वागडवासियों के लिए खुश खबरी

गोपेंद्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली : केन्द्रीय रेल,संचार, इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौधोगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बाँसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद कनक मल कटारा को आश्वासन दिया है भारत सरकार एक विशेष ट्राइबल कोरिडोर बना कर अहमदाबाद-बाँसवाड़ा वाया डूंगरपुर रेल लाईन का कार्य शुरू कराने पर गम्भीरता से विचार कर रही है। इस ब्रॉड गेज मार्ग पर रेल आवागमन होने से गुजरात राजस्थान और मध्य प्रदेश का बड़ा जन जाति इलाक़ा लाभान्वित होगा।

रेल मंत्री वैष्णव ने सांसद कटारा और उनके साथ गए वागड़ के एक प्रतिनिमंडल को भरोसा दिया कि आपका लम्बा और बहु प्रतीक्षित इन्तज़ार शीघ्र ही पूरा होगा और भारत सरकार इस कार्य को करवाएगी।

रेल मन्त्री ने खेद व्यक्त किया कि तीन प्रदेशों के आदिवासी अँचलों को जोड़ने वाले इस इलाक़े के बाँसवाड़ा जिले की एक इंच भूमि पर आजादी के 75 वर्ष बाद भी रेल का आवागमन नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि सांसद कटारा द्वारा संसद में पिछलें कई दशकों से शून्य काल,नियम 377 तथा तारांकित एवं अतारांकित प्रश्नों के माध्यम से इस माँग को उठाया जा रहा है लेकिन जैसा मैं संसद के पटल पर जवाब दें चुका हूँ कि राजस्थान की दो रेल परियोजनाओ बांसवाड़ा-डूंगरपुर-रतलाम और टोंक- चौथ का बरवाड़ा-सवाई माधोपुर का काम रुकने का प्रमुख कारण
राजस्थान सरकार द्वारा परियोजना लागत में 50:50 में भागीदारी को मंजूर करने से इंकार करना रहा है।

भारत सरकार ने राजस्थान की दो रेल परियोजनाओ बांसवाड़ा-डूंगरपुर-रतलाम (188.85 किमी) और टोंक-
चौथ का बरवाड़ा,सवाई माधोपुर (165 किमी) नई रेल लाइन परियोजनाओं को रेल मंत्रालय
और राज्य सरकार के बीच 50:50 लागत में भागीदारी से शुरू कराया था लेकिन कालान्तर में राजस्थान सरकार के परियोजना की लागत को साझा करने के लिए इंकार कर दिया जिसकी वजह से इन दोनों परियोजनाओं का कार्य निष्पादन अभी भी रुका हुआ है।

उन्होंने बताया कि रतलाम-डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा ब्रॉड गेज लाइन को रेल मंत्रालय और राजस्थान सरकार के मध्य लागत में 50:50 प्रतिशत की भागीदारी के साथ वर्ष 2011 में मंजूर
किया गया था और राज्य सरकार को इसके लिए निःशुल्क भूमि भी मुहैया कराई जानी थी। बहरहाल,
राजस्थान सरकार ने बाद में परियोजना की लागत में भागीदारी के लिए अपनी असमर्थतता जाहिर कर दी। रेल मंत्रालय ने इस रेल लाइन का व्यवहारता अध्ययन भी कराया जिसके अनुसार भूमि की लागत को छोड़ कर वर्ष 2020 में इस परियोजना कि लागत 4,262 करोड़ रुपये आंकी गई थी। रेल मंत्रालय ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव से परियोजना को विशेष प्रयोजन वाहन (एसएसपी) अथवा राज्य सयुंक्त उद्यम (जेवी ) के माध्यम से क्रियान्वित करने और परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिए नि शुल्क भूमि प्रदान करने की संभावनाओं को तलाशने का अनुरोध भी किया था लेकिन राजस्थान-सरकार परियोजना की लागत को साझा करने के लिए सहमत नहीं हुई है। इस कारण से इस महत्वाकांक्षी परियोजना का निष्पादन रुका हुआ है।

रेल मंत्री वैष्णव ने सांसद कटारा को आश्वस्त किया कि राजस्थान सरकार के असहयोग पूर्ण रवैया के बावजूद भारत सरकार इस आदिवासी अंचल की जरूरतों को देखते हुए जनहित में इस परियोजना का कार्य एक विशेष ट्राइबल कोरिडोर बना कर हाथ में लेंगी।

सांसद कटारा ने रेल मन्त्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि परियोजना का कार्य शुरू होने से आजादी के अमृत वर्ष में क्षेत्रवासियों को एक बड़ा तोहफा मिल सकेगा और रोज़गार के लिए आने जाने वाले श्रमिकों के साथ ही व्यापारियों और उध्यमियों को भी इसका लाभ मिलेगा। साथ ही तीनों प्रदेशों की पर्यटन गतिविधियाँ बढ़ेगी और यह रेल लाईन माल ढोने तथा सेना के असले को लाने ले जाने की दृष्टि से देश की वैकल्पिक सुरक्षा लाईन भी साबित होंगी।

उल्लेखनीय है कि सांसद कनकमल कटारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाक़ात कर आग्रह कर चुके हैकि प्रधानमंत्री स्वयं हस्तक्षेप कर और केंद्र सरकार से शत प्रतिशत धनराशि दिलवा कर दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल क्षेत्र में वर्षों से बंद पड़ी डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल लाईन की महत्वाकांक्षी परियोजना को पुनः शुरू करवायें। उन्होंने प्रधानमंत्री को यह भी अवगत कराया था कि मध्य प्रदेश-राजस्थान और गुजरात की जीवन रेखा मानी जाने वाली यह परियोजना शिलान्यास के बाद से ही शुरू नही हो पाई है।

डूंगरपुर-मुंबई के मध्य सीधी रेल की माँग

रेल मन्त्री के साथ मुलाक़ात के दौरान सांसद कटारा ने जयपुर-उदयपुर-असारवा (अहमदाबाद ) रेल लाईन पर वर्तमान में संचालित रेलों के अलावा डूंगरपुर-मुंबई के मध्य सीधी रेल चलाने की माँग भी रखी । साथ ही डूंगरपुर रेल्वे स्टेशन पर पर्याप्त बिजली व्यवस्था,शोचालयों और अन्य जन सुविधाओं का विस्तार करने का भी आग्रह किया।