गोविन्द ठाकुर
वैसे तो देश की सभी राजनीतिक दलों की राजनीति हिलोरे मार रही है, मगर सत्ता पक्ष कुछ अधिक ही एक्टीव हो गई है। जब से पटना में 17 विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा बनाने की सहमति दी है तबसे बीजेपी अपने सारे घोड़े को खोल दिया है। बीजेपी के लिए सबसे चैलेंजिंग राज्य महाराष्टृ, बंगाल और बिहार है। इन्हीं तीनों राज्यों में बीजेपी को सबसे अधिक डर है। 2024 लोकसभा चुनाव में देखें तो महाराष्ट़ में 48 सीटें हैं जिसमें बीजेपी और तत्कालिन शिवसेना और समर्थकों को लेकर मोदी सरकार में करीब 42 से 43 सीटें एनडिए की रही है। मगर जबसे शिवसेना उधव कांग्रेस और एनसीपी का महाअघाड़ी बना तभी से बीजेपी के लिए इसे दुहराना संभव नहीं दिख रहा था। लिहाजा महाराष्टृ की घटना सबके सामने है। शिवसेना के एकनाथ शिंदे के बाद एनसीपी के अजीत पवार ने बीजेपी के साथ मिलकर अपनी पावर बढा ली। देखा जाए तो महाअघाड़ी की ताकत को आधा कर दिया गया है जिससे 2024 के चुनाव में बीजेपी को कुछ परेशानी नहीं होने की शंका है मगर बीजेपी और शिंदे अजीत पवार को आम जनता की सहानुभूति को पवार और धव ठाकरे को नहीं भुनाने देना होगा। अब बीजेपी और मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौति जो है वह है शिंदे गुट और अजीत पवार गुट के बीच में शक्ति संतुलन को बनाये रखना और सत्ता में भागीदारी देना। यह भागिदारी राज्य के साथ केन्द्र में भी देना होगा। अजीत पवार की ओर से मोदी सरकार पर दवाब है कि उसे केन्द्र में कम से कम एक कैबिनेट मंत्री प्रफुल पटेल के लिए और एक राज्य मंत्री चाहिए। वहीं शिंदे की जिद है कि उसे दो मंत्री पद और एक राज्य मंत्री का पद चाहिए। सूत्र बताते हैं कि मोदी सरकार इन दोनों को सिर्फ एक एक पद देकर निपटाना चाह रही है।
दिल्ली में लगातार पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच बैठक का दौड़ चल रही है। पीएम ने कई मंत्रियों को संकेत कर दिया है कि वह पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा के चुनाव में अपना योगदान दे। कहा जा रहा है कि जिस जिस राज्यों में चुनाव होना है वहां से अधिक मंत्री बनाये जायेंगे। इसके लिए बिहार, यूपी झारखंड और कार्नाटक से मंत्री को कम किया जायेगा।
चलिए फिर आते हैं उन राज्यों पर जहां से बीजेपी की परेशानी बढ रही है। बिहार- बिहार में लोकसभा के 40 सीटे हैं माना जा रहा है कि अगर राजद, जेडियू, कांग्रेस, लेप्ट और सहयोगी दलों की गठबंधन होती है तो बीजेपी के लिए पूराने रिकार्ड को दुहराना मुश्किल होगा। नीतीश कुमार की अगुआई में बीजेपी ने 2019 में 39 सीटें जीती थी। क्या ऐसे गठबंधन में ऐसा होना संभव है , शायद नहीं । तो फिर बीजेपी ने सभी छोटी छोटी पार्टियों को मिलाकर विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। विआइपी के बाद जीतनराम मांझी और अब चिराग पासवान को एनडीए में शामिल कर लिया है। हलांकि बीजेपी के इस कदम से चिराग के चाचा पशुपति पारस नाराज हैं मगर बीजेपी को कोई फड़क नहीं पड़ता है। माना जा रहा कि चिराग को केन्द्र में मंत्री बनाया जा सकता है। मोदी सरकार नें पंजाब में भी एकबार फिर से अकाली दल से सांठ गांठ बढा लिया है अकाली को भी सरकार में हिस्सेदारी मिलेगी।
2919 को लोक सभा चुनाव में बीजेपी ने 303 सीटों पर विजयी पताखा फहराया था मगर जब संपूर्ण विपक्ष एक हो जायेगा तो क्या इसे दुहराना संभव है। शायद बीजेपी के लिए मुश्किल होगा। तभी तो बीजेपी ने विपक्षी दलों के बागियों को सत्ता से नवाजकर एनडीए का कनबा बड़ा करना शुरु कर दिया है।
अनुमान है कि मॉनसून सत्र के खत्म होते ही मोदी सरकार अपने मंत्री परिषद् में विस्तार करेगी। हां, इससे पहले कुछ और राज्यों में नये साथी को तैयार करने का अवसर मिलेगा तो बीजेपी उसका स्वागत जरुर करेगी।