
- सिन्धी समाज ने भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन और विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया है – विधानसभाध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी
- राजस्थान के स्कूल शिक्षा पाठ्यक्रम में सिन्धी समाज की विभूतियाँ को शामिल कराया
- अजमेर की प्रसिद्ध फॉयसागर झील का नामकरण अब वरुण सागर -विधानसभाध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी
रविवार दिल्ली नेटवर्क
जयपुर : राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि सिन्धी समाज ने भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन और विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया है । इस समाज ने आजादी के बाद उत्पन्न परिस्थितियों में अनेक तकलीफें,यातनाएँ और दर्द सहन करने के बावजूद अपने त्याग,समर्पण और कठोर परिश्रम और दृढ़ संकल्प से भारत के विकास में अपना अमूल्य योगदान देकर देश की जीडीपी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है ।आज भी यह जुझारू समाज अपनी उद्यमशीलता के कारण देश और विदेश में छोटे से बड़े व्यवसाय और उद्योग में भागीदार है।
श्री वासुदेव देवनानी ने गुरुवार को सायं मुम्बई के निकट ठाणे में फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ सिंधी, ठाणे के तत्वावधान में पोखरण रोड स्थित उपवन झील के निकट आयोजित सुनहरी सिंध 2.0 के भव्य समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहें थे । इसके पहले उन्होंने फीता खोल कर समारोह का उद्घाटन किया। श्री देवनानी कहा कि भारत के विकास में सिंधी समुदाय के योगदान और औद्योगिक आंदोलन में सकारात्मक बदलाव को सभी ने हमेशा सराहा और सम्मानित किया है। हम सभी को सिन्धु संस्कृति और समुदाय का अभिन्न हिस्सा होने का बहुत ही गर्व है ।
श्री देवनानी ने बताया कि उन्होंने अपने राजस्थान के शिक्षा मन्त्री के कार्यकाल में सिन्धी समाज की विभूतियाँ को स्कूल शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल कराया था और वर्तमान में ऐतिहासिक नगर अजमेर में कई स्थानों के उपनिवेशवाद और गुलामी के प्रतीक नामों को बदल कर भारतीय संस्कृति और महापुरुषों के नाम से किया गया है जिसमें अजमेर की प्रसिद्ध फॉयसागर झील का नामकरण अब वरुण सागर कर दिया गया है ।
गौरवशाली सिंधु संस्कृति की चर्चा करते हुए विधानसभाध्यक्ष श्री देवनानी ने कहा कि जल के देवता झूलेलाल जी के आशीर्वाद और प्रेरणा से सिन्धी समाज की परम्परायें आज भी अक्षुण्ण है और सिंधी समाज में हेमू कालानी और संत कंवरराम जैसी महान विभूतियाँ हुई है। श्री देवनानी ने भारत के राष्ट्रगान में सिंधु का उल्लेख किया है और बताया है कि कैसे 2200 वर्षों के संघर्ष के बाद यहूदी वापस यरूशलम पहुँचे थे, उसी तरह सिंध भी अखंड भारत का हिस्सा था जो वापस अपना होगा।
विधानसभाध्यक्ष श्री देवनानी ने पश्चिम ठाणे की उपवन झील में आयोजित चार दिवसीय सुनहरी सिंध 2.0 के भव्य समारोह में सिंध के इतिहास की सजीव झाँकी के प्रदर्शन के लिए आयोजकों को बधाई दी और कहा कि इससे लोगों को सिंध की जड़ों और सभ्यता एवं संस्कृति को नजदीक से देखने और महसूस करने अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि सुनहरी सिंध 2.0 का यह उत्सव सिंधी समुदाय की समृद्ध परम्पराओं और सांस्कृतिक विविधताओं को उजागर करने वाला है। यह सिंधी संस्कृति के सार को पुनर्जीवित करने और उसे सामने लाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण आयोजन है। इस आयोजन के माध्यम से सिंधी समुदाय के सांस्कृतिक अतीत की सच्ची और सूक्ष्म यादें और सिंधी समुदाय के संघर्ष के बारे में लोगों को अवगत कराने का आयोजकों का प्रयास बहुत ही सराहनीय है ।
इस अवसर पर श्री देवनानी ने समाज की तीन शख्सियतों ठाणे नगर निगम की पूर्व स्थायी समितियों की अध्यक्ष एवं प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता दादी वीना भाटिया को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया। उन्होंने डॉ सतराम मखीजा को सिंधी भाषा सिखाने में योगदान के लिए और श्री मुरली अदनानी को समाज एवं सिंधियत में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया ।
इस मौके पर विधानसभाध्यक्ष श्री देवनानी ने भारत-पाक विभाजन ट्रेन, श्री हेमू कालाणी की मूर्ति, वॉल ऑफ फेम, सिंधी संतों, अमर शहीद भगत कंवरराम साहेब की झांकी आदि का अवलोकन किया।उन्होंने भगवान श्री वरुणदेव (श्री झूलेलाल जी) की महा आरती में भी भाग लिया।
सुनहरी सिंध 2.0 के इस भव्य समारोह में पश्चिम ठाणे की उपवन झील मोहनजोदारो में सिंध का स्वर्ण युग, विभाजन 1947-आँसुओं और बलिदानों की रेलगाड़ी, सिंध की महान विभूतियों जैसे हेमू कालानी और संत कंवरराम आदि की झलक, सिंधी परंपराओं का सजीव चित्रण, सिंध की संस्कृति और त्यौहार, कला, हस्तशिल्प और परिधान के साथ-साथ सिंध के स्वादिष्ठ जायकों के माध्यम से पाक-कला की यात्रा, सफलता की जबरदस्त कहानियों और सांस्कृतिक मनोरंजन से भरपूर शाम से सजीव हो गई । आयोजन कर्ताओं ने बताया कि प्राचीन काल से ही सिंधु नदी और इसके आस-पास का क्षेत्र व्यापार के साथ ही अपने धैर्य, दृढ़ संकल्प और विशेष कौशल के लिए जाना जाता रहा है, जल देवता झूलेलाल के आशीर्वाद से प्राप्त हुआ है। पवित्र सिंधु सभ्यता भारत की सिंधु संस्कृति के माध्यम से अपने बेटों और बेटियों को इतिहास में अमर बना रही है। उल्लेखनीय है कि सिंधु संस्कृति का सुनहरी सिंध 1.0 एक दशक पहले मई 2015 में ठाणे में आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम के आयोजक श्री राजू के खेतवानी ने बताया कि इस उत्सव में सिंधी समुदाय के इतिहास से जुडे विभिन्न प्रसंगो पर चर्चा-परिचर्चा के साथ ही मशहूर सिंधी व्यंजन, वस्त्र और हाथ से बनाई गई कलाकृतियां प्रदर्शित की गई है। समारोह में फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ सिंधीज ठाणे के संस्थापक और अध्यक्ष राजू कन्हैया लाल खेतवानी, प्रकाश कोटवानी, महेश सुखरामनी (उल्लासनगर ),डॉ. गुरमुख जगवानी (जलगांव ) और फेडरेशन के अन्य पदाधिकारियों के अलावा देश भर से सिंधी समुदाय के प्रमुख संगठनों के प्रतिनिधियों ने भारी संख्या में भाग लिया।