द्र सरकार,स्थानीय निकाय एम सी डी,एन डी एम सी आदि से जल निकाशी व जल संचय से दबी जुबान से सवाल पूछ रही है आखिर वह कब दिन आयेगा जब दिल्ली वालों को इस तरह के मुसीबतों से छुटकारा मिल पायेगा।