जेन ज़ेड और सत्ता परिवर्तन का नया समीकरण-जेन ज़ेड + सोशल मीडिया + टेक्नोलॉजी = सत्ता परिवर्तन

Gen Z and the new equation for power shift- Gen Z + Social Media + Technology = Power Shift

  • यह पीढ़ी इंटरनेट, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के साथ पली-बढ़ी है,इसलिए इसकी सोच वैश्विक और तात्कालिक है।
  • भविष्य की राजनीति में जीत उसी की होगी जो इस डिजिटल समीकरण को समझे और युवाओं की ऊर्जा को सम्मान देगा

वैश्विक स्तरपर 21 वीं सदी के तीसरे दशक में दुनियाँ की राजनीति, समाज और सत्ता समीकरणों में सबसे बड़ा परिवर्तन जिस शक्ति के कारण आया है, वह है-जेन ज़ेड। यह पीढ़ी, जो 1997 से 2012 के बीच जन्मी मानी जाती है,डिजिटल युग की संतान है। इसके हाथ में स्मार्टफोन है,इसकी भाषा सोशल मीडिया है और इसकी शक्ति टेक्नोलॉजी है।यह पीढ़ी पारंपरिक विचारधाराओं और बड़े नेताओं के भाषणों की जगह अब नए औज़ारों के जरिये सत्ता को चुनौती देती है। इतिहास गवाह है कि फ्रांसीसी क्रांति रोबेस्पियर जैसे वक्ताओं की वजह से हुई और क्यूबा की क्रांति फिदेल कास्त्रो जैसे नेताओं के भाषणों से उभरी,लेकिन आज क्रांति का समीकरण पूरी तरह बदल चुका है। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र या मानता हूं कि अब न विचारधारा की आवश्यकता है, न ही किसी बड़े नेता की। अब आंदोलन का केंद्र है- युवा का गुस्सा + सोशल मीडिया + टेक्नोलॉजी। 21वीं सदी में जन्मी जेन ज़ेड पीढ़ी केवल उपभोक्ता या दर्शक नहीं है,बल्कि डिजिटल युग की असली शक्ति और मानसिकता की प्रतीक बन चुकी है। यह पीढ़ी इंटरनेट, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के साथ पली-बढ़ी है, इसलिए इसकी सोच वैश्विक और तात्कालिक है। जेन ज़ेड तर्कसंगतता, पारदर्शिता और तेजी से बदलती परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालने की क्षमता रखती है। जलवायु परिवर्तन, भ्रष्टाचार, मानवाधिकार, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर यह पीढ़ी सिर्फ आवाज़ उठाने तक सीमित नहीं रहती, बल्कि टेक्नोलॉजी के जरिये आंदोलन खड़ा करती है और सत्ता पलट तक की क्षमता दिखाती है।चूँकि यह पीढ़ी इंटरनेट, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के साथ पली-बढ़ी है,इसलिए इसकी सोच वैश्विक और तात्कालिक है।इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगेजेन ज़ेड और सत्ता परिवर्तन का नया समीकरण-जेन ज़ेड + सोशल मीडिया + टेक्नोलॉजी = सत्ता परिवर्तन,भविष्य की राजनीति में जीत उसी की होगी जो इस डिजिटल समीकरण को समझे और युवाओं की ऊर्जा को सम्मान देगा।

साथियों बात अगर हम जेन ज़ेड की मानसिकता: डिजिटल युग का प्रतीक इसको समझने की करें तो,जेन ज़ेड वह पीढ़ी है जिसने किताबों से ज्यादा स्क्रीन देखी, पोस्टकार्ड से ज्यादा ईमेल और सोशल मीडिया पोस्ट लिखी, और अखबार से ज्यादा ट्विटर/एक्स पर खबरें पढ़ीं। इस पीढ़ी की सबसे बड़ी विशेषता है स्पीड ― यह बदलाव को जल्दी स्वीकार करती है और उतनी ही जल्दी विद्रोह भी खड़ा कर देती है। जेन ज़ेड पारंपरिक सत्ता ढाँचे से सवाल पूछती है और पारदर्शिता की मांग करती है। जलवायु परिवर्तन से लेकर भ्रष्टाचार, लोकतंत्र से लेकर लैंगिक समानता तक, यह हर विषय पर मुखर है।

आज का युवा “ग्लोबल सिटीजन” है। एक नेपाली छात्र काठमांडू से बैठकर श्रीलंका की स्थिति पर ट्वीट करता है, तो बांग्लादेश का बेरोजगार युवक भारत या यूरोप की राजनीति पर हैशटैग चलाता है। यही ग्लोबलाइजेशन ऑफ़ पॉलिटिक्स है, जिसे जेन ज़ेड ने संभव बनाया।

साथियों बात अगर हम सत्ता पलट का आधुनिक समीकरण को समझने की करें तो, युवा + सोशल मीडिया +टेक्नोलॉजी पहले क्रांति का आधार होता था विचारधारा और संगठित पार्टी ढांचा। आज समीकरण है:(1) युवा का गुस्सा-बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, असमानता। (2) सोशल मीडिया-आंदोलन को फैलाने और वायरल बनाने का औज़ार। (3) टेक्नोलॉजी- टेलीग्राम चैनल, व्हाट्सऐप ग्रुप, यूट्यूब लाइव और डिजिटल फंडिंग।एक जमाने में विचारधारा की किताबें छपती थीं और लोग उन्हें पढ़कर विद्रोह करते थे। अब हैशटैग बनते हैं और लाखों-करोड़ों लोग तुरंत जुड़ जाते हैं। सोशल मीडिया सिर्फ सूचना का माध्यम नहीं बल्कि “डिजिटल बैरिकेड” बन चुका है।

साथियों बात अगर हम जेन ज़ेड के वैश्विक आंदोलनों को समझने की करें तो, नेपो बेबीज़, फ्री यूथ और सेव म्यांमरजेन ज़ेड के नेतृत्व में कई आंदोलन वैश्विक चर्चा का केंद्र बने: (1) नेपो बेबीज़ मूवमेंट-हॉलीवुड और बॉलीवुड दोनों जगह इस ट्रेंड ने वंशवाद और पारिवारिक प्रभुत्व पर सवाल उठाया। युवाओं ने पारदर्शिता और मेरिट की मांग उठाई। (2) फ्री यूथ मूवमेंट-थाईलैंड, हांगकांग और एशिया के अन्य हिस्सों में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की लड़ाई में जेन ज़ेड की भूमिका प्रमुख रही। (3)सेव म्यांमर मूवमेंट -2021 में म्यांमार में सैन्य तख़्तापलट के खिलाफ जेन ज़ेड ने न केवल सड़कों पर प्रदर्शन किया, बल्कि ट्विटर और फेसबुक पर वैश्विक अभियान चलाकर दुनियाँ का ध्यान खींचा।इसके अलावा फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर (ग्रेटा थूनबेर्ग) जैसे क्लाइमेट मूवमेंट्स, ब्लैक लाइव्स मैटर जैसे समानता के आंदोलन और #मी टू जैसी डिजिटल मुहिम में भी जेन ज़ेड ने अहम भूमिका निभाई।

साथियों बात अगर हम दक्षिण एशिया में सत्ता पलट और जेन ज़ेड की भूमिका को समझने की करें तो (1) नेपाल (2025)- नेपाल में हाल ही में हुए राजनीतिक उथल-पुथल में युवाओं की सोशल मीडिया मुहिम ने निर्णायक भूमिका निभाई। #चेंजनेपाल जैसे कैंपेन ने भ्रष्टाचार और सत्ता संघर्ष के खिलाफ जनता को एकजुट किया। (2) बांग्लादेश (2024)- वहां बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और चुनावी धांधली के खिलाफ युवाओं का गुस्सा सोशल मीडिया पर फूटा। “नो वोट टू कर्रप्शन ” हैशटैग ने लाखों युवाओं को जोड़ दिया और चुनावी परिणामों को प्रभावित किया। (3) श्रीलंका (2022)- आर्थिक संकट, महंगाई और राजनीतिक भ्रष्टाचार से परेशान जनता खासकर युवाओं ने“#गोटागोहोंमे ” अभियान चलाया। यह इतना ताकतवर बना कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा।इन घटनाओं ने साफ कर दिया कि अब सत्ता पलट के पीछे सिर्फ राजनीतिक पार्टियाँ नहीं बल्कि जनता और खासकर जेन ज़ेड का डिजिटल विद्रोह होता है।

साथियों बात अगर हम वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जेन ज़ेड को समझने की करें तो, अमेरिका में ब्लैक लाइवस मैटर आंदोलन, यूरोप में क्लाइमेट स्ट्राइक्स, अफ्रीका में एन्डसार्स आंदोलन और एशिया में फ्री यूथ व सेव म्यांमर- इन सबमें एक समानता है कि जेन ज़ेड ने इन्हें डिजिटल क्रांति में बदला।2024-25 में देखा गया कि लंदन, पेरिस और न्यूयॉर्क तक में जेन ज़ेड प्रवासी नीति और जलवायु कानूनों को लेकर सड़क पर उतरी। उनकी शक्ति अब केवल “मतदाता” होने तक सीमित नहीं, बल्कि “सत्ता पलटाने” तक है।

अतः अगर हम अप्रक पूरे विवरण का अध्ययन करें इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जेन ज़ेड अब केवल नई पीढ़ी नहीं बल्कि नई राजनीति है। यह पीढ़ी अपने गुस्से, पारदर्शिता की मांग और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से दुनिया की सत्ता समीकरण बदल रही है। आज का सत्ता पलट पुराने ढर्रे से अलग है-अब कोई रोबेस्पियर या कास्त्रो नहीं चाहिए, अब एक वायरल वीडियो या हैशटैग ही काफी है।