रविवार दिल्ली नेटवर्क
कुचामन : देश और दुनिया में आज गणेश चतुर्थी का पर्व हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है । आज के इस विशेष अवसर पर हम आपको ले चलते है डीडवाना कुचामन जिले के कुचामन सिटी के ऐतिहासिक डूंगरी गणेश जी के मंदिर में ,जहां, भगवान गणपति की पूजा अर्चना महिला पुजारी ही करती है ।
कहा जाता है की कुचामन शहर को बसाने से पहले यहां गणेश जी की मूर्ति की स्थापना हुई और उसके बाद शहर को बसाया गया। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है की यहां साल 1891 से यानी पिछले133 साल से प्रधान पुजारी महिला ही बनती आई हैं । इस तरह से ये मंदिर, बीते सवा सौ साल से भी ज्यादा समय से महिला सशक्तिकरण का संदेश दे रहा है। इस मंदिर में महिलाएं ही पीढ़ियों से भगवान गणेश की पूजा करती हैं और ऋंगार करती हैं।
माना जाता है कि यह प्रदेश का एकमात्र गणेश मंदिर है जहां महिला प्रधान पुजारी हैं। जानकारी ये भी है की पूरे शहर के लिए ये प्रथम आराध्य हैं नया वाहन खरीदा गया हो या व्यापार में वृद्धि की कामना हो, या फिर किसी के घर में शादी हो सभी श्रद्धालु, पहले विनायक दर्शन के लिए आते है ।
मंदिर में प्रधान पुजारी बबिता शर्मा के मुताबिक उन्हें प्रधान पुजारी का पद विरासत में मिला है, इससे पहले उनकी सास और उससे भी पहले उनकी सास प्रधान पुजारी थी। महिला प्रधान पुजारी बबिता शर्मा के पति और मंदिर के सहायक पुजारी नाथूलाल शर्मा बताते है की इस गणेश मंदिर में भगवान से मांगी हर मन्नत पूरी होती है । सैकड़ों साल पुराने इस मंदिर में भगवान गजानन रिद्धि-सिद्धि के साथ सिद्धि विनायक स्वरूप में विराजमान हैं । और पिछले 331 साल से सिंडोलिया परिवार पूजा-अर्चना का कार्य कर रहा है 1891 में पुजारी परिवार के मुखिया का आकस्मिक निधन होने पर उनकी पत्नी डालीदेवी शर्मा ने तत्कालीन राजा से मंदिर में पूजा करने की अनुमति मांगी ताकि परिवार चलाया जा सके। जिस पर उन्होंने पूजा की अनुमति दे दी ।
महिला द्वारा मंदिर में पूजा का काम संभालना उस दौर में बड़ी बात थी, जब हमारा समाज पर्दा प्रथा जैसी रूढ़ियों में जकड़ा हुआ था। इसके बाद परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाओं ने ही प्रधान पुजारी की जिम्मेदारी संभाली है। वर्तमान में पुजारी नथमल सिंडोलिया की पत्नी बबीता शर्मा और उनके भतीजे पंकज शर्मा की पत्नी नेहा शर्मा पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी निभा रही हैं ।
स्थानीय निवासी और भगवान गणेश के भक्त अनंत तिवाड़ी ने बताया के राजाओं- महाराजाओं के दौर में जब भी राज परिवार कोई नया काम शुरू करता था ,कोई त्योहार का मौका होता था या फिर युद्ध में जाना होता था, तो सबसे पहले गणेश डूंगरी स्थित भगवान गणेश के दर्शन किए जाते थे युद्ध में जीतकर लौटने पर भी सबसे पहले गणेश जी के दर्शन किए जाते थे । वे कहते है की सरकार और प्रशासन पिछले कुछ साल से महिला सशक्तिकरण के लिए आमजन को प्रेरित और जागरूक कर रहे है, लेकिन कुचामन का ये गणेश मंदिर राजे रजवाड़ों के दौर से महिला सशक्तिकरण का बड़ा संदेश दे रहा हैं ।