घातक है ऐसी राहुली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

सीता राम शर्मा ‘चेतन’

जब एक भला, बुद्धिमान, कार्यकुशल, सक्षम और शक्तिशाली व्यक्ति भयावह रुप से कोढ़ ग्रस्त हो जाए तो क्या वह अपनी तमाम अच्छाईयों, शक्तियों का संपूर्ण, जरुरी या फिर उतना सदुपयोग कर पाएगा, जो उसे कम से कम करना चाहिए था ? ऐसी विषम परिस्थितियां व्यक्ति विशेष की हो या फिर किसी परिवार, समाज और देश-दुनिया की, उसकी योग्यता, विशेषता, शक्ति और सामर्थ्य का संपूर्ण या बेहतर सदुपयोग नहीं हो सकता । एक व्यक्ति, समाज और देश के रुप में आज भारत के हर एक नागरिक को, जो उचित सोचने समझने और करने का सामर्थ्य रखता हो, अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन में कम से कम उतना समझदार, सक्रिय और कर्तव्यनिष्ठ होना ही चाहिए, जितना उसके खुद के लिए, खुद के परिवार, समाज और देश के लिए होना नितांत आवश्यक है ।

अब बात सीधी और स्पष्ट रूप से विषय पर, जो भारत के सुरक्षित, समृद्धशाली और उस विकसित भारत की चिंताओं को लेकर है, जो आज वर्तमान सरकार से होती हुई हर एक जागरूक, जिम्मेवार, समझदार, ईमानदार और संघर्षशील कर्तव्यनिष्ठ विशिष्ट से लेकर आम साधारण नागरिक तक के मन-मस्तिष्क में है । मेरा स्पष्ट मानना है कि वर्तमान और आगामी भविष्य के लिए हर भारतीय और भारत के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण काम, आवश्यकता, चुनौति और संकट है और रहेगा, वह है देश समाज में पूरी तरह से कानून का राज स्थापित करना और हर हाल में अभिव्यक्ति और मानवाधिकार की स्वतंत्रता को आदर्श, मर्यादित और सामाजिक तथा राष्ट्रीय हितों के दायरे में सीमित रखना । यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि वैसी आदर्श मानवीय, सामाजिक और राष्ट्रीय व्यवस्था में अमानवीय, आपराधिक, स्वार्थी और षड्यंत्रकारी लोगों को दिक्कतें महसूस होंगी । विसंगतिया लगेंगी । परतंत्रता का बोध होगा और फिर वो अकेले और एकजुट होकर भी वैसी हर बात और नियम कानून का अपने चातुर्य, छल-प्रपंच और षड्यंत्रों के माध्यम से हर संभव विरोध करेंगे तथा अशिक्षित, अर्ध विक्षिप्त, अवांछित और अयोग्य लोगों, समूहों से भी करवाएंगे । बावजूद इसके सरकार को वैसी उत्कृष्ट, श्रेष्ठ और सख्त राष्ट्रीय व्यवस्था बनाने का सफल और कठोर प्रयास करना चाहिए । जी हां, यह बात जोर देकर लिख रहा हूं कि ” करना ही चाहिए ” । भारत को जिस विकसित राष्ट्र और जैसे विश्वगुरु बनाने की बात इन दिनों खूूब हो रही है, वह भी कहीं ना कहीं श्रेष्ठ, आदर्श और सशक्त मानवीय व्यवस्था वाले ऐसे देश समाज और विश्व को गढ़ने की ही है, जिससे विश्व के हर एक देश और समाज के माध्यम से हर परिवार और उसके प्रत्येक व्यक्ति तक के अनुशासित, संस्कारित, व्यवस्थित, सुरक्षित और समृद्धिशाली होने का मार्ग प्रशस्त होता है । बेहतर होगा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकार और कानून के राज को लेकर भारत वैश्विक मानवता और वैश्विक जनमानस की भलाई के लिए एक वैसी नई, त्रुटिहीन, लोकोपयोगी आदर्श व्यवस्था बनाने का सूत्रपात कर उसे सफलिभूत भी करे । गौरतलब है कि मानवाधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के राज की कमियों, विसंगतियों का नुकसान आज विश्व के हर देश को हो रहा है, असमाजिक, आपराधिक और आतंकवादी गतिविधियों के होने और बढ़ने के मूल कारणों में ये मुख्य और बड़े कारण हैं । जिन पर समय रहते सोचने और बहुत कुछ करने की जरूरत है । भारत को उस स्वर्णिम मार्ग का निर्माण करना है । लोकतंत्र और मानवाधिकार की अच्छाईयों की आड़ में पनप चुकी और प्रायोजित तरीके से पनपाई जा रही बुराईयों से लड़ना और उन्हें नष्ट करना है । इनकी स्वच्छ, पारदर्शी, त्रुटि मुक्त और लोक कल्याणकारी परिभाषा गढ़नी है और फिर उसे जीवंत रुप में चरितार्थ भी कर दिखाना है ।

अब बात पिछले दिनों भारत के सबसे अयोग्य, असक्षम, मूर्ख और षड्यंत्रकारी नेताओं में से एक राहुल गांधी के द्वारा लंदन में जाकर देश के विरुद्ध घोर असभ्य, अनैतिक, आधारहीन, अपमानजनक बातें कहने की, जिसमें वह ना सिर्फ भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों पर प्रश्न चिह्न लगाते दिखाई दिए बल्कि पूरे देश की व्यवस्था के साथ देश की संसदीय व्यवस्था को पंगु और एकांगी बताते हुए पश्चिमी देशों से हस्तक्षेप करने का घोर निंदनीय, मूर्खतापूर्ण और दंडनीय आग्रह तक कर बैठे । उसके लिए उनकी महज निंदा भर करना कतई उचित नहीं है, उसके लिए उनकी उस बददिमागी, बदनीयति की सजा देना हर दृष्टिकोण से अनिवार्य और न्यायसंगत लगता है, पर सवाल यह है कि क्या ऐसा संभव है ? और नहीं है तो क्यों ? और सबसे जरुरी सवाल यह, कि यदि उनके इस अपराध के लिए नियम, कानून, नीति और व्यवस्था के अभाव में उन्हें सजा नहीं दी जा सकी तो फिर भविष्य में क्या किसी इसी या दूसरे राहुल को राष्ट्र के विरुद्ध वैसे झूठे, आधारहीन, गलत और आपराधिक बयान देने से रोका जा सकता है ? जवाब बहुत सरल सपाट और स्पष्ट है – नहीं । कदापि नहीं । तो फिर अभी राहुल के साथ क्या किया जाए ? इसका जवाब भी बहुत स्पष्ट है, फिलहाल ऐसे देश विरोधी वक्तव्यों के लिए कोई कठोर संवैधानिक नियम कानून नहीं हैं । अतः एकमात्र विकल्प है बहिष्कार । जनता को राहुल के लौटने पर उनका सार्वजनिक बहिष्कार करना चाहिए । बहुत बेहतर तो यह होता कि यह काम सबसे पहले राष्ट्रीयता के बोध के साथ कांग्रेसी नेता, कार्यकर्ता ही करते । वे यह बात राहुल से खुलकर कहते कि उन्होंने लंदन में जिस तरह से हमारे राष्ट्र और राष्ट्रीय व्यवस्था का अपमान किया है, वह हमें कतई स्वीकार नहीं है और उसके लिए उन्हें ना सिर्फ माफी मांगनी होगी बल्कि यह भी कहना होगा कि वे ऐसी गलती भविष्य में कदापि नहीं करेंगे । कांग्रेस और उसके कार्यकर्ता ऐसा करेंगे, इसकी गुंजाइश बहुत कम ही नहीं, नगण्य है । इसलिए यह काम देश की आम जनता और हर सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं को करना चाहिए । ऐसा सख्त विरोध, जो राहुल और कांग्रेस के साथ हर उस नेता, दल और संस्था के रोंगटे खड़े कर दे । जिसके बाद भविष्य में देश के भीतर या बाहर देश के विरुद्ध इस तरह का झूठ बोलने का कोई दुस्साहस ही ना कर सके । रही बात भविष्य में ऐसी राहुली अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाने की तो उसके लिए एक सख्त कानून होना ही चाहिए ।

भारत एक लोकतांत्रिक, धर्म निरपेक्ष और विकासशील राष्ट्र है जो विकसित होने और वैश्विक समुदाय को विश्व बंधुत्व के विचार और व्यवहार से समृद्ध करने के महा स्वप्न के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है । समर्थ और सशक्त सरकार के साथ सक्षम नेतृत्व आज इसके पास है । स्वाभाविक रूप से ऐसी स्थिति में प्रतिस्पर्धात्मक और विरोधी शक्तियां शत्रु के साथ मित्रता के छद्म वेश में भी बाधा उत्पन्न करने का हर संभव प्रयास करती हैं । भारत के साथ भी वर्तमान समय में यही हो रहा है और इस बात में अंश मात्र भी संदेह नहीं है कि निकट भविष्य में विरोधी और शत्रुतापूर्ण लोगों, समूहों और कुछ राष्ट्रों के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष विरोध और षड्यंत्रों का संकट अभी और बढ़ेगा ही । जिसके लिए ये लोकतंत्र और मानवाधिकार के नाम पर ही सबसे ज्यादा दुष्प्रचार और प्रहार करेंगे । इसलिए बेहतर होगा कि भारत अब लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ मानवाधिकार के नाम पर हो रहे षड्यंत्रों पर ना सिर्फ खुली चर्चा करे बल्कि यह प्रतिबद्धता भी दिखाए कि वह अपनी धरती पर किसी भी हाल में लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों की आड़ में होने वाले षड्यंत्रों को बर्दाश्त नहीं करेगा । ऐसी षड्यंत्रकारी ताकतों के विरुद्ध वह अब ज्यादा कठोर नियम कानून बना उन पर पूरी सख्ती से लागू भी करेगा ।